अगले साल होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 में अनुसूचित जाति का समर्थन हासिल करना भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। माना जाता है कि इस वर्ग में कमजोर पकड़ की वजह से पार्टी वर्ष 1998 से दिल्ली की सत्ता से दूर है। नगर निगम चुनाव में जीत दोहराने के लिए भी जरूरी है कि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को अनुसूचित जाति का समर्थन मिले। मार्च में हुए उपचुनाव में आरक्षित वार्ड में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा था। इसे देखते हुए पार्टी ने आरक्षित सीटों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। इसकी जिम्मेदारी अनुसूचित जाति मोर्चा को दी गई है। मोर्चा पूरी दिल्ली में दो हजार के करीब बैठकें आयोजित करेगा।
46 वार्ड में से 21 में भाजपा
दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी की ओर से पूरी दिल्ली में अभियान चलाया गया था। रामलीला मैदान में रैली करने के साथ ही अलग-अलग अनुसूचित जातियों के लिए सामाजिक सम्मेलन आयोजित किए गए थे बावजूद इसके विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा था। हालांकि, लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस वर्ग का अच्छा समर्थन मिला था। पार्टी निगम चुनाव में लोकसभा की तरह प्रदर्शन दोहराने की कोशिश में है। तीनों निगमों में आरक्षित 46 वाडरें में से 21 पर भाजपा का कब्जा है।
कल्याणकारी नीतियों का प्रचार
मोर्चा के कार्यकर्ता नरेन्द्र मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रचारित करने के साथ ही दिल्ली में केंद्र की योजनाओं को लागू नहीं करने के बारे जनता को बताएंगे। प्रदेश प्रभारी राम अवतार बाल्मीकि का कहना है कि केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू न करके आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार दिल्ली में अनुसूचित वर्ग को उसके लाभ से वंचित रख रही है।
प्रदेश कार्यकारिणी में बनी रणनीति
गत दिवस मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी में अनुसूचित जाति से जुड़े मुद्दों और नगर निगम चुनाव को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। अगले तीन माह के लिए कार्यक्रम तय किए गए। बूथ व मंडल स्तर पर बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिससे कि कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया जा सके।