सूरज जरा तू आ पास आ, तेरे सपनों की रोटी पकाएंगे हम, ए आसमां तू बड़ा मेहरबां, आज तुझको भी दावत खिलाएंगे हम
आलू टमाटर का साथ इमली की चटनी बने, रोटी करारी सिंके घी उसमें असली लगे, सूरज जरा
करिअर फंडा में स्वागत!
खूबसूरत बात
उपरोक्त पंक्तियां फिल्म ‘उजाला’ में मन्ना डे द्वारा गाए गीत की हैं। कहने का अर्थ है मनुष्य या किसी भी अन्य प्राणी को कहीं भी उसके भोजन से अलग नहीं किया जा सकता।
बहुत भूख लग रही है यार
क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि मॉक टेस्ट में अच्छा स्कोर ना आने पर बहुत अधिक भोजन करने की इच्छा होने लगती है?
जब आप अपने आप को किसी कांसेप्ट को न समझ पाने की स्थिति में पाते हैं तो मीठा खाने की तीव्र इच्छा होती है?
जब कोई विचार-उत्तेजक विषय आप पढ़ते हैं, तो अचानक तेज भूख जैसा लगने लगता है?
अधिकतर लोग इन सिम्पटम्स को सामान्य मान कर इग्नोर कर देते है, लेकिन यह ‘ईटिंग डिसऑर्डर’ हो सकते हैं, और ध्यान न रखे जाने की दशा में गंभीर रूप धारण कर सकते हैं।
हमारी क्लास में एक लड़का था जो पेपर चबाता और खा जाता था, एक बार तो जब उसे टीचर्स ने किसी प्रतियोगिता में शामिल होने वाले बच्चों की हैंड रिटन लिस्ट को संभालने का काम दिया तो वह धुन-धुन में उसे ही खा गया। मेरे एक रिलेटिव का बच्चा बचपन में कॉलर चबाता था, और उसके सारे कपड़ों के कॉलर कुतरे हुए होते थे। आप सभी ने भी अपने आस-पास इस तरह के उदहारण देखे होंगे। यह सभी भी ईटिंग डिसऑर्डर के उदहारण हैं।
इसके रूट में होता है तनाव और एंग्जाइटी। इसमें विशेष इच्छा प्रोसेस्ड जंक फूड खाने की अधिक होती है, जिनमें तुरंत सैकड़ों कैलोरी शरीर में जाकर हमारे माइंड को किक देती हैं।
मजाक न बनाएं
अधिक और कम खाने वाले दोनों व्यक्तियों को मोटू, खाऊ या चिड़िया कह कर मजाक बनाते हैं। वास्तव में, ईटिंग डिसऑर्डर, ओपियोड ओवरडोज (मॉर्फिन, अफीम इत्यादि का नशे) के बाद सबसे घातक मानसिक बीमारियों में दूसरे स्थान पर हैं।
ईटिंग डिसॉर्डर कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी करते वक्त दिक्कत बन सकते हैं। जब आपको बेस्ट हेल्थ चाहिए, उस समय ये आपको हैंडीकैप बना सकता है।
ईटिंग डिसॉर्डरों के प्रकार
ईटिंग डिसऑर्डर कई प्रकार के हो सकते हैं, मसलन एनोरेक्सिया नर्वोसा (क्षुधा अभाव – स्वस्थ शारीरिक वजन बनाए रखने से इंकार), बुलिमिया नर्वोसा (जरूरत से अधिक खाना), बिंज ईटिंग डिसऑर्डर (अचानक भूख लगने पर खूब खाना), पिका (अखाद्य वस्तुओं जैसे, मिटटी, चॉक, कागज, कपड़ा या उन इत्यादि को चबाना या खाना), नाइट ईटिंग सिंड्रोम, इत्यादि।
इन सब के लगातार बने रहने से नुकसान होता है।
ईटिंग डिसऑर्डर क्यों
