सेट का डेकोरेशन करने वाली बाप-बेटे की जोड़ी:फिल्मों में यूज होते हैं इनके झूमर; धूम-3 और वॉर के गानों में देखी गई इनकी कारीगरी

आपने फिल्मों और टीवी सीरियल्स में बड़े-बड़े झूमर और डेकोरेशन तो देखे ही होंगे। कभी सोचा है कि ये झूमर कहां से लाए जाते हैं। इन्हें बनाता कौन है। इन्हें बनाने और फिल्मों में दिखाने का कितना खर्च आता है। इस हफ्ते के रील टू रियल में इन्हीं झूमर वालों से बात करेंगे। उनके काम करने का प्रोसेस जानेंगे।

दैनिक भास्कर की टीम मुंबई के कांदिवली में ठाकुर विलेज इलाके पहुंची। वहां यश इंजीनियरिंग नाम से एक फैक्ट्री है। बड़ी-बड़ी फिल्मों और टीवी सीरियल्स में अधिकतर यहीं से झूमर बनकर जाते हैं। इन्होंने यशराज फिल्म्स के लिए काफी ज्यादा काम किया है।

धूम-3, वॉर और पठान के गानों में इनके यहां से बने झूमर यूज किए गए थे। हमने यहां के ओनर उत्सव उर्फ रिकी और उनके पिता दिनेश मिश्रा से बात की। दिनेश ने 1997 में यह बिजनेस स्टार्ट किया था।

रिकी और दिनेश की टीम प्रोडक्शन हाउसेज के साथ मिलकर काम कैसे करती है। इनके चार्सेज किस तरह के होते हैं। इन्हें काम करने के लिए कितने दिनों की डेडलाइन मिलती है। इन सारे पॉइंट्स को एक-एक करके जानेंगे।

आर्ट डायरेक्टर के साथ मिलकर काम करती है इनकी टीम
दिनेश और रिकी मिश्रा ने बताया कि उनकी टीम आर्ट डायरेक्टर्स के साथ कोऑर्डिनेट करती है। आर्ट डायरेक्टर्स इन्हें अपना विजन समझा देते हैं। वे बता देते हैं कि उन्हें सेट पर कैसी लाइटिंग और डेकोरेशन चाहिए। इसके लिए वे सेट पर स्केच भी लगा देते हैं। दिनेश और रिकी की टीम इसे समझकर उसी हिसाब से प्रोडक्ट तैयार करती है।

इनकी फैक्ट्री में मौजूद कारीगर, झूमर, शो लाइट, वॉल लैंप और आर्टिफिशियल फूलों वाली लड़िया बनाते हैं। फिर इनकी फैक्ट्री का एक कर्मचारी फिल्म के सेट पर इन सामानों को लेकर जाता है और वहां लगा देता है।

ली के हिसाब से पैसे चार्ज किए जाते हैं, ट्रांसपोर्टेशन और एक आदमी का खर्च अलग से मिलता है
फिल्मों और सीरियल्स के सेट पर डेकोरेशन के चार्जेस क्या होते हैं। दिनेश और रिकी मिश्रा ने कहा, ‘हम लोग डेली के हिसाब से चार्ज करते हैं। जितने दिन हमारा प्रोडक्ट यूज में रहेगा, उतने दिनों का पैसा मिलता है। एक तरह से कह सकते हैं कि हम रेंट पर सामान देते हैं, जिसके बदले में हमें पैसे मिलते हैं।

हमारा एक टीम मेंबर वहां हमेशा मौजूद रहता है। जब तक शूटिंग चलती है, तब तक वो शख्स वहीं बैठा रहता है। उसे हर दिन के हिसाब से भत्ता मिलता है। एक बार काम होने के बाद वो शख्स सामान को डिस्मेंटल करके वापस फैक्ट्री तक लाता है। ट्रांसपोर्टेशन के चार्जेस अलग से लिए जाते हैं।’

धूम-3 में आमिर के बैकग्राउंड में दिखा झूमर यहीं से बना है, घुंघरू गाने में 50 फीट बड़ा झूमर लगाया गया था
रिकी मिश्रा ने कहा कि धूम-3 के गाने मलंग में आमिर खान जिस झूमर के आगे झूलते हुए नजर आते हैं, वो उन्हीं की फैक्ट्री में बना था। हालांकि, इसकी जानकारी रिकी और उनकी टीम को भी नहीं दी गई थी। यशराज स्टूडियो से जुड़े लोगों ने बस झूमर बनाने का ऑर्डर दिया था। अब यह किस सीन में यूज होगा, इसे सीक्रेट रखा गया था।

रिकी के मुताबिक, वॉर के गाने ‘घुंघरू टूट गए’ में 50 फीट बड़ा झूमर बनाकर दिया गया था। यह इतना बड़ा था कि पूरा सेट कवर हो गया था। इसके आस-पास आठ-आठ फीट के छोटे झूमर भी लगे थे।

तनिष्क के ऐड वीडियोज में भी यश इंजीनियरिंग के झूमर देखे जा सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल कंपनी ओप्पो के ऐड में भी इनके झूमर यूज किए गए हैं।