अब मुस्लिम नेता ने कहा- कृषि कानूनों की तरह संशोधित नागरिकता कानून भी हो निरस्त

कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बाद मुस्लिम नेताओं ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को भी निरस्त किए जाने की मांग की है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा, ‘हम अब सरकार से सीएए-एनआरसी जैसे अन्य कानूनों पर भी विचार करने का आग्रह करते हैं। हमें खुशी है कि पीएम ने आखिरकार किसानों की मांगों को मान लिया है।’

इधर जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘सीएए के खिलाफ हुए आंदोलन ने किसानों को कानूनों के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रोत्साहित किया था। सीएए कानून भी वापस लेना चाहिए। मजलिस-ए-मुशावरत के प्रमुख नावेद हमीद ने भी कहा कि सीएए और यूएपीए सहित सभी कड़े कानूनों को वापस लेने की जरूरत है।’

कृषि कानूनों को रद करने के फैसले कई लोगों ने आपत्ति जताई है। जानकारों का मानना है कि इससे कृषि सुधारों को बड़ा झटका लगेगा। वहीं, ये भी कहा जा रहा था कि अगर विरोध प्रदर्शन के कारण किसी कानून को वापस ले लिया जाएगा, तो कई और विरोध के स्‍वर दूसरे कानूनों के लिए सुनाई देंगे। अब वही होता दिखाई दे रहा है। कृषि कानून के बाद अब मुस्लिम नेता सीएए को निरस्‍त करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में तो संसद के कानून बनाने का कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा।

दरअसल, इससे विपक्ष को लगेगा कि सरकार पर निरंतर दबाव बनाकर उसे झुकाया जा सकता है। हालिया, उपचुनावों के मिश्रित नतीजों के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एकाएक कटौती से विपक्ष को पहले ही इसका स्वाद लग गया है। अब अगले दो वर्षों में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, तो इससे बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने की सरकारी क्षमता सीमित हो जाएगी। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून, अनुच्छेद 370 और श्रम कानूनों जैसे उसके अन्य कदमों पर भी पेच फंस सकता है।