गौतमबुद्ध नगर जिले के सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के वार के बाद अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रकरण में नियम के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई की जांच के लिए तत्काल शासन स्तर पर एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की अपनी नीति के तहत सीएम योगी आदित्यनाथ ने शासन को निर्देश दिया है कि 2004 से 2017 तक इस प्रकरण से जुड़े रहे प्राधिकरण के सभी अफसरों की सूची बनाकर जवाबदेही तय करें।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनहित को बड़ा नुकसान करने वाले इस प्रकरण में समयबद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करें। इतना ही नहीं इस प्रकरण में एक-एक दोषी अधिकारी को चिन्हित कर उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराएं। गौतमबुद्ध नगर के सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के हथौड़े के बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कार्रवाई की तलवार निकाल ली है। उन्होंने जांच एसआइटी से कराने का निर्देश देने के साथ ही बिल्डर के साथ मिलीभगत करने वाले एक-एक अधिकारी-कर्मचारी को चिन्हित कर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि नोएडा विकास प्राधिकरण सहित विभिन्न विभागों के सभी छोटे व बड़े अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका की गहन जांच कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अक्षरश: पालन करते हुए इस मामले में निवेशकों की पाई-पाई लौटाई जाएगी।
गौरतलब है कि नोएडा प्राधिकरण की मिलीभगत से नियम विरुद्ध तरीके से बनाए गए सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर्स को ध्वस्त करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने बुधवार के बाद गुरुवार को भी अपने सरकारी आवास पर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। उन्होंने कहा कि 2004 से 2012 के बीच अलग-अलग समय पर प्रोजेक्ट को अनुमति दी जाती रही। इसमें तत्कालीन अधिकारियों-कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका पाई गई है।
उच्चतम न्यायालय के ताजा आदेश के अक्षरश: पालन के निर्देश देते हुए कहा कि आम आदमी के हितों से खिलवाड़ करने वाला एक भी दोषी न बचे, इसके लिए एक विशेष समिति गठित कर जांच कराई जाए। सीएम के निर्देश के बाद जांच कमेटी गठित कर दी गई है। मामला 2004 से 2012 के बीच का है। इस दौरान प्रदेश में सपा और बसपा की सरकार रही है। उसके बाद जब मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गया, तब भी अधिकारी बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए तथ्यों को छुपाते रहे। ऐसे में जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर अब तो कई अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई तय है।
यह है सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामला
– प्रकरण लगभग 10 वर्ष पुराना है। ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या जीएच 4, सेक्टर-93 ए, नोएडा का आवंटन और मानचित्र स्वीकृति का मामला वर्ष 2004 से 2012 के बीच का है। भूखंड का कुल क्षेत्रफल 54815 वर्ग मीटर है। मानचित्र स्वीकृति समय-समय पर वर्ष 2005, 2006, 2009 और 2012 में दी गई।
– 2012 में रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें मुख्य बिन्दु यह उठाया गया कि नेशनल बिङ्क्षल्डग कोड-2005 और नोएडा भवन विनियमावली-2010 में दिए प्रविधानों के विपरीत टावर संख्या टी-16 और टी-17 के बीच न्यूनतम दूरी नहीं छोड़ी गई है। वहां रहने वाले निवासियों से सहमति नहीं ली गई है।
– अप्रैल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टावर संख्या टी-16 व टी-17 को ध्वस्त करने के साथ-साथ बिल्डर व प्राधिकरण के तत्कालीन दोषी कार्मिकों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई का आदेश दिया।
– हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष याचिका पर 31 अगस्त, 2021 को विस्तृत आदेश आया।
– सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि टावर संख्या टी-16 और टी-17 को तीन माह के अंदर सुपरटेक लिमिटेड के खर्च पर सीबीआरआइ की देखरेख में ध्वस्त किया जाए। दोनों टावरों के जिन आवंटियों को धनराशि वापस नहीं की गई है, उन्हें 12 फीसद ब्याज के साथ पैसा वापस किया जाए।
प्राधिकरण के तत्कालीन चीफ इंजीनियर यादव ङ्क्षसह को छोड़कर घोटालों में संलिप्त रहे बाकी अधिकारी अब भी खुले घूम रहे। कई अधिकारियों ने तो बिल्डर प्रोजेक्टों में अपना पैसा तक निवेश कर रखा है। पांच हजार करोड़ के फार्म हाउस घोटाला में नहीं हुई कार्रवाई
2008 से 2010 में नोएडा प्राधिकरण में फार्म हाउस घोटाला हुआ। इसमें प्राधिकरण अधिकारियों ने जनहित का हवाला देकर औद्योगिक इस्तेमाल के नाम पर 888 रुपये वर्ग मीटर की दर से किसानों से जमीन खरीदी। विकसित करने के बाद यह जमीन प्राधिकरण को 9,183 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिली। नियमानुसर प्राधिकरण को यह जमीन उक्त दर से अधिक पर बेचनी चाहिए थी, लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने प्राधिकरण को अरबों रुपये का नुकसान पहुंचाते हुए जमीन को मात्र 3,100 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से आवंटित कर दिया। जमीन पर दस-दस हजार वर्ग मीटर के 168 फार्म हाउस तैयार किए गए थे।
होटल आवंटन घोटाला
नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव सरन व अध्यक्ष राकेश बहादुर के कार्यकाल में कामनवेल्थ गेम में बेहतर सुविधाएं देने के नाम पर वर्ष 2006 में 14 होटलों को प्लाट का आवंटन मात्र सात हजार 400 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर पर किया था। यहां पर जमीन का आवंटन कामर्शियल दरों पर किया जाना चाहिए था। इससे प्राधिकरण को अरबों रुपये मिलते, लेकिन जमीन का आवंटन औद्योगिक दरों पर किया गया। इससे प्राधिकरणों को अरबों रुपये का नुकसान हुआ, जो पैसा प्राधिकरण को मिलता व अधिकारियों के पास चला गया।