कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रदर्शनकारियों से आजाद कराई गई:अमेरिकी पुलिस रैंप लगाकर अंदर घुसी, इजराइल विरोधियों ने कब्जा कर लहराया था फिलिस्तीनी झंडा

अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में फिलिस्तीन के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों के बीच मंगलवार रात 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिल हो गए। वे रैंप लगाकर खिड़की के रास्ते यूनिवर्सिटी की हैमिल्टन बिल्डिंग में घुसे। उन्होंने बिल्डिंग को प्रदर्शनकारियों से आजाद करा लिया।

दरअसल इजराइल विरोधी प्रदर्शनकारियों ने सोमवार देर रात यूनिवर्सिटी की एक बिल्डिंग हैमिल्टन हॉल को कब्जे में ले लिया था। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, उन्होंने बिल्डिंग के गेट को यूनिवर्सिटी के फर्नीचर और वेंडिंग मशीन के जरिए बंद कर दिया था।

वहीं खिड़कियों पर अखबार चिपका दिए थे, जिससे अंदर का कुछ भी दिखाई न दे। इसके बाद उन्होंने खिड़की से फिलिस्तीन का झंडा फहराया। प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीन की आजादी के नारे भी लगाए।

गाजा में मारी गई 6 साल की बच्ची के नाम पर रखा बिल्डिंग का नाम
इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग का नाम हैमिल्टन से ‘हिंद हॉल’ करने की घोषणा की थी। दरअसल, हिंद रजाब गाजा में रहने वाली एक 6 साल की बच्ची थी, जिसकी इजराइल के हमले में मौत हो गई। विश्वविद्यालय के प्रशासन ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने यूनिवर्सिटी में कई जगह तोड़फोड़ भी की, जिसके बाद उन्हें मजबूरन पुलिस को बुलाना पड़ा।

हैमिल्टन हॉल पर कब्जे के करीब 20 घंटे बाद पुलिस यूनिवर्सिटी पहुंच गई। CNN के मुताबिक पुलिस ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और सिटी कॉलेज से करीब 100 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। उन्हें फिलहाल यूनिवर्सिटी के बाहर एक बस में रखा गया है। यूनिवर्सिटी ने पुलिस से 17 मई तक कैंपस में ही रहने की अपील की है।

2 घंटे के अंदर बिल्डिंग से प्रदर्शनकारियों को हटाया
CNN न्यूज के मुताबिक, यूनिवर्सिटी में दाखिल होने के 2 घंटे के अंदर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से हैमिल्टन बिल्डिंग को आजाद करवा दिया। न्यूयॉर्क पुलिस विभाग ने खुद इसकी जानकारी साझा की। हालांकि, वे अब भी शहर के दूसरे इलाकों में प्रदर्शनकारियों को पकड़ने के लिए छानबीन कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों ने यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग पर कब्जा क्यों किया
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बताया कि जिन लोगों ने हैमिल्टन हॉल को कब्जे में लिया था, वो वहां के छात्र नहीं थे। दरअसल, गाजा में इजराइल के हमलों को रोकने और फिलिस्तीन की रिहाई की मांग के साथ अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में कई दिनों से प्रदर्शन जारी हैं।

यह प्रदर्शन देशभर के करीब 50 विश्वविद्यालयों में चल रहे हैं। इस दौरान फिलिस्तीन समर्थक छात्र कैंपस में टेंट लगाकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में शुरू हुई प्रोटेस्ट के बीच 18 अप्रैल को पुलिस ने करीब 100 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया था।

इससे वहां के टीचर्स और छात्रों में गुस्सा था। विश्वविद्यालय के प्रशासन ने उन्हें कैंपस से टेंट हटाने और प्रदर्शन बंद करने के लिए सोमवार (29 मई) तक की डेडलाइन दी थी। आदेश का पालन न होने पर प्रशासन ने छात्रों को एडमिशन खारिज करना शुरू कर दिया।

इसके बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने हैमिल्टन बिल्डिंग को कब्जे में ले लिया था। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से देशभर की यूनिवर्सिटीज से हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है।

नेतन्याहू बोले- सीजफायर हुआ तो भी राफा पर हमला करेगा इजराइल
दूसरी तरफ, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि अगर हमास युद्धविराम की शर्तों पर राजी हो भी गया तो भी इजराइल साउथ गाजा में राफा पर हमला जरूर करेगा। उन्होंने कहा कि इजराइल अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले युद्ध खत्म नहीं करेगा। इसका बंधकों की रिहाई से कोई लेना-देना नहीं है।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पहले भी हुए प्रदर्शन
BBC न्यूज के मुताबिक, यह दूसरी बार है जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी में किसी प्रदर्शन की वजह से पुलिस दाखिल हुई है। इससे पहले 30 अप्रैल 1968 को भी वियतनाम जंग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे करीब 700 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

अमेरिकी मीडिया हाउस CNN के मुताबिक 1980 के दशक में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में काफी प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि विश्वविद्यालय नस्लभेदी साउथ अफ्रीका से संबंध तोड़े। दरअसल, उस वक्त साउथ अफ्रीका में काफी नस्लभेद होता था। अश्वेतों को बुनियादी अधिकार भी नहीं दिए गए थे।