बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान फ्रीडम ऑफ स्पीच पर कमेंट करते हुए कहा- इसकी एक सीमा होती है। अगर कहीं कोई भड़काऊ बात सामने आती है तो उसे तुरंत खत्म करना चाहिए। हम आगे के परिणामों पर इंतजार नहीं कर सकते।
जस्टिस मिलिंद जाधव की सिंगल बेंच ने मंगलवार को ऑटो पार्ट्स निर्माता कंपनी हिताची एस्टेमो के एक कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त करने के आदेश को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की।
जानिए क्या है मामला
हिताची एस्टेमो के एक कर्मचारी ने कंपनी के खिलाफ फेसबुक पर दो पोस्ट किए थे। जिसके बाद कर्मचारी को नौकरी से हटा दिया गया था। जिसके बाद व्यक्ति लेबर कोर्ट चला गया जहां श्रम न्यायालय ने कर्मचारी की बर्खास्तगी के आदेश को पलट दिया। बाद में कंपनी ने लेबर कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट बोला- कर्मचारी का फेसबुक पोस्ट भड़काऊ
हाईकोर्ट में इस पूरे मामले पर सुनवाई हुई और कोर्ट ने कर्मचारी को दोषी पाया। जस्टिस जाधव ने आदेश में कहा कि ये पोस्ट नफरत भड़काने के इरादे से कंपनी के खिलाफ किए गए थे और उत्तेजक थे।
अदालत ने कहा, ऐसे कामों के खिलाफ एक कड़ा संदेश दिए जाने की जरूरत है। इन भड़काऊ बातों को शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा- इसके विनाशकारी परिणाम
पीठ ने अपने आदेश में कहा, भाषण और फ्रीडम ऑफ स्पीच को एक तय लिमिट से आगे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अगर इसकी अनुमति दी गई, तो इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
जस्टिस जाधव ने आगे कहा- ऐसे भड़काऊ मामलों में हम इसके बुरे परिणामों की प्रतीक्षा नहीं कर सकते और न ही करना चाहिए। ऐसी बातों-कामों को शुरुआत में ही खत्म करने की आवश्यकता है। अन्यथा, यह बड़े पैमाने पर समाज में गलत संकेत देगा।
अनुशासन किसी भी कर्मचारी की पहचान
अदालत ने कहा, अनुशासन किसी भी कर्मचारी की पहचान है। बिल्डिंग के आसपास और परिसर के अंदर बिजनेस में किसी तरह की रुकावट न आए, इसके लिए कर्मचारी जिम्मेदार है। आज के टेक्नोलॉजी वर्ल्ड में हर व्यक्ति के पास 24 घंटे मोबाइल फोन रहता है। मोबाइल फोन के जरिए फेसबुक अकाउंट तक पहुंच अधिक आसानी से हो जाती है।
कंपनी का क्या कहना है
हिताची ने दावा किया कि कर्मचारी ने वेतन समझौता विवाद के दौरान अपने फेसबुक अकाउंट पर दो पोस्ट डाले थे। कंपनी ने आगे दावा किया कि पोस्ट मानहानिकारक थे, उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया और उसके कर्मचारियों को कंपनी मैनेजमेंट के खिलाफ भड़काया।
2018 में कंपनी के एक जांच अधिकारी ने कर्मचारी को इसका दोषी ठहराया और 2 मई, 2018 को एक आदेश के माध्यम से उसको नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।