Congress internal politics: विस्फोट के मुहाने पर कांग्रेस का अंदरूनी घमासान

बिहार चुनाव की हार के बाद कांग्रेस में नेतृत्व और संगठन की कमजोरी को लेकर शुरू हुई अंदरूनी खटपट धीरे-धीरे गंभीर विवाद की ओर बढ़ने लगा है। पार्टी के मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर करते हुए संगठन की दशा-दिशा पर सवाल उठाने वाले नेताओं की गिनती धीरे-धीरे बढने लगी है। कपिल सिब्बल के दागे गए सवालों की चिंगारी को पी चिदंबरम सरीखे नेता ने सही ठहरा पार्टी में हलचल मचाई ही थी कि गुरूवार को बिहार चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कहा कि किसी भी राज्य में चुनाव जीतने हैं तो संगठन की कमजोरी दूर करने को बड़े स्तर पर बदलाव करने ही होंगे।

कांग्रेस की अंदरूनी गुटीय सियासत गर्म

कांग्रेस के नये अध्यक्ष के लिए जनवरी में प्रस्तावित चुनाव से पहले संगठन की कमजोरी के सवालों से साफ है कि सवाल उठाने वाले नेताओं की तादाद बढ़नी ही है। कपिल सिब्बल की बातों का समर्थन कर चिदंबरम ने बुधवार को कांग्रेस की अंदरूनी गुटीय सियासत को गरमा दिया है। जबकि अखिलेश सिंह ने चाहे हाईकमान पर सीधे उंगली उठाने से परहेज किया मगर पार्टी की कमजोर स्थिति पर बेबाक चर्चा को जरूरी बताया। वहीं सिब्बल पर हाईकमान समर्थक नेताओं की ओर हमले के कारण कई दूसरे वरिष्ठ नेताओं में रोष बढ़ रहा है जो फिलहाल तो चुप है

आत्मंचितन की बजाय हाईकमान का राजहठ

हाईकमान की सियासी लाइन लेंथ से मतभेद रखने वाले एक वरिष्ठ नेता ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा ‘आत्ममचिंतन की बात करने की बजाय वे राजहठ पर उतर गए हैं। ऐसे में तो पार्टी ही समाप्त हो जाएगी। अधीर रंजन चौधरी सरीखे लोग जिस तरह की भाषा बोल अपमानित कर रहे उसको लेकर अंदर काफी गुस्सा है। पार्टी के बहुत सारे नेता कांग्रेस की मौजूदा चिंताजनक हालत से बेचैन हैं और जरूरी समय पर वे सामने खडे होंगे। हम चुपचाप गाली नहीं खाने वाले।’

खड़गे ने दी नसीहत

मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी गुरुवार को कांग्रेस नेताओं को जमकर लताड़ लगाई है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी को कमजोर करने के लिए कांग्रेस नेताओं को ही जिम्मेदार ठहराया और बतौर पार्टी के नेता होने की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा किया। खड़गे ने कहा कि मैं कुछ वरिष्ठ नेताओं (कांग्रेस पार्टी के नेता) की ओर से पार्टी (कांग्रेस) और हमारे नेताओं को लेकर दिए गए बयानों की वजह से आहत हूं। उन्होंने कहा कि एक तरफ हमारे सामने भाजपा-आरएसएस की चुनौती है और दूसरी तरफ हमारी पार्टी की आंतरिक कलह। जब तक हमें हमारे ही लोग कमजोर करते रहेंगे तबतक हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। यदि हमारी विचारधारा कमजोर होती है तो हम खत्म हो जाएंगे।