क्यों होती है कमर दर्द की समस्या, जानें क्या है इसका इलाज

आज हर उम्र के लोगों में पीठ और कमर दर्द की शिकायत देखी जा रही है। इसके लिए शिथिलतापूर्ण जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेदार है। हाल में प्रकाशित लांसेट रुमेटोलाजी जर्नल के एक अनुमान के मुताबिक, बढ़ती जनसंख्या और बुढ़ापे के चलते 2050 तक दुनिया में करीब 84 करोड़ लोग पीठ दर्द की समस्या से जूझ रहे होंगे। कमरदर्द से जुड़ी विकलांगता के करीब एक तिहाई मामले व्यावसायिक क्रियाकलापों, धूमपान और आवश्यकता से अधिक वजन होने जैसे कारणों से होते हैं। हालांकि, एक भ्रांति यह भी है कि कमरदर्द केवल कामकाजी लोगों को ही होता है, यह पूरा सच नहीं है। कमरदर्द किसी को, किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके अनेक कारण हो सकते हैं।

क्यों होती है यह समस्या

आमतौर पर, पीठ और कमर का दर्द हड्डियों और मांसपेशियों के कमजोर पड़ने के कारण होता है। ऐसे में मोच या हल्का जोर पड़ने या खिंचाव होने से कमरदर्द शुरू हो सकता है। बढ़ती उम्र और विटामिन-डी की कमी से भी यह परेशानी होती है। लांसेट के हालिया अध्ययन की मानें तो आने वाले दशकों में पीठ दर्द की समस्या सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक बड़ी चुनौती बनेगी। जिस तरह से लोग पीठ दर्द की शिकायत करने लगे हैं, उससे भी इस गंभीरता को समझा जा सकता है। यह बहुत जरूरी है कि उम्र के बढ़ने के साथ-साथ सेहत को लेकर अपनी सतर्कता भी बढ़ाई जाए।

समझें ग्रीन फ्लैग व रेड फ्लैग साइन

पीठ दर्द की समस्या को दो तरह से समझा जा सकता है, पहला ग्रीन फ्लैग साइन और दूसरा रेड फ्लैग साइन। ग्रीन फ्लैग के ऐसे लक्षण होते हैं, जिनका समाधान सामान्य जागरूकता, शारीरिक सक्रियता और सामान्य उपचार से किया जा सकता है। आमतौर पर यह समस्या बढ़ती उम्र, शरीर में विटामिन-डी की कमी, गलत मुद्रा में घंटों बैठने, गलत ढंग से सोने जैसी वजहों से होती है। एक उम्र के बाद हड्डियों के बढ़ने, हड्डियों के कमजोर पड़ने और खिंचाव जैसी दिक्कतें स्वाभाविक हैं। वहीं रेड फ्लैग की बात करें, तो ये लक्षण गंभीर चेतावनी हैं। ये ऑस्टियोपोरोसिस, आर्थराइटिस, साइटिका जैसी बीमारी के शुरुआती लक्षण भी हो सकते हैं। अगर कई सप्ताह तक लगातार दर्द बना रहे, बुखार और सूजन हो, तो सतर्क होने की आवश्यकता है। इसके लिए बिना देर किए विशेषज्ञ से सलाह लें। आज अनेक तरह की बीमारियों का निदान नयी उपचार विधियों से संभव है।

हो सकते हैं कई कारण

मानव शरीर में रीढ़ की जटिल संरचना मांसपेशियों, लिगामेंट, डिस्क और अस्थियों पर टिकी है, जो सामूहिक रूप से शरीर और शारीरिक गतिविधियों को सपोर्ट करते हैं। इनमें से किसी एक में भी समस्या आने पर वह बड़ी बीमारी का कारण बन सकती है। मांसपेशियों या स्नायुबंधन में खिंचाव, डिस्क के क्षतिग्रस्त होने, चोट, फ्रैक्चर या गिरने, हड्डियों के खिसकने, स्पाइनल स्टोनोसिस, इन्फेक्शन, ट्यूमर, गठिया, डिस्क प्रोलैप्स से पीठ दर्द हो सकता है। आस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी में हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं। वहीं, स्पाइन में संक्रमण, स्पाइन कैंसर, नसों के कमजोर होने, किडनी इन्फेक्शन के शुरुआती लक्षणों में भी पीठ दर्द की समस्या उभरती है।

ये हैं गंभीर लक्षण

  • अनियंत्रित ढंग से वजन में गिरावट
  • लगातार कमर और गर्दन में दर्द
  • बुखार और सूजन की लगातार समस्या
  • पीठ के साथ-साथ शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द
  • लगातार कमजोरी और थकान महसूस होना
  • हाथों-पैरों का सुन्न हो जाना
  • पेशाब करते समय दर्द होना

इन उपायों से मिलेगी राहत

  • दवाओं और फिजिकल थेरेपी से
  • सर्जरी, कंप्लीमेंट्री थेरेपी, मसल्स रिलैक्सटेंट से
  • मसाज, एंटी इन्फ्लेमेटरी जेल से
  • योग और शारीरिक व्यायाम से

पीठ दर्द से बचने के जरूरी उपाय

  • मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करें
  • बैठने, सोने, खड़े होने की मुद्रा सही रखें
  • पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम लें
  • कोई व्यायाम करते हुए पीठ दर्द होता है, तो उससे बचें।
  • लगातार दर्द बना रहे, तो विशेषज्ञ से जरूर परामर्श करें।

जोखिम के कारक

  • बढ़ती उम्र
  • शिथिलता
  • अत्यधिक वजन
  • आर्थराइटिस या कैंसर जैसी बीमारियां
  • गलत ढंग से वजन उठाना
  • धूमपान
  • मनोवैज्ञानिक स्थितियां