किसान आंदोलन अब टूटने लगा है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी को 25 नवंबर को अंबाला से प्रस्तावित किसान यात्रा रद करना पड़ गया। उन्होंने आरोप लगाए कि संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ नेता उनकी अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने किसान आंदोलन के नेतृत्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि आपसी मतभेद की वजह से किसान आंदोलन की एकजुटता पर भी असर पड़ रहा है। दो दिन पहले भी राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़ूनी करनाल में थे। हालांकि दोनों एक साथ नजर नहीं आए।
भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने साफ शब्दों में आरोप लगाया कि संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ नेता उन्हें बाइपास करना चाहते हैं। मोर्चा में आपसी फूट की बात नकारते हुए उन्होंने कहा कि सभी एकजुट हैं और किसी भी कीमत पर कृषि कानून विरोधी आंदोलन को विभाजित नहीं होने दिया जाएगा। भले ही इसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े।
पैदल यात्रा 25 नवंबर को प्रस्तावित थी। यात्रा अंबाला से शुरू होकर टिकरी बार्डर तक जानी थी। चढ़ूनी ने बताया कि कुछ लोगों ने 24 नवंबर को भी यात्रा रख दी है। आपस में आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। चढ़ूनी ने कहा कि आठ माह पूर्व बनी संयुक्त किसान मोर्चा की हरियाणा कमेटी में मुझे अध्यक्ष बनाया गया था। जबकि अब एक और नकली कमेटी बना दी गई ताकि हरियाणा के लोगों में फूट डाली जा सके। हालांकि, इस कमेटी की बैठक में भी 24 नवंबर की किसी यात्रा का प्रस्ताव पारित नहीं हुआ।
15 नवंबर को एक बार फिर किसान नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़ूनी करनाल में थे। इस दौरान राकेश टिकैत ने पत्रकारों से बातचीत भी की। लेकिन उनके साथ गुरनाम सिंह चढ़ूनी नजर नहीं आए।
करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा में लाठीचार्ज के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने किसान महांपचायत का आह्वान किया था। इसमें राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव को नहीं आना था। बाद में दोनों पहुंच गए थे। पंचायत के दौरान भी दोनों किसान नेताओं में दूरियां दिखी थीं।