Skandmata Puja: मां दुर्गा के पांचवे रूप को स्कंदमाता कहा जाता है। नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता के पूजन का विधान है। पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि 10 अक्टूबर को पड़ रही है। स्कंदमाता का स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में पूजन होता है। स्कंदमाता शेर को अपना वाहन बनती हैं और गोद में भगवान कार्तिकेय को धारण करती हैं। इनके पूजन से संतान प्राप्ति होती है तथा मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। जो भी भक्त नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता का विधि पूर्वक पूजन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजन विधि और मंत्र….
स्कंदमाता की पूजन विधि
नवरात्रि की पंचमी तिथि के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर , मां की प्रतिमा या चित्र एक चौकी पर स्थापित करें। सबसे पहले गंगा जल छिड़क कर मूर्ति को शुद्ध कर लें। स्कंद माता की पूजा में उनकी प्रतिमा के साथ एक चौकी पर भगवान गणेश, वरुण, नवग्रह और सप्तमातृका की स्थापना की जाती है। सप्तमातृकाओं को सिदूंर की सात बिंदियां लगाकर स्थापित करें, इनको भी स्कंद की माता के रूप में पूजा जाता है। इसके बाद सिंदूर, रोली, धूप, दीप, फूल,फल और नैवेद्य चढ़ाएं। इसके बाद दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें तथा स्कंद माता के मंत्रों का जाप करें। पूजन के अंत में मां की आरती का गान करना चाहिए।
स्कंदमाता की पूजा के मंत्र
1-ऊँ स्कन्दमात्रै नम:
2- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
3- या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
4-सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
5-महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी।
त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि।।
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