जीएसटी काउंसिल की बैठक में घमासान के आसार, ये राज्‍य मिला सकते हैं बंगाल के सुर में सुर

जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) काउंसिल की आगामी बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों के विरोध के स्वर तेज होने और बैठक के हंगामेदार होने की आशंका है। भाजपा और विपक्षी दलों के बीच कड़वाहट के मौजूदा माहौल का असर इस बैठक में भी दिखने के आसार हैं। खास तौर पर कोरोना से जुड़े तमाम चिकित्सा उपकरणों आदि को पूरी तरह कर मुक्त करने को लेकर विपक्षी दलों की तरफ से दबाव बनाने की तैयारी है।

वित्त मंत्री को लिखा पत्र 

बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने पिछले 15 दिनों में दूसरी बार यह मांग करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भी लिखा है। बैठक 28 मई को होनी है। संकेत हैं कि इस बारे में छत्तीसगढ़, केरल और पंजाब जैसे राज्यों द्वारा बंगाल के सुर में सुर मिलाने से हंगामा हो सकता है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच हो रही जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक में अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा होगी।

जीएसटी क्षतिपूर्ति होगा मुद्दा 

इस बैठक में तनाव का दूसरा मुद्दा जीएसटी क्षतिपूर्ति होने की संभावना है। गैर-भाजपा शासित राज्यों की तरफ से संकेत साफ हैं कि उनके लिए कोरोना से जुड़े सभी तरह के उपकरणों को जीएसटी दायरे से बाहर करना एक महत्वपूर्ण मांग होगी। बंगाल के वित्त मंत्री ने एक दिन पहले सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है, कोरोना से जुड़े सभी तरह के उत्पाद, दवाइयां, वैक्सीन व दूसरे उपकरणों को जीरो रेटेड टैक्स में शामिल किया जाना चाहिए।

इन दवाओं और साधनों से जीएसटी हटाने की मांग

यह फैसला इनके निर्माण से जुड़ी कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलने का रास्ता साफ करेगा। इससे ग्राहकों पर अतिरिक्त टैक्स बोझ नहीं पड़ेगा। उन्होंने लिखा है कि इससे कोरोना प्रभावित लाखों देशवासियों का भला होगा। मित्रा से पहले पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल भी यह मांग कर चुके हैं। बादल ने कोरोना में इस्तेमाल होने वाली सभी तरह की दवाइयों, फेस मास्क, पीपीई किट्स, ग्लब्स, वेंटिलेटर्स, आक्सीमीटर्स आदि पर जीएसटी हटाने की मांग की है।

नजरें केंद्र के फैसले पर 

जीएसटी काउंसिल की अध्यक्ष एवं केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण शुक्रवार की बैठक में इस बारे में क्या रुख अख्तियार करेंगी यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन कुछ दिन पहले उन्होंने स्पष्ट किया था कि अगर कोरोना वैक्सीन पर लागू पांच फीसद जीएसटी हटाया गया तो यह ग्राहकों के लिए उलटा साबित होगा क्योंकि ऐसा करने से मैनुफैक्चर्रस को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा नहीं मिलेगी लिहाजा आशंका है कि वह कीमत का बोझ ग्राहकों पर डाल देंगे।

वैक्सीन के राजस्व का 70 फीसद राज्‍योंं को  

सीतारमण ने यह भी स्पष्ट किया था कि केंद्र सरकार पहले ही कोरोना महामारी में इस्तेमाल होने वाले अधिकांश उत्पादों के आयात को शुल्क व हेल्थ टैक्स से मुक्त कर चुकी है। इन उत्पादों को आइजीएसटी से भी राहत दी गई है। उन्होंने यह भी बताया था कि वैक्सीन से जो भी राजस्व केंद्र सरकार वसूलेगी उसका 70 फीसद हिस्सा राज्यों को मिलेगा।

पिछली बैठक थी हंगामेदार

उन्होंने वैक्सीन निर्माण पर पांच फीसद जीएसटी को घरेलू मैनुफैक्चरिंग कंपनियों और आम जनता के हितों के अनुकूल बताया था। केंद्र के इस रुख में अभी कोई अंतर नहीं आया है। जीएसटी काउंसिल की यह बैठक तकरीबन आठ महीने बाद होने वाली है। राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे की वजह से काउंसिल की पिछली बैठक काफी हंगामेदार रही थी।

अर्थव्यवस्था पर असर को लेकर होगी चर्चा 

उसके बाद जीएसटी संग्रह की स्थिति में लगातार सुधार होने की वजह से इस बारे में राज्यों के गुस्से को काफी हद तक शांत कर दिया गया लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के आर्थिक दुष्प्रभाव की वजह से जीएसटी संग्रह पर भी विपरीत असर पड़ने की बात कही जा रही है। बैठक में कोरोना की दूसरी लहर के राज्यों की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर भी चर्चा होगी। बैठक में आटो उद्योग को कुछ राहत देने को लेकर भी चर्चा हो सकती है। खासकर दोपिहया वाहन उद्योग को जीएसटी रेट में राहत देने की संभावना जताई जा रही है।