एअर इंडिया ने टर्किश कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया:मेंटेनेंस के लिए तुर्किये नहीं जाएंगे प्लेन; CEO विल्सन बोले- देश भावना का सम्मान जरूरी

एअर इंडिया ने अपने बोइंग 777 विमानों का मेंटेनेंस करने वाली कंपनी टर्किश टेक्निक के साथ कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया है। ये फैसला तुर्किये के पाकिस्तान को सपोर्ट करने के बाद लिया गया है।

कंपनी के CEO और MD कैंपबेल विल्सन ने NDTV से कहा, अगर मौजूदा हालात में बिजनेस जारी रखने में दिक्कत है, तो हम विकल्प तलाशेंगे। हम जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहते हैं।

CEO ने बताया कि कुछ विमान पहले से तुर्की में मेंटेनेंस के लिए भेजे जा चुके हैं। बाकी विमानों की सर्विसिंग के लिए अब भारत सरकार की कंपनी AIESL, अबूधाबी और सिंगापुर जैसे विकल्प देखे जा रहे हैं।

दरअसल ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था, जिसमें टर्किश ड्रोन उपयोग किए गए थे। तभी से सरकार टर्किश कंपनियों के खिलाफ सख्त रुख अपना रही है।

इंडिगो भी खत्म करेगी एग्रीमेंट

इससे पहले डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन यानी DGCA ने 30 मई (शुक्रवार) को कहा कि इंडिगो की टर्किश एयरलाइंस के साथ लीज ड्यूरेशन को आखिरी बार सिर्फ तीन महीने के लिए बढ़ाया जा रहा है। इसके बाद इसे बढ़ाया नहीं जाएगा।

साथ ही DGCA ने इंडिगो से टर्किश एयरलाइंस के साथ लीज एग्रीमेंट खत्म करने को भी कहा है। सरकार से इंडिगो की टर्किश एयरलाइंस के साथ विमान लीजिंग डील पर रोक लगाने की अपील भी की गई थी।

कंपनी सभी सरकारी नियमों का पालन करेगी: CEO

इससे पहले इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स ने शुक्रवार को कहा था कि कंपनी वेट लीजिंग से जुड़े सभी सरकारी नियमों का पालन करेगी, क्योंकि एयरलाइन तुर्की एयरलाइंस के वेट-लीज्ड विमानों का ऑपरेशन कर रही है।

वेट लीजिंग व्यवस्था के तहत विमान देने वाली एयरलाइन ही चालक दल, रखरखाव और बीमा जैसी जिम्मेदारियों को संभालती है। एल्बर्स ने भरोसा दिलाया कि इंडिगो पैसेंजर्स की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे।

15 मई को तुर्कीये की कंपनी सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द की थी

वहीं 15 मई को एविएशन सिक्योरिटी रेगुलेटर BCAS ने “राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में” तुर्कीये की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी थी।

यह कदम तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने और पड़ोसी देश में आतंकवादी शिविरों पर भारत के हमलों की निंदा करने के कुछ दिनों बाद उठाया गया था।