दुनियाभर में नौकरियों में भर्ती को लेकर नकारात्मक वातावरण है। छंटनियों का दौर भी जारी है लेकिन भारतीय कंपनियां नई भर्ती और रिप्लेसमेंट को लेकर काफी आशान्वित हैं। कोलकाता की एचआर सॉल्यूशन कंपनी जीनियस कंसल्टेंट के एक सर्वे में शामिल 2,100 में से तीन चौथाई से भी ज्यादा यानी 77% कंपनियों के एचआर अधिकारियों ने कहा कि 2023-24 के दौरान उनकी हायरिंग की योजना है।
दक्षिण भारत और पश्चिमी भारत में सबसे ज्यादा कंपनियां इस वित्त वर्ष में हायरिंग करना चाहती हैं। ऐसी कंपनियों की संख्या 33.30% थी। इस साल कंपनियां औसत अनुभव वालों की भर्ती को तरजीह दे रही हैं। 36.06% कंपनियों ने कहा कि वे 4 से लेकर 7 साल तक के अनुभव वाले लोगों को नौकरी देंगी। महज 9% कंपनियों ने 13 साल या ज्यादा अनुभवी लोगों को हायर करने की बात कही है।
जीनियस कंसल्टेंट ने इस साल 12 मार्च से 15 अप्रैल के बीच विभिन्न सेक्टर की कंपनियों के बीच ये सर्वे किया था। इसमें बैंकिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग, एडुटेक, एफएमसीजी, हॉस्पिटैलिटी, एचआर सॉल्यूशन, आईटी, आईटीईएस, बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, मैन्युफैक्चरिंग, मीडिया, ऑयल एंड गैस, फार्मा और मेडिकल, पावर एंड एनर्जी, रियल एस्टेट, रिटेल, टेलीकॉम, ऑटो एंड एंसिलरी जैसे सेक्टर शामिल थे।
दक्षिण और पश्चिम भारत में होगी सबसे ज्यादा हायरिंग
- 77% कंपनियां इस वित्त वर्ष नई भर्ती और रिप्लेसमेंट की योजना बना रही हैं
- 33% हायरिंग की इच्छुक कंपनियां देश के दक्षिण और पश्चिम हिस्से से हैं
- 36% कंपनियां 4 से 7 साल के अनुभव वाले लोगों को नौकरी देना चाहती हैं
- 64% कंपनियों का मानना है कि नौकरी देने से पहले बैकग्राउंड जांचना जरूरी है
रिन्युएबल सेक्टर में 2030 तक 35 लाख नौकरियां
इंटरनेशनल रिन्युएबल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक 2030 तक भारत के रिन्युएबल सेक्टर में लगभग 35 लाख नौकरियां पैदा होंगी। हालांकि नौकरी देने के मामले में यह सेक्टर कोल सेक्टर से काफी पीछे है। आंकड़ों के मुताबिक कोल माइनिंग से जुड़ी गतिविधियों में 50 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। जबकि रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर में ये आंकड़ा फिलहाल 2 से 2.5 लाख ही है।