हरियाणा में अब अनअप्रूव्ड (अनाधिकृत) कालोनियों में प्लाटों की रजिस्ट्री नहीं होगी। प्रदेश सरकार ने अवैध कालोनियों में तुरंत प्रभाव से प्लाटों की रजिस्ट्री बंद करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही लोगों को ऐसी कालोनियों में प्लाट नहीं खरीदने की सलाह दी है। इसके अलावा नई अवैध कालोनियां नहीं पनपने देने के लिए स्थानीय स्तर पर अफसरों की जवाबदेही तय की जाएगी।
प्रदेश के हर शहर और कस्बों के बाहरी इलाकों में तेजी से अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। इनमें बुनियादी सुविधाओं के नाम पर लोगों को कुछ नहीं मिलता। प्रदेश में फिलहाल करीब 1200 अवैध कालोनियां हैं जिन्हें सरकार ने मंजूरी देने की तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पहले 31 मार्च 2015 से पहले विकसित उन अवैध कालोनियों को नियमित करने की घोषणा की थी जिनमें 50 फीसद से ज्यादा मकान बन चुके हैं।
बाद में सरकार ने दो कदम और बढ़ाते हुए विधानसभा के मानसून सत्र में हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन संशोधन विधेयक में बदलाव कर दिया। इसके तहत अब तक की सभी अवैध कालोनियों को नियमित किया जाएगा। इससे इन कालोनियों में लोगों को बिजली, पानी, सीवरेज और सड़कों की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी।
सरकार द्वारा अवैध कालोनियों को मंजूरी देने की घोषणा के बाद से ही नियमों को ताक पर रखकर जमीन की रजिस्ट्रियों का खेल शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस पर संज्ञान लेते हुए तुरंत प्रभाव से अवैध कालोनियों में जमीन की रजिस्ट्री रोकने के निर्देश दिए हैं। साथ ही गलत तरीके से रजिस्ट्री करने में शामिल अधिकारियों पर लगाम कसने को कहा है। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगस्त के बाद पनपने वाली अवैध कालोनियों को कतई मान्यता नहीं दी जाएगी।
सर्वे के साथ पालिसी पर चल रहा मंथन
1200 अवैध कालोनियों को नियमित करने के लिए सर्वे कराया जा रहा है। साथ ही पालिसी बनाई जा रही है जिसमें यह तय किया जाएगा कि सुख-सुविधाएं देने तथा इन कालोनियों को नियमित करने के लिए बिल्डरों-कालोनाइजरों और मकान मालिकों को कितना भुगतान करना होगा। पालिसी तैयार होने तक किसी भी अवैध कालोनी और उनमें रहने वाले मकान मालिकों के खिलाफ किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
..ताकि न कटें नई कालोनी
बिल्डर व कालोनाइजरों में नई कालोनियां काटने की आपाधापी रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है। कालोनियों का धरातल पर निरीक्षण करने के बाद संबंधित शहरी निकाय कालोनी को नियमित करने का प्रस्ताव बैठक में करेंगे। फिर जिला उपायुक्त व मंडलायुक्त के माध्यम से होते हुए फाइल मंजूरी के लिए प्रदेश सरकार तक पहुंचेगी। सर्वे में पता लगाया जाएगा कि प्रदेश में कितनी ऐसी कालोनियां हैं जो संशोधित फैसले के दायरे में आती हैं।