कोरोना काल में आनलाइन पढ़ाई करने वाले बच्चों की आंखों पर असर पड़ा है। इनमें अधिकतर बच्चों की आंखों की रोशनी कम हुई है। इस बीमारी को डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, डिजिटल उपकरणों के ज्यादा प्रयोग से अधिकतर बच्चों और किशोरों में यह बीमारी बढ़ रही है। ऐसे में सलाह दी गई है कि आनलाइन पढ़ाई करने वाले बच्चों के अभिभावकों को उनकी आंखों की जांच जरूर करानी चाहिए। यह कहना है सेंटर फार साइट ग्रुप आफ आई हास्पिटल्स के चेयरमैन व चिकित्सा निदेशक डा. महिपाल सिंह सचदेव का।
उन्होंने कहा कि इस डिजिटल युग में खासकर कोरोना के दौर में आनलाइन पढ़ाई करने वाले 25 प्रतिशत बच्चों की नजर प्रभावित हुई है। इस खामी को दूर करने के लिए अगर शुरुआती चरण में ही दृष्टिदोष की पहचान कर ली जाए तो नजर कमजोर होने की रफ्तार रोकी जा सकती है। इसके लिए सही जांच के बाद सुझाए गए चश्मे लगाना, लेंस लगाना या लेजर विजन सुधार कराना बहुत जरूरी है। इसके लिए सेंटर फार साइट ने बड़े स्तर पर देश भर में कार्य करने की योजना बनाई है।
यहां पर बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पिछले डेढ़ साल से भी अधिक समय से दिल्ली-एनसीआर समेत समूचे देश के स्कूलों में आनलाइन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। हालांकि, धीरे-धीरे स्कूल खोले जा रहे हैं, लेकिन आनलाइन कक्षाओं का विकल्प बरकरार रखा गया है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं आनलाइन के जरिये पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें 9वीं कक्षा से नीचे की कक्षाएं ज्यादा हैं। मां-बाप को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें और संभव तो दिन में दर्जनभर पर नेचुरल लाइट के संपर्क में जरूर ले जाएं।