“मेरी बेटी बहुत लड़ी, बहुत दर्द सहा। वह जीना चाहती थी, पढ़ना चाहती थी। कहती थी डॉक्टर बनूंगी। जब हाईस्कूल पास किया था, तब उसके लिए पायल खरीदी थी।” यह शब्द उस मां के हैं जिसकी 16 साल की बेटी ने बुधवार को दम तोड़ दिया।
सुल्तानपुर में अपहरण, उसके बाद रेप की कोशिश और फिर पेट्रोल डालकर जलाई गई थी। 2 महीने तक वो जिंदगी-मौत से लड़ती रही। आखिरकार 31 मई को हार गई। गुरुवार को पीड़िता के घर पर पहुंची। मां-बाप से बात की। पूरा मामला समझा। फिर पुलिस से बात की।
सबसे पहले जानते हैं पूरा मामला
सुल्तानपुर की जयसिंहपुर कोतवाली के एक गांव से 11वीं की छात्रा का 28 जनवरी को लापता हो गई। बाद में पता चला कि गांव का महावीर उर्फ बीरे नाम का युवक उसे सूरत ले गया। यहां उसने अपने मालिक के साथ मिलकर उसके साथ रेप करने की कोशिश की। लड़की ने जब विरोध किया तो पेट्रोल डालकर उसे जला दिया।
मामले में पीड़ता के पिता की तहरीर पर 2 फरवरी को जयसिंहपुर कोतवाली में केस दर्ज हुआ। डेढ़ महीने तक पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। 28 मार्च को आरोपी महावीर और उसके मकान मालिक ने पीड़िता के पिता को फोन किया। उन्हें बताया कि उनकी बेटी बुरी तरह जल गई है। सूरत के एक अस्पताल में भर्ती है। इसके बाद उन लोगों ने पिता को बेटी की फोटो भी भेजी।
सूरत से सुल्तानपुर, फिर लखनऊ तक चला इलाज
पिता ने सुल्तानपुर SP सोमन वर्मा से मदद की गुहार लगाई। एक पुलिस टीम 30 मार्च को पिता के साथ सूरत के उस अस्पताल में पहुंची, जहां लड़की भर्ती थी। उसे 2 अप्रैल को सुल्तानपुर लाया गया। यहां जिला अस्पताल में उसका दो दिन तक इलाज चला।
4 अप्रैल को डॉक्टर ने हालत नाजुक बताकर लखनऊ रेफर कर दिया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में इलाज चला। कुछ सुधार हुआ तो 16 मई को परिजन उसे घर ले आए। हालांकि, 30 मई को पीड़िता की तबीयत फिर से बिगड़ गई और मौत हो गई।
अलमारी में रखा बैग, लड़की की स्कूल ड्रेस देख रो पड़ते हैं पिता
बेटी का शव दफनाकर लौटे पिता की आंखें डबडबाई थी। घर में मातम पसरा था। हमारे सवाल पूछने पर बैग की ओर इशारा किया। बगल में उसकी ड्रेस भी टंगी थी। उसे देखकर रोने लगते हैं। कुछ देर बाद कहते हैं-हाईस्कूल पास की थी। तब उसे पायल दिया था। वो महावीर (आरोपी) को भाई कहती थी। वही उसे बहला-फुसलाकर ले गया।”
मृतका चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। पिता कहते हैं- छोटी होने की वजह से सबकी दुलारी थी। कभी कोई गलत कदम नहीं उठाया।
“वो टूट गई थी, तकलीफ छिपाने लगी थी”
पिता के बातचीत के बीच ही मां कहने लगती हैं, ‘बेटी बहुत हिम्मती थी, उसकी तबीयत सही होने लगी तो उसी ने कहा अम्मा घर ले चलो। हम उसे घर ले आए थे। डॉक्टर जब भी उसका जख्म साफ करते, पट्टी बदलते, वो चिल्ला पड़ती थी। हर बार यही कहती थी। अम्मा हमें बचा लो बस। उसे बहुत तकलीफ थी। लेकिन छिपा लेती थी। एक दफा जब उसे रात में बहुत पीड़ा हुई, तब उसने हमें जगाया।’
मरते दम तक कहती रही-अम्मा सबको फांसी दिलवाना
पीड़िता की मां कहती हैं, ”वो हर रोज कहती थी अम्मा, उन सभी को फांसी की सजा दिलवाना। उन्होंने मेरे साथ बहुत गलत किया। महावीर ने मेरा विश्वास तोड़ दिया। वो मरते दम तक ऐसा ही कहती रही। मेरी बच्ची बहुत तड़पी। हमारी यही मांग है कि उन्हें फांसी की सजा हो। जिस-जिस का मेरी बेटी ने नाम लिया है, उनको सजा मिले। मेरी बेटी के साथ दरिंदगी की गई थी।”
पीड़िता ने लिया था 7 लोगों का नाम
पीड़िता का जब इलाज चल रहा था, तब पुलिस ने उसका बयान लिया था। IO (विवेचना अधिकारी) को उसने अपने साथ हुई वारदात के बारे में बताया था। परिजन के मुताबिक, पीड़िता ने महावीर, उसको भगाने में मदद करने वाले रामनाथपुर निवासी विवेक और सूरत में महावीर के मकान मालिक समेत 7 का नाम लिया था।