PM मोदी अरुणाचल पहुंचे:चीन से लगी सेला टनल का उद्घाटन किया, यह दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी डबल लेन सुरंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के बैसाखी में दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी डबल लेन टनल का उद्घाटन किया। 2019 में उन्होंने इसकी नींव रखी थी। इसके अलावा उन्होंने 55 हजार से अधिक के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास किया।

ये सुरंग चीन बॉर्डर लगे तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। चीन की सीमा LAC के करीब होने के कारण 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बना यह टनल सेना के मूवमेंट को खराब मौसम में और आसान बनाएगा। ये इतनी ऊंचाई पर बनाई गई दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन टनल है।

दोपहर करीब 12:15 बजे PM अरुणाचल प्रदेश से फिर असम लौटेंगे। वे जोरहट के होलोंगा पाथर में प्रसिद्ध अहोम योद्धा लाचित बोरफुकन की 84 फीट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे। इस संरचना को ‘स्टैच्यू ऑफ वेलोर’ के नाम से जाना जाएगा।

टनल सेना के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण
अरुणाचल प्रदेश के सेला पास के नजदीक बनी यह टनल 825 करोड़ रुपए की लागत से बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने बनाई है। टनल के बनने से चीन बॉर्डर तक की दूरी 10 किलोमीटर कम हो जाएगी। यह टनल असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग को सीधे जोड़ेगी। दोनों जगह सेना के चार कोर मुख्यालय हैं, जिनकी दूरी भी एक घंटे कम हो जाएगी।

बारिश, बर्फबारी और लैंडस्लाइड के दौरान बालीपारा-चारीद्वार-तवांग मार्ग साल में लंबे समय तक बंद रहता है। टनल के बनने के बाद मिलिट्री का मूवमेंट चीन की सीमा तक बेहतर हो गया है। सेना कम समय में हथियार और मशीनरी डिप्लॉय कर पाएगी। 1962 में चीनी सैनिक इस क्षेत्र में भारतीय सेना के साथ भिड़ गए थे और तवांग शहर पर कब्जा कर लिया था।

इस प्रोजेक्ट में दो टनल शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में इस टनल की आधारशिला रखी थी। तब इसकी लागत 697 करोड़ आंकी गई थी। अब इसकी लागत 825 करोड़ रुपए है। कोरोना की वजह से इसके बनने में देरी हुई। इस प्रोजेक्ट में दो टनल शामिल हैं। पहली 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब सुरंग है और दूसरी 1.5 किमी लंबी है जिसमें इमरजेंसी के लिए एक एस्केप ट्यूब बनाया गया है।