महंगाई को देखते हुए RBI ने ब्याज दरों में नहीं की कमी, जानिए कब तक मिल सकती है ऊंची मुद्रास्फीति से राहत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार तीसरी द्विमासिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक महंगाई दर के काफी ऊंचे स्तर पर बने रहने के कारण आरबीआई के पास ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं बची थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि सर्वसम्मति से रेपो रेट को चार फीसद पर बनाए रखने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि MPC ने पॉलिसी को लेकर रुख को उदार बनाए रखा है। इससे आने वाले समय में परिस्थितियां उपयुक्त होने पर ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।

दास ने कहा कि महंगाई के बने रहने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 7.6 फीसद पर पहुंच गई, जो केंद्रीय बैंक के 2-6 फीसद के लक्ष्य से काफी ज्यादा है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में महंगाई दर के 6.8 फीसद और जनवरी-मार्च तिमाही में 5.8 फीसद के आसपास रहने का अनुमान लगाया है।

केंद्रीय बैंक का मानना है कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में महंगाई की दर 5.2 फीसद से 4.6 फीसद के बीच रह सकती है।

उन्होंने कहा, ”महंगाई दर के उच्च बने रहने के आसार हैं।”

दास ने कहा कि इस वजह से मौजूदा वक्त में मौद्रिक नीति में कटौती की गुंजाइश नहीं बचती है।

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभिक बरुआ ने इस संदर्भ में कहा है कि उम्मीदों के मुताबिक आरबीआई ने पॉलिसी रेट को चार फीसद पर अपरिवर्तित रखा और नीतिगत रुख को उदार बनाए रखा। कुछ हलकों में यह बात चल रही थी कि मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव के चलते सिस्टम में बढ़ती लिक्विडिटी को देखते हुए केंद्रीय बैंक कदम उठा सकता है। मौद्रिक नीति को लेकर आरबीआई का बुधवार का ऐलान इस बात को दिखाता है कि आरबीआई इस समय महंगाई दर को मुख्य रूप से सप्लाई से जुड़ी समस्या मानकर चल रहा है और मजबूत रिकवरी के पुख्ता संकेत मिलने तक यह महंगाई दर को लेकर उदारता दिखा सकता है।