जानिए- बर्ड फ्लू के बारे में सब कुछ, देश में इसकी वजह से हो चुकी है पहली मौत

देश में एक तरफ जहां कोरोना महामारी अभी खत्‍म नहीं हुई है वहीं दूसरी तरफ जीका वायरस समेत बर्ड फ्लू ने भी दस्‍तक दे दी है। हाल ही में बर्ड फ्लू की वजह से दिल्‍ली के एम्‍स में एक 11 वर्ष के बच्‍चे की मौत भी हो गई है। देश में बर्ड फ्लू से हुई मौत का ये इस वर्ष पहला मामला था। बर्ड फ्लू की दस्‍तक केवल भारत में ही नहीं है बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी इसकी दहशत साफतौर पर देखी जा रही है। पश्चिम अफ्रीकी देश टोगो में इसकी हशत के चलते करीब 800 पक्षियों को मार दिया गया है।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन के राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य आयोग ने 1 जून को खबर दी थी कि वहां के के पूर्वी जिआंगसु प्रांत में बर्ड फ्लू के H10N3 स्ट्रेन का पहला मानव संक्रमण मामला दर्ज किया गया था। आयोग के मुताबिक ये मामला 28 मई को आया था और इससे संक्रमित होने वाला एक 41 वर्षीय व्यक्ति था। H10N3 स्‍ट्रेन H5N8 इन्फ्लुएंजा-ए वायरस का एक उपप्रकार है, जिसे बर्ड फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। ये पक्षियों के लिए अधिक खतरनाक होता है। हालांकि इंसान को इससे कम खतरा होता है।

एच5एन1 वायरस खास तौर पर मुर्गे-मुर्गियों और पक्षियों में होता है। पक्षियों में ये काफी तेजी से फैलता है। इंसान में भी ये इनके ही जरिए आता है। इसकी सबसे पहली बार पहचान चीन में वर्ष 1996 में की गई थी। बर्ड फ्लू के इस वायरस की चपेट में आने से पक्षियों की मौत हो जाती है।

यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि इसी वर्ष जनवरी में लाल किले में 14 कौवे और संजय झील में चार बत्तख की मौत हो गई थी। इसके बाद जब इनके सैंपल की जांच की गई तो ये बर्ड फ्लू से संक्रमित पाई गई थीं। इंसानों के बीच इस वायरस के फैलने को लेकर जानकार मानते है कि इस वायरस में होने वाले बदलावों के चलते ये इंसानों में फैल सकता है। एक रिसर्च में इसके करीब जैविक परिवर्तनों के बारे में भी जानकारी सामने आई है जिनकी वजह से ये इंसानों में फैल सकता है।

ऐसे करें बचाव

बर्ड फ्लू का सबसे अधिक खतरा उन लोगों को है जो पोल्‍ट्री फार्म में काम करते हैं। इनको संक्रमण होने की सबसे अधिक आशंका होती है। ऐसे में इन्‍हें बचाव के सबसे अधिक उपाय भी अपनाने चाहिए। इससे बचने के लिए पोल्‍ट्री फार्म में काम करने वालों को मुंह पर मास्‍क और हाथों में दस्‍तानों का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा हाथों को हमेशा साफ रखने के लिए साबुन या फिर सेनेटाइजर का उपयोग करना चाहिए। पक्षियों के संपर्क में आने के बाद कोशिश करें कि एक बार अच्‍छे से नहा लें और पोल्‍ट्री फार्म में इस्‍तेमाल किए गए कपड़ों को भी अच्‍छे से साफ लें।

ये हैं लक्षण 

इस बीमारी में सर्दी, जुकाम, खांसी, सांस फूलना, मांसपेशियों में दर्द होना, सिर दर्द ठंड के साथ बुखार आना आदि लक्षण होते हैं। ये आमतौर पर बीमार पक्षी के संपर्क में आने से फैलता है। इसके लक्षण सामने आने में करीब 2 से आठ दिन का समय लग जाता है। इसकी रोकथाम के लिए यदि वैक्‍सीनेशन की बात करें तो ये कोविड-19 वैक्‍सीन के करीब दो सप्‍ताह इंफ्लूएंजा वैक्‍सीन ली जा सकती है।