शहर में जगह-जगह जो डलाव घर अक्सर गंदगी का पर्याय बनते हैं उनको बंद करने के साथ उनका सदुपयोग करने के लिए निगम ने नीति को मंजूरी दे दी है। नीति के तहत इन डलाव घरों में मनोरंजन केंद्र या पुस्तकालय आदि खोलने के लिए रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए), मार्केट एसोसिशएशन व गैर सरकारी संगठनो को दिया जाएगा। वहीं, जिनका कोई उपयोग नहीं किया जा सकता निगम उन्हें ध्वस्त कर अन्य परियोजनाओं के लिए उपयोग करेगा। साथ ही प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए भी इन बंद किए गए डलावों का उपयोग होगा।
निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष जोगीराम जैन ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत निगम विभिन्न मुद्दों पर कार्य कर रहा है। इसमें ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग किया जाना है साथ ही हम दिल्ली को डलाव मुक्त करने की ओर कार्य कर रहे हैं। इसके तहत निगम ने 246 डलाव घर बंद कर दिए हैं और 100 डलाव घर दिसंबर तक बंद हो जाएंगे।
इन डलावों का उपयोग अब तक कूड़ा डालने के लिए होता था। इससे गदंगी फैलती थी। ऐसे में निगम ने इन डलावों के स्थान पर फिक्स कांपेक्टर ट्रांसफर स्टेशन (एफसीटीएस) स्थापित किए हैं। जिस स्थान पर यह एफसीटीएस लग जाता है वहां के आस-पास के करीब चार डलाव बंद करने का रास्ता खुल जाता है।
उन्होंने बताया कि निगम स्वयं तो इन बंद पड़े हुए डलावों का सदुपयोग तो करेगा ही, लेकिन स्वयंसेवी संगठन और आरडब्ल्यूए और मार्केट एसोसिएशन भी इनका सदुपयोग जनहित में करना चाहे तो उनको भी इसका अवसर दिया जाएगा। इसके तहत यह प्रस्ताव पारित किया गया है। फिलहाल यह पांच वर्ष के लिए दिए जाएंगे। अगर, कोई अच्छा कार्य करेगा तो उसे आगे और बढ़ाया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि उत्तरी निगम क्षेत्र में 90 लाख की जनसंख्या है और निगम के 104 वार्ड हैं।
किस जोन में कितने बंद हुए डलाव
- जोन बंद डलावों की संख्या
- सिविल लाइंस 36
- केशवपुरम 71
- करोल बाग 10
- शहरी सदर पहाड़गंज 9
- रोहिणी 113
- नरेला 7