सूखे मौसम से बैटर्स को मदद की उम्मीद:पांच टेस्ट मैचों केी सीरीज का पहला मुकाबला कल से लीड्स में, पिच होगी सख्त और सपाट

भारत का बहुप्रतीक्षित इंग्लैंड टेस्ट दौरा अब बिल्कुल करीब है। पांच टेस्ट की इस सीरीज का पहला मुकाबला शुक्रवार से खेला जाएगा। इस बार लीड्स के हेडिंग्ले मैदान पर टेस्ट सीरीज की शुरुआत हो रही है, जो आमतौर पर इंग्लैंड दौरे का तीसरा टेस्ट होता है। इस बार यहां का मौसम भी कुछ अलग है। फरवरी से यहां बारिश नहीं हुई है और मैदान एकदम सूखा पड़ा है। इससे पिच की तैयारी भी अलग तरीके से की गई है।

पिच 3 दिन पहले तक देखने में हरी जरूर लग रही थी, लेकिन टेस्ट से पहले इसे अच्छे से काटा और रोल किया जाएगा। पिच क्यूरेटर रिचर्ड रॉबिन्सन कहते हैं, ‘हम चाहते हैं कि पिच अच्छी और संतुलित हो, ताकि बल्लेबाज शॉट खेल सकें।’

रॉबिन्सन की इस मैदान से जुड़ी कई यादें हैं। बचपन में यहीं पर उन्होंने 1981 की प्रसिद्ध एशेज सीरीज देखी थी, जिसमें लीड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड फॉलोऑन खेलकर 18 रन से जीत गया था। अब रॉबिन्सन इस ऐतिहासिक मैदान पर एक और टेस्ट की जमीन तैयार कर रहे हैं।

पिच टूटेगी नहीं; मेजबान टीम की कोशिश पहले गेंदबाजी की होगी मौसम विभाग के मुताबिक, टेस्ट के दौरान तापमान 30 डिग्री तक पहुंच सकता है। हालांकि, इतनी गर्मी के बावजूद पिच के टूटने की संभावना कम है। पहले दिन कुछ स्विंग या सीम मूवमेंट जरूर मिल सकता है, लेकिन उसके बाद यह पिच सपाट हो जाएगी।

ब्रेंडन मैक्कुलम के कोच बनने के बाद इंग्लैंड ने 22 में से 16 बार टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी है, जिनमें से उसे 9 मैचों में जीत मिली है। वहीं, 6 बार पहले बल्लेबाजी चुनने वाली टीम सभी मैच हार गई। ऐसे में पिच और मौसम को देखते हुए पहले गेंदबाजी करना फायदेमंद हो सकता है।

इंग्लैंड में लगातार स्विंग; भारत का दुनिया में दूसरा सबसे खराब औसत यहीं भारत के लिए 20 जून से नया युग शुरू होने जा रहा है। इस बार भारतीय टीम कुछ नई चुनौतियों और नए चेहरों के साथ मैदान पर उतरेगी, क्योंकि कोहली और रोहित जैसे दिग्गज अब इस टीम का हिस्सा नहीं हैं। नई कप्तानी की जिम्मेदारी युवा बल्लेबाज शुभमन गिल के कंधों पर है। उनके साथ बल्लेबाजी क्रम में यशस्वी, साई सुदर्शन, करुण, अभिमन्यु ईश्वरन, ध्रुव जुरेल और वॉशिंगटन सुंदर जैसे युवा खिलाड़ी होंगे, जिनमें से ज्यादातर ने इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट नहीं खेला है। ऐसे में यहां की स्विंग गेंदें इन युवाओं की तकनीक की असली परीक्षा लेंगी।

इंग्लैंड की जलवायु, बादल भरा मौसम और हरी-भरी आउटफील्ड स्विंग गेंदबाजी के लिए जानी जाती है। यहां की पिचें सख्त होती हैं और गेंद पूरे मैच में हवा में घूमती रहती है, चाहे वह नई हो या पुरानी। इंग्लैंड में ‘ड्यूक गेंद’ का इस्तेमाल होता है, जिसकी सीम उभरी होती है और यह लंबे समय तक स्विंग करती है। वहीं, भारत जैसे देशों में रिवर्स स्विंग आम है, लेकिन इंग्लैंड की ठंडी और नम परिस्थितियों में यह बहुत कम देखने को मिलती है। भारत ने 1932 से अब तक इंग्लैंड में 121 टेस्ट खेले हैं, जिनमें भारतीय टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों का औसत सिर्फ 30.31 रहा है। यह किसी भी देश में उनका दूसरा सबसे खराब रिकॉर्ड है। सबसे खराब औसत दक्षिण अफ्रीका (28.88) में रहा है।

हेडिंग्ले में अपना पिछला मैच पारी से हारी है भारतीय टीम भारत ने हेडिंग्ले में आखिरी टेस्ट 2021 में खेला था, जिसमें उसे पारी और 36 रन से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, उससे पहले 2002 में खेले गए टेस्ट में भारत ने इंग्लैंड को पारी और 46 रन से हराया था।

कोहली का 2018 का अनुभव भारतीय बैटर्स के लिए सबक 2014 में कोहली इंग्लैंड में पूरी तरह नाकाम रहे थे। उनका 5 टेस्ट में सिर्फ 13.40 का औसत रहा। लेकिन 2018 में उन्होंने वापसी की और दो शतक व तीन अर्धशतकों के साथ 593 रन बनाए। उन्होंने कहा था, ‘इंग्लैंड में आपको कभी यह नहीं लगता कि अब आप सेट हो गए हैं। यहां धैर्य सबसे जरूरी है। चाहे आप 30 रन पर हों या 100 पर- आपको हर गेंद पर वही सतर्कता दिखानी होगी।’