अलग-अलग कारण होते हैं। ओवर-ईटिंग हमारे शरीर में अच्छा महसूस कराने वाले हॉर्मोन्स डोपामिन को रिलीज करती है। यही कारण है जब मॉक टेस्ट में अच्छा स्कोर ना आने पर हम बुरा फील कर रहे होते हैं तो ओवरईट करते हैं। मीठा खाने की तीव्र इच्छा होने का भी यही कारण है।
वहीं, ‘पिका’ नाम के ईटिंग डिसऑर्डर जिसमें व्यक्ति (खासतौर पर बच्चे) अखाद्य वस्तुओं जैसे कागज, ऊन, कपडा, चॉक, मिटटी इत्यादि को खाते हैं तो इसका सम्बन्ध शरीर में कुछ विशेष पोषक तत्वों की कमी से होता है। उदाहरण के लिए कैल्शियम की कमी वाले बच्चे को चॉक या मिट्टी खाने की इच्छा हो सकती है।
साक्ष्य यह भी बताते हैं कि ईटिंग डिसऑर्डर की आनुवंशिक जड़ें भी होती हैं। कल्चर की भूमिका जैसे विशेष रूप से महिलाओं पर सुंदरता के एक आदर्श को फिट करने के लिए दबाव डाला जाता है जो बड़े पैमाने पर वजन से परिभाषित होता है। अन्य परिस्थितियां भी इसमें कारक हैं; परिस्थितियों को तनाव, अकेलापन, अवसाद इत्यादि।
कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी में ईटिंग डिसऑर्डर से नुकसान
1) अधिक खाने से अधिक नींद आ सकती है, और हाजमा गड़बड़ हो सकता है, जिससे आपका मूल्यवान समय नष्ट हो सकता है।
2) इसका गहरा परिणाम यह है कि आपको ओवरईटिंग के परिणामस्वरुप रिलीज होने वाले हॉर्मोन्स की आदत पड़ जाए। मैं ऐसे कई लोगो को जानता हूं, जो खाने को नींद लाने के लिए नशे की तरह उपयोग करते हैं।
3) कम खाने से आप शक्तिहीन हो सकते हैं, और कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी के लिए ‘फाइटिंग फिट’ होना जरूरी है।
4) अत्यधिक खाने से बेचैनी हो सकती है।
ईटिंग डिसऑर्डर्स से कैसे बचें
1) अवेयरनेस ही कुंजी है
2) अधिकतर लोग इसे डिसऑर्डर ही नहीं मानते! तो पहला कार्य यह होगा कि इसे सीरियसली लेकर समझें
3) फिर कारण पता लगाएं
4) ‘माइंडफुल ईटिंग’ करें
‘माइंडफुल ईटिंग’ तकनीक
1) भोजन करना शुरू करने से पहले अपने-आप से मन में थोड़े मजबूत लहजे में कहें कि ‘मैं जो यह भोजन करने जा रहा हूं, इसका उद्धेश्य मुझे तरो-ताजा, एनर्जेटिक और प्रोडक्टिव महसूस करवाना है, ना की उनींदा, आलसी या शक्तिहीन’
2) फिर भोजन करते समय भोजन करते वक्त प्रत्येक कौर पर ‘दिमाग की नजर’ रखें
3) जब आप ऐसा करेंगे तो एक ऐसा क्षण आएगा, जब आपका शरीर और दिमाग खुद आपसे कहेगा कि बस, इससे ज्यादा खाया तो ठीक नहीं होगा
4) जब आपकी बॉडी और दिमाग यह मेसेज दे, तुरंत एक भी कौर और ना खाएं और थोड़ा पानी पीकर भोजन से अलग हो जाएं
5) यदि थाली में कुछ भोजन बचा हुआ भी हैं तो उसे भी इग्नोर करें। भोजन की वेस्टेज को बचाने के लिए थाली में भोजन भी सोच-समझकर थोड़ा-थोड़ा लें