मणिपुर में जवान की सिर में गोली मारकर हत्या:8 साल के बेटे ने पिता को अगवा होते देखा, अगले दिन लाश मिली

मणिपुर में शनिवार (16 सितंबर) को सेना के एक जवान की सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उसका शव अगले दिन ईस्ट इंफाल के खुनिंगथेक गांव में मिला।

मृतक जवान की पहचान सेर्टो थांगथांग कोम (44) के तौर पर हुई है। वह वेस्ट इंफाल के तरुंग का रहने वाला था और मणिपुर के ही कांगपोकपी जिले में डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स (DSC) में तैनात था।

वह छुटि्टयां मनाने घर आया था, जब शनिवार सुबह करीब 10 बजे तीन हथियारबंद बदमाशों ने उसे घर से अगवा कर लिया और हत्या करके दूसरे जिले में लाश छोड़ दी।

मृतक के भाई पाचुंग (50) ने बताया कि सेर्टो एक दिन पहले ही घर आए थे। उनकी मृत्यु के बाद अब उनकी 31 साल की पत्नी, 12 साल की बेटी और 8 साल का बेटा रह गए हैं।

पाचुंग ने ये भी बताया कि सेर्टो के बेटे ने ही उन्हें किडनैप होते देखा था। बेटे ने पाचुंग को बताया था कि सफेद रंग की कार में आए तीन लोग उसके पिता को जबरदस्ती उठाकर ले गए थे।

जब तक परिवार के लिए गाड़ी का नंबर नोट कर पाते, तब तक बदमाश फरार हो चुके थे। इसके बाद पाचुंग ने पुलिस में FIR दर्ज कराई। अगले दिन सुबह 9:30 बजे सेर्टो की डेड बॉडी मिली।

इसे लेकर सेना के अधिकारियों का कहना है कि जवान का अंतिम संस्कार परिवार की इच्छा के अनुसार किया जाएगा। सेना ने परिवार की मदद के लिए एक टीम भी भेजी है।

पाचुंग बोले- हमारी कुकी-मैतेई से कोई लड़ाई नहीं, इसलिए किसी पर शक नहीं
पाचुंग ने बताया कि मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच लड़ाई चल रही है, लेकिन हम तो कोम समुदाय से आते हैं। कोम समुदाय मणिपुर में शांति बहाली में मदद कर रहा है। इसलिए मुझे मेरे भाई के अपहरण और हत्या को लेकर कुछ समझ नहीं आ रहा। हम नहीं जानते कि हत्या किसने की है। ऐसा भी नहीं कि हमें किसी पर शक हो। हमने कल मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा है। हमारी मांग है कि इस केस में पुलिस अच्छे से जांच करे और हमें न्याय मिलना ही चाहिए।

इस घटना से इंफाल घाटी के हालात पता चलते हैं: कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी
कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी ने कहा है कि ‘इंफाल घाटी में दिन में हुई इस बर्बर घटना से पता चलता है कि हथियारबंद मैतेई उपद्रवियों किस तरह से घाटी में खुले आम बेखौफ घूम रहे हैं। वो बिना किसी डर के इस तरह की आतंकी गतिविधि को अंजाम दे रहे हैं। इससे साफ पता चलता है कि मणिपुर लोकतांत्रित तरीके से चुनी हुई सरकार से नहीं चल रहा, बल्कि सांप्रदायिक सोच वाले लोगों के पास शासन की बागडोर है।’

मणिपुर में अब तक 175 की मौत, 1108 जख्मी
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच 3 मई से हो रही हिंसा में अब तक 175 लोगों की मौत हो चुकी हैं। राज्य में 1108 लोग घायल हैं, 32 अभी भी लापता हैं, जबकि 96 लावारिस लाशें शवगृह में रखी हैं।

इंफाल में शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान IGP (ऑपरेशंस) आईके मुइवा ने ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मणिपुर के इस चुनौतीपूर्ण समय में हम नागरिकों को विश्वास दिलाते हैं कि पुलिस, सुरक्षा बल और राज्य सरकार 24 घंटे उनकी सुरक्षा में लगे हुए हैं।

सितंबर में अब तक 4 बार हो चुकी हिंसा…

6 सितंबर : हजारों प्रदर्शनकारी बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में इकट्ठा हुए थे। वे सभी तोरबुंग में अपने सूने पड़े घरों तक पहुंचने के लिए सेना के बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद एहतियात के तौर पर मणिपुर के सभी पांच घाटी जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था।

7 सितंबर : सितंबर में मणिपुर में अब तक तीन बार हिंसा की खबर सामने आई है। पहली घटना मणिपुर के तेंगनौपाल जिले के पैलेल में ​​​​​​हुई थी। यहां फायरिंग की दो अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 50 अन्य घायल हो गए। घायलों में सेना का एक मेजर भी शामिल है।

12 सितंबर : दूसरी घटना 12 सितंबर को हुई। कांगचुप इलाके में कुकी-जो समुदाय के गांव के तीन लोगों की हत्या एंबुश लगाकर कर दी गई थी।

13 सितंबर : चुराचांदपुर जिले में एक पुलिस सब इंस्पेक्टर की हत्या कर दी गई। मृतक सब इंस्पेक्टर की पहचान ओनखोमांग हाओकिप (45) के तौर पर की गई है। अधिकारियों के मुताबिक जब हमला हुआ, तब ये सब इंस्पेक्टर हाओकिप एन चिंगफेई में तैनात थे। इसी हमले में पास में ही खड़े दो और लोगों को भी गोली लगी है। अभी तक उनकी पहचान नहीं हो सकी है।