इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करेंगे ये दो भारतीय अंपायर, ICC ने की पुष्टि

Ind vs Eng: मेजबान भारत और इंग्लैंड के बीच आइसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के तहत चार मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जानी है। इसी सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचों के लिए अंतराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने गुरुवार (28 जनवरी) को घरेलू अंपायरों की नियुक्तियों की घोषणा की है। साथ ही साथ रत से आइसीसी के एलीट पैनल के अंपायर नितिन मेनन दोनों मैचों में ऑन-फील्ड अंपायर होंगे।

वीरेंद्र शर्मा और अनिल चौधरी इंटरनेशनल मैचों में अंपायरिंग कर चुके हैं, लेकिन पहली बार टेस्ट क्रिकेट में नजर आएंगे। क्रिकबज की रिपोर्ट के मुताबिक, ICC ने कहा है, “इस अंतरराष्ट्रीय पैनल ने टेस्ट में भी अंपायरिंग की है। हाल ही में एलीट पैनल के लिए नियुक्त किए गए – जोएल विल्सन, माइकल गफ और नितिन मेनन ने एलीट पैनल में आने से पहले टेस्ट में सभी कार्य किए थे। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय पैनल में भारत चौथे पायदान पर है।”

ICC ने ये भी बताया है कि अंतरराष्ट्रीय अंपायरों को भी टेस्ट में उतारने पर विचार किया जा सकता है। आइसीसी ने अनिल चौधरी और वीरेंद्र शर्मा, दोनों अंतरराष्ट्रीय पैनल अंपायरों के लिए टेस्ट डेब्यू की पेशकश की है। चौधरी पहले टेस्ट में अंपायरिंग करेंगे। वहीं, वीरेंद्र शर्मा दूसरे टेस्ट मैच में नितिन मेनन के साथ खड़े होंगे। इसके अलावा, सी शमशुद्दीन पहले टेस्ट में तीसरे अंपायर होंगे, लेकिन वे डेब्यू नहीं कर पाएंगे, क्योंकि टीवी अंपायर को आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाता।

वहीं, पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ दोनों टेस्ट मैचों के लिए मैच रेफरी हैं, जो 5 से 9 फरवरी तक और फिर 13 से 17 फरवरी तक चेन्नई में खेले जाने हैं। अहमदाबाद में तीसरे और चौथे टेस्ट के लिए अधिकारी (24-28 फरवरी और 4-8 फरवरी) की घोषणा जल्द की जाएगी। टेस्ट मैचों के बाद होने वाले सभी व्हाइट बॉल मैचों (पांच टी 20 आई और तीन वनडे) के लिए भी भारतीय अंपायर ही होंगे। इन खेलों के लिए नियुक्तियां बाद में की जाएंगी।

आइसीसी आमतौर पर द्विपक्षीय खेलों के लिए तटस्थ अंपायरों को प्राथमिकता देती है, लेकिन वैश्विक महामारी और प्रतिबंधित यात्रा सुविधाओं की वजह से विश्व निकाय ने ‘तटस्थ अंपायरों’ की नीति को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। बांग्लादेश-वेस्टइंडीज सीरीज के लिए, बांग्लादेश में पर्याप्त योग्य अंपायरों की कमी थी। ऐसे में अंग्रेजी अंपायरों को वहां भेजा गया था।