दिल्ली में AQI-400 पार, सांस संबंधी मरीज 35% बढ़े:6 दिन तक प्रदूषण कम होने के आसार नहीं; CM बोलीं- 10,000 वॉलेंटियर तैनात होंगे

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ते जा रहा है। सोमवार को लगातार दूसरे दिन दिल्ली की हवा गंभीर कैटेगिरी में दर्ज की गई है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के अनुसार सोमवार सुबह 7 बजे दिल्ली के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों में AQI 400 के पार रिकॉर्ड किया गया।

CPCB ने कहा सोमवार सुबह दिल्ली के 5 मॉनिटरिंग स्टेशन में AQI 400 पार था। वहीं, रविवार को 8 इलाकों में AQI ‘गंभीर’ स्तर (400 से अधिक) के आंकड़े को पार कर गया था।

प्रदूषण में बढ़ोतरी होते ही दिल्ली के अस्पतालों में खांसी, जुकाम, बुखार, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ऑबस्ट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज (CPOD) जैसी सास संबंधी बीमारियों के मरीज 35% बढ़ गई है।

मौसम वैज्ञानिकों ने कहा- पाकिस्तान की ओर से हवाएं भारत की ओर आ रही है। ऐसे में संभावना है कि दिल्ली-NCR में 6 दिन और AQI इसी कैटेगिरी के आसपास बना रहेगा।

उधर, CM आतिशी ने कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार एक हफ्ते में 10 हजार सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की नियुक्ति का प्रस्ताव जारी करेगी। ये वॉलंटियर्स प्रदूषण पर काबू करने की प्लानिंग पर काम करेंगे।

डॉक्टर बोले- स्कूल प्रशासन बच्चों पर ध्यान दें आरएमएल अस्पताल में मेडिसिन के वरिष्ठ डॉ. रमेश मीणा का कहना है कि सुबह के समय एक्यूआई लेवल काफी हाई होता है और इसी समय बच्चे स्कूल जाते हैं। छोटे बच्चों की इम्यूनिटी कम होती है, उन्हें खांसी, छीकें, जुकाम, उल्टी, आंखों में जलन और सांस लेने जैसी दिक्कतें होने लगती हैं।

ऐसे में स्कूल प्रशासन को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि, पिछले साल दिल्ली में AQI का स्तर 450 से अधिक होने पर दिल्ली सरकार ने 9 से 18 नवंबर तक स्कूलों की छुट्टी कर ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी थी।

हवा की रफ्तार कम होने से प्रदूषण बढ़ा मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि हरियाणा व दिल्ली-एनसीआर में दो दिन तक अधिकतम तापमान 32-34 डिग्री बना रहेगा। यह 2-3 डिग्री ज्यादा रहने का अनुमान है। वहीं न्यूनतम तापमान 13-18 डिग्री के बीच बना रहेगा।

5 नवंबर से हवाओं की रफ्तार 5 से 15 किमी तक रह सकती है। इससे दिन के समय आसमान साफ रहेगा। पाकिस्तान की ओर से आ रही हवाओं के कारण दिल्ली-एनसीआर में 6 दिन और जींद में दो दिन एक्यूआई अधिक बना रहेगा।

दिल्ली में बैन के बावजूद चले पटाखे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन किया था। पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर रोक है। इनकी ऑनलाइन डिलीवरी पर भी रोक लगाई गई थी, फिर भी आतिशबाजी हुई। पटाखे के कारण दिल्ली में AQI बढ़ा।

दावा- दिल्ली में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित NDTV के मुताबिक, प्राइवेट एजेंसी लोकल सर्कल के सर्वे में दावा किया गया कि दिल्ली-NCR में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित हैं। शुक्रवार को जारी की गई इस सर्वे रिपोर्ट में 21 हजार लोगों के जवाब थे। इसमें सामने आया कि दिल्ली-NCR में 62% परिवारों में से कम से कम 1 सदस्य की आंखों में जलन है।वहीं, 46% फैमिली में किसी न किसी मेंबर को जुकाम या सांस लेने में तकलीफ (नेजल कंजेशन) और 31% परिवार में एक सदस्य अस्थमा की परेशानी है

दिल्ली में 14 अक्टूबर को ग्रैप-1 लागू किया गया था दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (बीएस -III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं।

आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपेलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है।

​​​​​​AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।

हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।

PM का अर्थ होता है पर्टिकुलेट मैटर। हवा में जो बेहद छोटे कण यानी पर्टिकुलेट मैटर की पहचान उनके आकार से होती है। 2.5 उसी पर्टिकुलेट मैटर का साइज है, जिसे माइक्रोन में मापा जाता है।

इसका मुख्य कारण धुआं है, जहां भी कुछ जलाया जा रहा है तो समझ लीजिए कि वहां से PM2.5 का प्रोडक्शन हो रहा है। इंसान के सिर के बाल की अगले सिरे की साइज 50 से 60 माइक्रोन के बीच होता है। ये उससे भी छोटे 2.5 के होते हैं।

मतलब साफ है कि इन्हें खुली आंखों से भी नहीं देखा जा सकता। एयर क्वालिटी अच्छी है या नहीं, ये मापने के लिए PM2.5 और PM10 का लेवल देखा जाता है। हवा में PM2.5 की संख्या 60 और PM10 की संख्या 100 से कम है, मतलब एयर क्वालिटी ठीक है। गैसोलीन, ऑयल, डीजल और लकड़ी जलाने से सबसे ज्यादा PM2.5 पैदा होते हैं।दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पंजाब और हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने गलत जानकारी देने पर पंजाब सरकार को फटकार लगाई। हरियाणा सरकार की कार्रवाई से भी सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नजर नहीं आया