Delhi Excise Policy: शराब की दुकानों के लाइसेंस बेच कर दिल्ली सरकार ने कमाए 9000 करोड़ रुपये

दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार को शराब की दुकानों के लाइसेंस बेच कर 8917 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। यह राशि पिछले साल की अपेक्षा 2517 करोड़ अधिक है। सरकार ने नई आबकारी नीति के माध्यम से एक झटके में ही इतनी राशि कमा ली है। हालांकि दिल्ली सरकार की उम्मीद से कम आबकारी राजस्व रहा है। दिल्ली सरकार अनुमान लगा रही थी कि दिल्ली में शराब दुकानों के लाइसेंस से 10 हजार करोड़ से ऊपर राजस्व रहेगा, मगर ऐसा नहीं हुआ है। सरकार को शराब की दुकानों के लाइसेंस बेचकर जो राजस्व मिला है वह 8917 करोड़ रहा है। इसका कारण कुछ जोन में दुकानों के लाइसेंस के लिए बोली का कम लगना है।

दिल्ली सरकार ने सभी 32 जोन के तहत खुलने वाली 849 दुकानों के लिए 7041 रिजर्व प्राइज रखा था। सभी जोन मिलाकर 8917 करोड़ का राजस्व मिला है। जिससे सरकार को रिजर्व प्राइज से 1876 करोड़ का अतिरिक्त लाभ हुआ है।

25 वार्ड में 1 अक्टूबर से नहीं बचेगी एक भी शराब की दुकान

दिल्ली के 25 निगम वार्ड में एक अक्टूबर से एक भी शराब की दुकान नहीं रह जाएगी। से सभी दुकानें बंद हो जाएंगी। इससे पहले से ही 272 निगम वार्ड में से 80 निगम वार्ड में शराब की दुकानें नहीं हैं। दिल्ली लिकर एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश गोयल का कहना है नई शराब की दुकानें खुलने से 46 दिन पहले 260 शराब की दुकानों को बंद कर देना उचित फैसला नहीं है। इससे कोरोना काल में भगदड़ मचेगी, लोगों को परेशानी होगी। इसलिए सरकार को इस बारे में पुन:विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुकानें बंद होने और खुलने के बीच गैप नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि वह इसे लेकर हाई कोर्ट गए हैं। जिस पर कल सुनवाई है। उन्होंने बताया कि बंद होने वाली प्राइवेट दुकानों में सबसे अधिक दुकानें पटपड़गंज की 14 हैं। शकूरपुर की आठ, शालीमाग बाग दक्षिणी की छह व वेलकल कालोनी की तीन दुकानें मुख्यरूप से शामिल हैं।