गुरुग्राम में कांग्रेस के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया ने जोर पकड़ लिया है। कमान सराय स्थित जिला कांग्रेस कार्यालय में आब्जर्वरों द्वारा आज (19 जून) से प्रत्याशियों के इंटरव्यू शुरू किए जा रहे हैं। बंद कमरे में होने वाली इस वन-टू-वन चर्चा में उम्मीदवारों से संगठनात्मक रणनीति और स्थानीय मुद्दों पर सवाल पूछे जाएंगे।
पूर्व विधायक व ऑब्जर्वर राजकुमार घोड़ेला ने बताया कि 60 से अधिक आवेदनों में से ऑब्जर्वर तीन या 6-6 नाम शॉर्टलिस्ट करेंगे। इसी सप्ताह में इन नामों की लिस्ट हाईकमान को भेजी जाएगी। उसके बाद इस महीने के अंत तक जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह है और आने वाला समय कांग्रेस का होगा।
60 से ज्यादा आवेदन मिले
आब्जर्वरों को तीन दिन तक चली प्रक्रिया के दौरान 60 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए छह नामों की अंतिम सूची तैयार की जाएगी, जिसे कांग्रेस हाईकमान को भेजा जाएगा। हाईकमान इस सूची में से जिलाध्यक्ष के नाम को अंतिम रूप देगा। पिछले दो दिनों से ऑब्जर्वर वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ निजी तौर पर संपर्क कर उनकी राय ले रहे थे, ताकि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और सर्वसम्मति सुनिश्चित हो सके।
इसलिए महत्वपूर्ण है गुरुग्राम
गुरुग्राम जिला कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यह जिला न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से हरियाणा का प्रमुख केंद्र है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी यहां की गतिविधियां पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनती हैं।
भाजपा के गढ़ में सेंध का प्रयास
वर्तमान में गुरुग्राम की राजनीति पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दबदबा है। यहां के मेयर, विधायक और सांसद सभी भाजपा से हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए इस जिले में अपनी जमीन मजबूत करना एक बड़ी चुनौती है। नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके जरिए पार्टी भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश करेगी।
जांच परख रहे ऑब्जर्वर
चयन प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि आब्जर्वरों ने आवेदनकर्ताओं की योग्यता, संगठनात्मक क्षमता और स्थानीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता को परखने के लिए कई मापदंड तय किए हैं। शहरी क्षेत्र में जहां युवा और गतिशील नेतृत्व को प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में अनुभवी और जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं पर विचार किया जा रहा है।
इस प्रक्रिया में स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं की राय को भी महत्व दिया गया है, ताकि चुने गए जिलाध्यक्ष पार्टी के सभी धड़ों को एकजुट कर सकें।
कार्यकर्ताओं में बना उत्साह
गुरुग्राम की राजनीति में कांग्रेस की सक्रियता बढ़ने से कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है। एक कार्यकर्ता ने कहा कि नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति से संगठन को नई दिशा मिलेगी। हम लंबे समय से एक मजबूत नेतृत्व की प्रतीक्षा कर रहे थे, जो भाजपा को टक्कर दे सके। हालांकि कुछ नेताओं का मानना है कि चयन प्रक्रिया में देरी और आंतरिक गुटबाजी संगठन की एकता को प्रभावित कर सकती है।
आब्जर्वरों ने इस बात पर जोर दिया है कि चयन में निष्पक्षता बरती जाएगी और केवल उन नेताओं को मौका दिया जाएगा जो पार्टी के हितों को सर्वोपरि रखें।
खोई जमीन पाना बड़ी चुनौती
राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप नरूला का कहना है कि गुरुग्राम में कांग्रेस की यह पहल आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर की जा रही है। भाजपा की मजबूत स्थिति को चुनौती देने के लिए कांग्रेस को न केवल संगठनात्मक स्तर पर मजबूती चाहिए, बल्कि स्थानीय मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने की भी जरूरत है।
नए जिलाध्यक्षों के सामने यह जिम्मेदारी होगी कि वे पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करें और जनता के बीच कांग्रेस की विश्वसनीयता को बढ़ाएं।
उन्होंने बताया कि कुल मिलाकर में कांग्रेस की यह चयन प्रक्रिया न केवल पार्टी के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है, बल्कि वह हरियाणा में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने के लिए गंभीर है। अगले कुछ दिनों में हाईकमान के फैसले पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।