कैसरगंज से बृजभूषण के छोटे बेटे का टिकट पक्का:भाजपा ने बीच का रास्ता निकाला; करण भूषण ने ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई की; अधिकृत ऐलान थोड़ी देर में

कैसरगंज से भाजपा बृजभूषण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को उतार सकती है। इनका नाम तय हो गया है, लेकिन अब तक अधिकृत घोषणा नहीं हुई है। भाजपा ने बीच का रास्ता निकालते हुए बृजभूषण सिंह के बेटे को टिकट देने का निश्चय किया है। भाजपा को आशंका थी कि बृजभूषण का टिकट कटने से ठाकुर बिरादरी नाराज हो सकती है।

बृजभूषण सिंह का 6 सीटों पर प्रभाव है। बृजभूषण सिंह के बड़े बेटे ​​​​प्रतीक भूषण सिंह ने भी इसका ऐलान किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-करण भूषण सिंह को कैसरगंज से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है। ऐसी खबर है कि करण भूषण कल यानी 3 मई को अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं।

कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं करण भूषण
करण भूषण सिंह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। वह पहली बार कोई चुनाव लड़ेंगे। उनका जन्म 13 दिसंबर 1990 को हुआ था। करण की एक बेटी और एक बेटा है।

वह डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने अपने नंदिनी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है।

क्यों कटा बृजभूषण सिंह का टिकट
देश के नामी रेसलर्स बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट समेत कई पहलवानों ने WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ संगीन आरोप लगाए थे। इन पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली में धरना तक दिया। पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन के बाद खेल मंत्रालय ने बृजभूषण शरण सिंह की अध्यक्षता वाले WFI को निलंबित कर दिया था। इसके बाद से माना जा रहा था कि बृजभूषण सिंह का बीजेपी टिकट काट सकती है।

क्यों करण भूषण सिंह को टिकट दिया
UP में राजपूत (ठाकुर) वोटर 6-7 फीसदी हैं। आजादी के बाद UP में इस समुदाय से 5 CM रहे हैं। UP के दो ठाकुर नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। इससे UP की राजनीति में ठाकुर नेताओं के कद को समझ सकते हैं। बृजभूषण शरण सिंह की छवि भी बड़े ठाकुर नेता की है।

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में अधिकांश सिटिंग सांसदों को रिपीट किया है। लेकिन गाजियाबाद से वीके सिंह के टिकट कटने और वेस्ट यूपी की 27 लोकसभा सीटों पर एक भी ठाकुर नेता को टिकट न मिलने से ठाकुर बिरादरी भाजपा से नाराज है। इसी नाराजगी को लेकर सहारनपुर से लेकर गाजियाबाद तक ठाकुर नेताओं ने महापंचायत कर भाजपा की खिलाफत का ऐलान भी किया था।

जिसके बाद ठाकुरों को मनाने के लिए भाजपा को राजनाथ सिंह और सीएम योगी को ग्राउंड पर उतारना पड़ा। योगी को मेरठ में 5, सहारनपुर में 4 सभाएं करनी पड़ीं। राजनाथ सिंह को सहारनपुर और संभल में सभा करनी पड़ी। मुजफ्फरनगर की ठाकुर बेल्ट में योगी को दो सभाएं करनी पड़ीं।

इन सभाओं में योगी और रक्षा मंत्री ने चुनावी मंच से क्षत्रिय नेताओं की तारीफ और क्षत्रिय महापुरुषों की वीरता का बखान कर ठाकुर बिरादरी की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया। गाजियाबाद में भी योगी को 3 सभाएं कर डैमेज कंट्रोल करना पड़ा। इसी वजह से भाजपा ने बीच का रास्ता निकाला है। क्योंकि भाजपा पूर्वांचल में ठाकुरों की नाराजगी का रिस्क नहीं लेना चाहती चाहती है।