टोक्यो ओलिंपिक में पदकों की उपलब्धि में हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ी अग्रणी रहे हैं। ओलिंपिक में हरियाणा के खिलाडि़यों के शानदार प्रदर्शन और पदकाें की उपलब्धि से राज्य की खेल प्रोत्साहन नीति चर्चा में है। इस कामयाबी से हरियाणा की खेल और खिलाडि़यों को प्रोत्साहन देने की नीति दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन गई है। अंब हरियाणा की नीति को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग उठी है। कई सांसद इसे संसद के मानसून सत्र में उठाएंगे।
मानसून सत्र के दौरान सांसद उठाएंगे हरियाणा की खेल प्रोत्साहन नीति केंद्रीय स्तर पर बनाने की मांग
ओलिंपिक में भारतीय 127 में से 31 इस बार हरियाणा के खिलाड़ी रहे। इन्होंने आठ विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। पुरुष हाकी टीम में हरियाणा के दो खिलाड़ी सुरेंद्र सिंह और सुमित कुमार हैं। इसके अलावा देश को मिला एकमात्र स्वर्ण पदक भी हरियाणा के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में जीतकर दिया है। ऐसे में ओलिंपिक में पदकों की इस उपलब्धि से हरियाणा की खेल प्रोत्साहन नीति दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण और प्रेरक बनेगी।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि ओलिंपिक की छह व्यक्तिगत खेल प्रतिस्पर्धाओं में भारत ने पदक जीते हैं और इनमें से भी तीन में हरियाणा के खिलाड़ी जीते हैं। भाला फेंक प्रतियोगिता में नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण, कुश्ती में रवि दहिया ने रजत तो बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीता है। पदकों की इस उपलब्धि में हरियाणा की खेल प्रोत्साहन नीति भी एक बड़ा कारण है। खेल नीति खिलाडि़यों को मौका देने के अलावा बेहतर प्रशिक्षण भी देती है। आíथक सहयोग भी देती है। दुष्यंत ने कहा कि नीरज चोपड़ा ने तो कमाल कर दिया है।
टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय खिलाडि़यों के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए पूरा देश उनका स्वागत कर रहा है। नीरज चोपड़ा ने तो भाला फेंक प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर जहां देश का नाम रोशन किया है वहीं हरियाणा के स्वíणम इतिहास को चार चांद लगाए हैं। हरियाणा की खेल प्रोत्साहन नीति खिलाडि़यों के लिए काफी सार्थक साबित हो रही है। हरियाणा के खिलाडि़यों ने खेल प्रोत्साहन नीति का सदुपयोग किया है। हम चाहते हैं कि इस तरह की नीति केंद्रीय स्तर पर बने। संसद के मानसून सत्र में हम इस विषय को अवश्य उठाएंगे।
हरियाणा की खेल नीति ने निश्चित तौर पर खिलाडि़यों को प्रोत्साहित किया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि खेलों को आगे बढ़ाने के लिए अब ऐसी नीति केंद्रीय स्तर पर भी बननी चाहिए। हम केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के समक्ष भी यह प्रस्ताव रखेंगे। केंद्र सरकार हरियाणा की खेल नीति को आगे बढ़ाती है तो भी हरियाणा के खिलाडि़यों के लिए पहले से सरकार की नीति को यथावत रखा जाएगा।
इन खेल स्पर्धाओं के पदक विजेताओं को दी जाती हैं सरकारी नौकरियां
हरियाणा में गत वर्ष खेल बजट में 202 फीसद की बढ़ोतरी की गई। ओलिंपिक, पैरा ओलिंपिक, यूथ ओलिंपिक, चार वर्ष में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स, पैरा एशियन, यूथ एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स (पैरा एथलीट) के पदक विजेताओं को नकद राशि के अलावा सरकारी नौकरी भी दी जाती है।
खेल विभाग खिलाड़ी का खेल में उपलब्धि के आधार पर ग्रेड तय करता है। ए ग्रेड का खिलाड़ी हरियाणा में के सभी ग्रुपों में नौकरी का योग्य होगा। बी ग्रेड का खिलाड़ी ए के अलावा अन्य सभी ग्रुपों में नौकरी के लिए योग्य होगा। सी ग्रेड का खिलाड़ी हरियाणा में सभी सी व डी ग्रेड की नौकरियों के लिए योग्य होगा। डी ग्रेड का खिलाड़ी केवल डी ग्रुप की नौकरियों के लिए योग्य होगा।
राज्य में 350 खेल नर्सरियों की संख्या एक हजार कर दी गई है। इनमें 500 कोच प्रशिक्षण देने जाते हैं। ओलिंपिक में स्वर्ण पदक विजेता को छह करोड़, रजत पदक विजेता को चार करोड़ और कांस्य पदक विजेता को 2.5 करोड़ रुपये की नकद राशि देने के अलावा इस बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चौथे नंबर पर रहने वाले को भी 50 लाख रुपये की नकद राशि देने का ऐलान किया है। खेल प्रोत्साहन के लिए इतनी बड़ी राशि देश में अन्य कोई राज्य नहीं देता।