शहरों, कस्बों और गांवों के नाम बदलने की प्रथा से शुरु हो गई है। उत्तर प्रदेश में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के आधार पर शहरों के नाम बदलने के बाद, देश के अन्य राज्यों में यह कल्चर शुरू हो गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार शहरों, कस्बों और गांवों के नाम बदलने पर लोगों के सुझाव लेगी, जिसके लिए एक पोर्टल शुरु किया जाएगा, जो भारत की संस्कृति और सभ्यता के विपरीत और किसी भी जाति या समुदाय के लिए ‘अपमानजनक’ है।
ट्वीट कर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से आज सुबह एक ट्वीट कर कहा कि राज्य हर शहर, कस्बा या गांव का नाम उसकी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। जो इससे विपरीत हैं, उनके नाम बदलने पर लोगों के सुझाव लिए जाएगें।
उन्होंने कहा, ‘कुछ जगहें ऐसी भी हैं, जिनका नाम मोहल्ले के लोग नहीं लेना चाहते। कुछ समुदायों में ऐसे स्थान हैं, जिनका नाम द्वेष के कारण रखा गया है। इसे बदलना होगा।’ गुवाहाटी में कालापहाड़ के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘इस नाम को हटाना होगा, मैंने स्थानीय विधायक से लोगों से परामर्श करने और एक उपयुक्त नाम सुझाने का आग्रह किया है।’ उन्होंने कहा कि कालापहाड़ का नाम बंगाल सल्तनत कालापहाड़ के तानाशाह मुस्लिम जनरल के नाम पर रखा गया था।’