CJI बोले- जज होना 9 से 5 की नौकरी नहीं:यह देश की सेवा, लेकिन कठिन काम; कॉलेजियम पर कहा- जाति और धर्म चयन के मानदंड नहीं

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई का कहना है कि एक जज अकेले काम नहीं कर सकता है। जज होना नौ से पांच की नौकरी नहीं है। यह राष्ट्र की सेवा है, लेकिन यह एक कठिन काम भी है। CJI गवई छत्रपति संभाजी नगर में बॉम्बे हाई कोर्ट, औरंगाबाद बेंच की एडवोकेट यूनियन की तरफ से रखे गए अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे।

CJI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सभी जजों के सर्वोच्च न्यायालय के रूप में काम करना चाहिए, न कि केवल भारत के मुख्य न्यायाधीश के, इसलिए सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए।

न्याय हर कोने में मिलना चाहिए- CJI

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने गुरुवार को कहा कि वे महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बॉम्बे हाई कोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग का समर्थन करते हैं। न्याय हर नागरिक को हर कोने में उपलब्ध होना चाहिए। बॉम्बे हाई कोर्ट में वर्तमान में मुंबई की मेन बेंच के अलावा गोवा, औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) और नागपुर में सर्किट बेंच हैं।

जस्टिस गवई बोले- एक जज को समाज में घुलना-मिलना चाहिए। इससे समाज की समस्याओं व प्रश्नों को समझा जा सकता है और न्याय के माध्यम से उनका समाधान किया जा सकता है।

हाईकोर्ट की कोल्हापुर बेंच बनाने का सपोर्ट किया

CJI ने कहा- जब भी हाईकोर्ट की कोल्हापुर बेंच की मांग की गई है, मैंने समर्थन किया। औरंगाबाद बेंच का उदाहरण दिया है। औरंगाबाद बेंच में बॉम्बे बेंच की तुलना में ज्यादा मामले दायर किए जाते हैं।

हर सुनवाई के लिए हर किसी के लिए बॉम्बे (मुंबई) आना आर्थिक रूप से संभव नहीं है। हर नागरिक को हर कोने में बिना ज्यादा समय और पैसा खर्च किए न्याय मिलना चाहिए।

जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि केवल कानून की चौखट में रहकर न्याय देना संभव नहीं होता, सामाजिक पहलुओं का भी ध्यान रखना होता है। इसी कारण हम कॉलेजियम के जरिए योग्यता के आधार पर जजों की नियुक्ति पर जोर दे रहे हैं। उम्मीदवार की जाति, धर्म या सामाजिक पृष्ठभूमि चयन के मानदंड नहीं हो सकते।

CJI बोले- संसद नहीं, संविधान सबसे ऊपर, लोकतंत्र के तीनों हिस्से इसके अधीन

CJI गवई ने बुधवार को कहा कि भारत का संविधान सबसे ऊपर है। हमारे लोकतंत्र के तीनों अंग (न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका) संविधान के अधीन काम करते हैं। CJI गवई ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरी राय में संविधान सर्वोपरि है। CJI गवई ने कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को बदल नहीं सकती।