Haryana Recruitment Scam: हरियाणा में भर्ती माफिया निशाने पर है और सरकारी नियुक्तियों में गड़बड़ी करने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है। राज्य में डेंटल सर्जन भर्ती की लिखित परीक्षा के अभ्यर्थियों के अंकों में हेराफेरी करने के मामले में पकड़े गए निलंबित एचसीएस अधिकारी अनिल नागर समेत तीनों आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इन सभी आरोपितों से पूछताछ के दौरान अलग-अलग स्थानों से चार करोड़ 22 लाख 97 हजार रुपये की राशि बरामद हुई है। पुलिस रिमांड के दौरान आरोपितों ने पुलिस को जो जानकारी दी, उसके आधार पर अन्य सबूत जुटाने और दोषियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए सरकार ने किसी तरह की रियायत न बरतने के आदेश अधिकारियों को दिए हैं।
पुलिस रिमांड के दौरान अनिल नागर सहित आरोपितों ने उगले कई सच
मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वयं इस पूरे मामले पर निगाह रखे हुए हैं तथा सीआइडी प्रमुख आलोक कुमार मित्तल व विजिलेंस प्रमुख शत्रुजीत कपूर से नियमित रूप से जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। विजिलेंस प्रमुख कपूर ने मुख्यमंत्री को भरोसे में लेने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। इस दौरान विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए भाजपा सरकार और संगठन के पदाधिकारी पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्य ने प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए तमाम जानकारियां उपलब्ध कराई। साथ ही कहा है कि किसी भी आरोपित को बख्शा नहीं जाएगा और प्रदेश सरकार नौकरियों की शुचिता तथा पारदर्शिता के अपने दावे को बड़े विश्वास के साथ आगे बढ़ाकर अभ्यर्थियों का भरोसा बरकरार रखेगी।
सबूत जुटाने और दोषियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की प्रक्रिया में आगे बढ़ी पुलिस
हरियाणा लोकसेवा आयोग द्वारा डेंटल सर्जन की भर्ती के लिए 26 सितंबर को आयोजित लिखित परीक्षा में अंकों में हेराफेरी की शिकायत प्राप्त होने पर स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने 17 नवंबर को एक मामला दर्ज कर छापेमारी की थी। इसमें भिवानी निवासी नवीन कुमार को पंचकूला के सेक्टर-पांच में एक सार्वजनिक पार्किंग से 20 लाख रुपये नकद लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। नवीन की स्वीकारोक्ति और जांच के दौरान प्राप्त अन्य सबूतों के आधार पर विजिलेंस ब्यूरो ने झज्जर जिले के अश्विनी शर्मा को गिरफ्तार किया तथा उसके घर की तलाशी के दौरान एक करोड़ सात लाख 97 हजार रुपये की नकद राशि जब्त की।
विजिलेंस के डीजी शत्रुजीत कपूर के अनुसार पूछताछ करने पर आरोपित अश्विनी शर्मा ने स्वीकार किया कि उसके घर से बरामद पैसा हरियाणा लोक सेवा आयोग में उप सचिव के पद पर तैनात एचसीएस अधिकारी अनिल नागर को भुगतान किया जाना था।
इस तथ्य को सत्यापित करने के लिए अश्रिनी को हिरासत में रखते हुए अनिल नागर से संपर्क करने के लिए कहा गया। तब नागर ने अश्विनी को अपने कार्यालय में पैसे सौंपने के लिए बुलाया, जहां जांच दल ने अनिल नागर को अश्विनी शर्मा से एक करोड़ सात लाख 97 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। सीआइडी प्रमुख आलोक कुमार मित्तल के अनुसार वास्तव में यह राशि मूल रूप से जिला झज्जर के जमालपुर गांव में आरोपितच अश्विनी शर्मा के घर से बरामद की गई थी। अमित आर्य ने बताया कि इस मामले में वसूली के संबंध में कुछ राजनीतिक लोगों द्वारा उठाए जा रहे संदेह का कोई आधार नहीं है।
आगे से आगे जुड़ती चली गई कड़ियां
सीआइडी चीफ के अनुसार अपराधियों पर मुकदमा चलाने की दृष्टि से कानून के अनुसार निष्पक्ष तरीके से जांच आगे बढ़ रही है। आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया गया। अनिल नागर के खुलासे पर उसके एक सहयोगी सतीश गर्ग के आवास पर तलाशी ली गई और 66 लाख रुपये की नकद राशि बरामद की गई। साथ ही, उसके कहने पर अगले दिन एक करोड़ 44 लाख रुपये की बरामदगी की गई। सतीश ने नागर की ओर से रिश्वत के पैसे अपने पास रखे थे।
अनिल नागर की घर की तलाशी के दौरान 12 लाख रुपये नकद, 50 लाख रुपये की एक पंजीकृत भूमि विलेख, लेपटाप और डिजिटल मीडिया उपकरण जब्त किए गए हैं। आरोपित नवीन पांच दिनों तक पुलिस हिरासत में रहा और आरोपित अश्विनी व अनिल नागर चार-चार दिन के पुलिस रिमांड पर रहे। कोर्ट ने तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। बाकी सबूत जुटाने और दोषियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए मामले में आगे की जांच जारी है। सभी दोषियों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।