1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े पुल बंगश मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने CBI की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को मंजूरी के साथ केस को MP/MLA कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 8 जून को होगी।
CBI की चार्जशीट में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर का नाम है। एजेंसी के मुताबिक, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद 1 नवंबर 1984 को पुल बंगश इलाके में भीड़ ने एक गुरुद्वारे में आग लगा दी थी, इसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी।
टाइटलर पर आरोप है कि 39 साल पहले दिए भाषण में उन्होंने ही भीड़ को उकसाया था। इसमें तीन सिखों ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह की जान चली गई थी।
CBI ने टाइटलर के खिलाफ IPC की धारा 147 (दंगा), 109 (उकसाने) के साथ 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए हैं।
पहले तीन बार मिल चुकी थी क्लीन चिट
सिख दंगा केस में CBI टाइटलर को पहले तीन बार क्लीन चिट दे चुकी थी। पहली क्लीन चिट 2007 में मिली थी। मगर अदालत ने इसे सिरे से खारिज कर दोबारा जांच के आदेश दिए। इसके बाद 2013 में सीबीआई ने फिर से सबूतों का अभाव देकर टाइटलर को क्लीन चिट दे दी।
याचिकाकर्ता फिर कोर्ट पहुंचे, जांच हुई और टाइटलर फिर बच गए। आखिर में अदालत ने दिसंबर 2015 में CBI को मामले की और जांच करने का निर्देश देते हुए कहा था कि वह हर 2 महीने में जांच की निगरानी करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर एक पहलू की जांच की जाए।
अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि सीबीआई उन सभी गवाहों के बयान दर्ज करे, जिन्होंने खुद को चश्मदीद बताया और टाइटलर को दंगा भड़काते देखा। जिन गवाहों ने अपनी गवाही दर्ज कराने के लिए सीबीआई से संपर्क किया, उनके भी बयान लिए जाएं। इसके बाद सीबीआई ने एक और जांच की और टाइटलर का नाम चार्जशीट में शामिल किया।
दंगे की पीड़ित लखविंदर कौर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाइटलर के खिलाफ पहली गवाही दंगे की पीड़ित लखविंदर कौर ने दी है। कौर इस केस में याचिकाकर्ता भी हैं। कौर के पति बादल सिंह पुल बंगश में मारे गए लोगों में से एक थे। CBI अधिकारियों ने कहा कि कौर की गवाही आरोप पत्र के लिए महत्वपूर्ण है। कौर ने बताया कि उनके पति घटना वाले दिन गुरुद्वारे में कीर्तन के लिए गए थे, मगर वहां उन्हें जलाकर मार दिया गया।
गुरुद्वारे के तत्कालीन ग्रंथी सुरिंदर सिंह
टाइटलर के खिलाफ CBI ने गुरुद्वारे के तत्कालीन ग्रंथी सुरिंदर सिंह के बयान का भी हवाला दिया है। सुरिंदर ने पहले दर्ज कराए गए अपने बयान में कहा था कि भीड़ ने रागी बादल सिंह, एक सिख पुलिस इंस्पेक्टर ठाकुर सिंह और एक सिख सेवक के चारों ओर एक टायर डाल दिया और उन्हें आग लगा दी। यह घटना सुबह 9 बजे से 11 बजे के बीच की है और जब यह नरसंहार हो रहा था, टाइटलर वहां मौजूद थे।
हालांकि टाइटलर ने अपने बचाव में तर्क दिया है कि वह 1 नवंबर को सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक तीन मूर्ति भवन में थे और इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद की व्यवस्था की देखरेख कर रहे थे।
तीसरे गवाह जसबीर सिंह
जसबीर सिंह टाइटलर के खिलाफ तीसरे गवाह हैं। सिंह का कहना है कि उन्होंने 3 नवंबर 1984 को टाइटलर को अपने आदमियों से बात करते हुए सुना था। जिसमें टाइटलर अपने समर्थकों को गुरुद्वारे में तीन सिखों की हत्या के लिए फटकार लगा रहे थे। कैलिफोर्निया निवासी जसबीर सिंह को पहले भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया था, लेकिन CBI ने बाद में उसका बयान दर्ज किया।
कौन हैं जगदीश टाइटलर?
जगदीश टाइटलर 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री थे, लेकिन विरोध के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उन्हें पिछले साल दिल्ली नगरपालिका चुनाव के लिए समिति में शामिल किया गया था, जिसने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था। उन्हें कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल होना था, लेकिन विवाद से बचने के लिए वह यात्रा में शामिल नहीं हुए।
क्या है सिख विरोधी दंगा?
सिख विरोधी दंगा 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़का था। इंदिरा गांधी ने पंजाब में सिख आतंकवाद को दबाने के लिए सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर परिसर में ऑपरेशन ब्लूस्टार चलवाया था जिसमें आतंकी भिंडरांवाले सहित कई लोगों की मौत हो गई थी। सिख इस घटना से नाराज थे।
इसके कुछ दिन बाद ही इंदिरा गांधी की उनके ही सिख अंगरक्षकों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही देशभर में सिख विरोधी दंगे शुरू हुए हो गए जिसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली और पंजाब में देखा गया था। दंगों के दौरान करीब साढ़े तीन हजार लोगों की मौत हुई थी।