सरकार बचाने को अब ‘धर्म’ का साहारा ले रहे इमरान खान, जानिए विपक्ष ने क्या लगाया आरोप

पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव के बाद इमरान सरकार पर बादल मंडरा रहे हैं और इसलिए पाक पीएम अपनी कुर्सी बचाने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। इस राजनीतिक अस्थिरता के बीच, पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने रविवार को प्रधानमंत्री इमरान खान पर सरकार को बचाने के लिए ‘धर्म कार्ड’ के उपयोग का आरोप लगाते हुए हमला बोला है। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी दलों ने इमरान खान सरकार पर अपनी सोशल मीडिया टीम के जरिए सेना के खिलाफ ‘प्रचार अभियान’ शुरू करने का भी आरोप लगाया।

इस्लाम का इस्तेमाल करने का आरोप

पाकिस्तानी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, बिलावल ने खान पर राजनीति के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करने को लेकर निशाना साधा है और मदीना राज्य के नारे का इस्तेमाल नहीं करने को कहा। इस बीच, विपक्षी दलों ने खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 14 दिनों के भीतर विधानसभा सत्र नहीं बुलाने के लिए नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर की भी आलोचना की और उन पर संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत मुकदमा चलाने की भी मांग की।

सेना ने भी इस्तीफा देने को कहा

बता दें कि जनरल कमर जावेद बाजवा के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने कथित तौर पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सम्मेलन के बाद इमरान खान से इस्तीफा देने के लिए कहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार इमरान को हटाने का फैसला जनरल बाजवा के साथ तीन अन्य वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरलों ने लिया था। जानकारी के अनुसार इमरान की पार्टी पीटीआई को उम्मीद थी कि पूर्व सेना प्रमुख राहील शरीफ की बाजवा से मुलाकात के बाद कोई समाधान निकलेगा लेकिन सेना के अधिकारियों ने साफ मना कर दिया है।

अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को नेशनल असेंबली की बैठक

बता दें कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए 25 मार्च को नेशनल असेंबली की बैठक बुलाई गई है। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने सदन का सत्र बुलाने की घोषणा रविवार को की। गौरतलब है कि 8 मार्च को ही पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव दिया है।

प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि इमरान की सरकार देश में आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार है। यहां बताते चलें कि यदि प्रस्ताव के माध्यम से इमरान खान के खिलाफ वोटिंग होती है, तो यह एक इतिहास होगा क्योंकि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं किया गया है।