रविवार की झमाझम बारिश से फिलहाल भले ही दिल्ली-एनसीआर के लोग साफ हवा में सांस ले पा रहे हों, लेकिन दो-तीन दिन में ही यह राहत खत्म हो जाएगी। एक बार फिर सांसों का आपातकाल लगने का समय आ गया है। बुधवार से ही एयर इंडेक्स बढ़ना शुरू हो जाएगा। सप्ताहांत तक यह खराब श्रेणी में पहुंच जाएगा। इसके बाद फिर इसमें लगातार इजाफा होगा। सफर इंडिया ने एक से 20 नवंबर तक की समयावधि को दिल्ली-एनसीआर के लिए बेहद चिंताजनक बताया है। इस दौरान एयर इंडेक्स गंभीर श्रेणी में भी पहुंच सकता है। इसकी वजह से दिल्ली-एनसीआर में दीवाली इस बार भी दमघोंटू हवा में ही मनेगी।
इस साल अक्टूबर के आखिरी सप्ताह तक भी प्रदूषण नियंत्रण में रहा तो इसकी वजह मौसम की मेहरबानी रही। देर तक सक्रिय रहे मानसून से धूल प्रदूषण भी नियंत्रण में था और पराली भी अपेक्षाकृत कम जली। लेकिन, सोमवार को देशभर से मानसून विदा हो गया। अगले 10 दिनों तक किसी भी पश्चिमी विक्षोभ अथवा बारिश की संभावना नहीं है। पराली जलाने की घटनाओं में भी अब तेजी से इजाफा होगा।
मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार से हवा की दिशा भी पूर्वी और उत्तर पूर्वी से उत्तर पश्चिमी हो गई है। इसके साथ पहाड़ों की ठंडक और पराली का धुआं दोनों दिल्ली तक पहुंचेंगे। हवा की रफ्तार भी पांच से आठ किमी प्रति घंटा यानी कम रहेगी। दीवाली पर अगर थोड़े बहुत भी पटाखे जले तो हवा की गुणवत्ता और अधिक खराब होगी।
सेंटर फार साइंस एंड एन्वार्यमेंट (सीएसई) द्वारा चार दिन पहले ही जारी की गई एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अक्टूबर और नवंबर के आसपास प्रदूषण में पराली की भूमिका 40 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। इस बार बारिश अधिक दिनों तक होने के कारण अभी ज्यादा पराली नहीं जलाई गई है। इस बात की आशंका है कि बारिश खत्म होने पर एक साथ बड़े स्तर पर पराली जलाई जाए। ऐसे में नवंबर के पहले सप्ताह में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ सकता है।