अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद डोनाल्ड ट्रम्प सरकार चलाने के लिए अपनी टीम का गठन करने में जुटे हैं। कुछ पदों पर नियुक्तियों के बाद उन्होंने टेस्ला चीफ इलॉन मस्क और भारतवंशी उद्योगपति विवेक रामास्वामी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
मस्क और रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DoGE) विभाग का नेतृत्व करेंगे। DoGE एक नया विभाग है, जो सरकार को बाहर से सलाह देगा। डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे लेकर बयान जारी किया है।
ट्रम्प ने कहा-
मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ये दोनों अद्भुत अमेरिकी मेरे प्रशासन के लिए नौकरशाही को खत्म करने, फिजूलखर्ची में कटौती करने, गैरजरूरी नियमों को खत्म करने और संघीय एजेंसियों के पुनर्गठन का काम करेंगे। ये हमारे ‘सेव अमेरिका’ एजेंडे के लिए जरूरी है।
इसके साथ ही ट्रम्प ने अपनी कैबिनेट में फॉक्स न्यूज के होस्ट पीट हेगसेथ को भी जगह दी है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया है।
ट्रम्प बोले- यह विभाग मैनहटन प्रोजेक्ट बन सकता है ट्रम्प ने DoGE विभाग को लेकर बयान में कहा कि नई व्यवस्था से सरकारी पैसे की बर्बादी करने वाले लोगों में हड़कंप मच जाएगा। रिपब्लिकन नेताओं ने लंबे समय से DoGE के मकसद को पूरा करने का सपना देखा है। यह हमारे समय का द मैनहटन प्रोजेक्ट बन सकता है।
मैनहटन प्रोजेक्ट दरअसल अमेरिकी सरकार का एक प्रोजेक्ट था, जिसका मकसद ब्रिटेन और कनाडा के साथ मिलकर जर्मनी की नाजी सेना से पहले परमाणु बम विकसित करना था।
ट्रम्प ने यह भी कहा कि इस DoGE की जिम्मेदारी 4 जुलाई 2026 को खत्म हो जाएगी। नई जिम्मेदारी मिलने पर मस्क ने कहा- हम नरमी से पेश नहीं आने वाले हैं। वहीं, विवेक रामास्वामी के पोस्ट पर टिप्पणी कर कहा कि हम इसे हल्के में नहीं लेंगे। गंभीरता से काम करेंगे।
मस्क बोले- नए विभाग से सरकार के 2 ट्रिलियन डॉलर बचेंगे मस्क ने कहा कि वे नए विभाग के जरिए सरकारी खर्च में कम से कम 2 ट्रिलियन डॉलर (168 लाख करोड़) की कटौती कर पाएंगे। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इसे असंभव बता रहे हैं। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, मस्क डिफेंस बजट या फिर सोशल सिक्योरिटी जैसे जरूरी प्रोग्राम में कटौती करते हैं, तभी वे ऐसा कर पाएंगे।
ट्रम्प ने सितंबर की शुरुआत में DoGE के गठन का प्रस्ताव रखा था। इससे पहले उन्होंने अगस्त में कहा था कि अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो मस्क को कैबिनेट में पद या फिर अपने प्रशासन में सलाहकार की भूमिका सौंपने पर विचार करेंगे। इसके बाद मस्क ने कहा था कि वह इस जिम्मेदारी को संभालने के लिए तैयार हैं।
ट्रम्प-रामास्वामी को क्यों मिली ये जिम्मेदारी दुनिया के सबसे अमीर शख्स मस्क ने ट्रम्प के कैंपेन में बड़ा रोल निभाया था। वह पहले ऐसे चर्चित बिजनेसमैन रहे, जिन्होंने खुलकर ट्रम्प के पक्ष में प्रचार किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक मस्क ने ट्रम्प के प्रचार में करीब 900 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए।
वहीं विवेक रामास्वामी दवा कंपनी के फाउंडर हैं। ट्रम्प के खिलाफ वह पार्टी के प्राइमरी चुनाव में उतरे थे। बाद में उन्होंने नामांकन वापस ले लिया और ट्रम्प को समर्थन दिया। इसके बाद से वे ट्रम्प के प्रचार-प्रसार में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं।
सेना में काम कर चुके हैं पीट हेगसेथ, इराक और अफगानिस्तान में दी सेवाएं ट्रम्प ने कहा कि पीट ने अपना पूरा जीवन देश के लिए एक योद्धा के रूप में बिताया है। वे सख्त, होशियार और अमेरिका फर्स्ट की नीति में यकीन रखते हैं। हेगसेथ पूर्व में सैनिक के रूप में अफगानिस्तान और ईराक में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
पीट हेगसेथ एक लोकप्रिय टीवी होस्ट हैं। वे दक्षिणपंथी चैनल पर ‘फॉक्स एंड फ्रेंड्स वीकेंड’ के को-होस्ट हैं। हेगसेथ की एक बड़ी फैन फॉलोइंग है। CNN के मुताबिक किसी को यह अंदाजा नहीं था कि ट्रम्प हेगसेथ को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं।
ट्रम्प ने माइक वॉल्ट्ज को NSA बनाया, चीन विरोधी, लेकिन भारत से दोस्ती के हिमायती ट्रम्प ने फ्लोरिडा सांसद माइक वॉल्ट्ज को देश का नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) नियुक्त करने का फैसला किया है। वॉल्ट्ज को चीन-ईरान का विरोधी और भारत समर्थक माना जाता है। वे चीन पर अमेरिका की निर्भरता कम करने से जुड़े कई विधेयकों का समर्थन कर चुके हैं।
वॉल्ट्ज अमेरिकी सेना की स्पेशल यूनिट फोर्स में ‘ग्रीन बेरे कमांडो’ रह चुके हैं और तालिबान के साथ अफगानिस्तान में जंग भी लड़ चुके हैं। उन्होंने अफगानिस्तान से बाइडेन सरकार की सैन्य वापसी का कड़ा विरोध किया था। वे मिडिल ईस्ट और अफ्रीका में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में चार NSA बदले थे। पहले सलाहकार जनरल मैकमास्टर सिर्फ 22 दिन ही पद पर रह पाए थे।
इंडिया कॉकस क्या है, जिससे वॉल्ट्ज जुड़े हैं इंडिया कॉकस अमेरिकी सांसदों का एक ग्रुप है, जो भारत-अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए काम करता है। इसका गठन 2004 में न्यूयॉर्क की तत्कालीन सीनेटर हिलेरी क्लिंटन (डेमोक्रेट्स) और विदेश मंत्री जॉन कॉर्निन (रिपब्लिकन) ने किया था।
इंडिया कॉकस अमेरिकी संसद में भारत के मामलों पर चर्चा करने और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा मंच बन चुका है। इंडिया कॉकस में फिलहाल 40 मेंबर हैं।
इंडिया कॉकस में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के नेता शामिल होते हैं। इसके सदस्य नियमित रूप से भारतीय नेताओं से मिलते हैं और अमेरिकी सरकार को भारत से जुड़े मामलों में सलाह देते हैं।
वॉल्ट्ज इंडिया कॉकस के को-चेयर हैं और भारत के साथ मजबूत रिश्ते बनाए रखने के पक्ष में हैं। साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस के जॉइंट सेशन को संबोधित किया था। उनके इस भाषण की व्यवस्था में वॉल्ट्ज का बड़ा रोल था। उन्होंने ही हाउस स्पीकर केविन मैक्कार्थी से मोदी को आमंत्रित करने की अपील की थी।
मार्को रूबियो बन सकते हैं विदेश मंत्री ट्रम्प ने फ्लोरिडा से सीनेटर मार्को रूबियो विदेश मंत्री बनाने का फैसला किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक फिलहाल उनका नाम आधिकारिक तौर पर तय नहीं हुआ है, लेकिन ट्रम्प उनके नाम पर लगभग सहमति बना चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में विवेक रामास्वामी को भी इस पद का दावेदार माना जा रहा था।
मार्को रूबियो फ्लोरिडा से सीनेटर हैं। उन्हें लातिन अमेरिका मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। वे चीन, ईरान, वेनेजुएला और क्यूबा को लेकर कठोर रुख रखने के लिए जाने जाते हैं। रूबियो पहले रूस के खिलाफ कई बयान दे चुके हैं। लेकिन हाल में वो ऐसा करने से बचते रहे हैं।
रूबियो ने साल 2019 में ट्रम्प को वेनेजुएला के खिलाफ और कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए राजी किया था ताकि वहां के वामपंथी राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से हटाया जा सके। रुबियो इजराइल के कट्टर समर्थक हैं और गाजा जंग के लिए हमास को दोषी मानते हैं।
भारत समर्थक हैं रूबियो, चीनी सामानों पर टैक्स लगाने की मांग की थी रूबियो ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि इंडिया पैसिफिक में अशांति फैलाने में चीन की बड़ी भूमिका है। वह चीनी सामानों पर भारी टैक्स लगाने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि चीन शिंजियांग प्रांत में बसे उइगर मुसलमानों से बेहद कम कीमत पर काम कराता है। ऐसे में दूसरे देशों की कंपनियां उनका मुकाबला नहीं कर पाती हैं।
रूबियो भी भारत समर्थक माने जाते हैं। उन्होंने इस साल जुलाई में अमेरिकी सीनेट में एक बिल पेश किया था, जिसमें उन्होंने भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने और पाकिस्तान पर आतंकवाद प्रायोजित करने का आरोप लगाते हुए पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा मदद रोकने की मांग की थी।