हरियाणा में 2010 से अब तक हुई रजिस्ट्रियों की जांच शुरू, 800 अफसरों को नोटिस

Haryana Registry Scam: हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार ने हुड्डा सरकार के कार्यकाल से रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं की जांच शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में घोषणा की थी कि साल 2010 से 2021 तक तहसीलों में हुई रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं की जांच कराई जाएगी।

प्रदेश सरकार 2018 से 2021 तक रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं की जांच पूरी कर चुकी है, जिसके आधार पर राजस्व विभाग के करीब 800 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। इनमें 400 तहसीलदार व नायब तहसीलदार और 400 रजिस्ट्रेशन क्लर्क तथा पटवारी शामिल हैं।

हरियाणा के इतिहास में राजस्व विभाग में यह आज तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। नायब तहसीलदारों व तहसीलदारों को प्रदेश मुख्यालय की ओर से तथा रजिस्ट्रेसन क्लर्क और पटवारियों को जिला उपायुक्तों की ओर से नोटिस दिए गए हैं।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने इन 800 अधिकारियों को नोटिस दिए जाने की पुष्टि की है। उन्होंने माना कि तीन साल के भीतर इन अधिकारियों ने जमीन की रजिस्ट्री में धारा सात-ए का उल्लंघन किया है। इसके तहत किसी भी जमीन की रजिस्ट्री के लिए शहरी निकाय और नगर आयोजना विभाग से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) की जरूरत होती है, लेकिन बिना एनओसी हासिल किए ही इन अधिकारियों ने रजिस्ट्रियां कर दी, जिसमें भारी घोटाला हुआ है।

रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं का यह मामला जब विधानसभा में उठा तो विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद पेशकश की थी कि उनके कार्यकाल में हुई रजिस्ट्रियों की भी जांच कराई जाए। इस पर मुखयमंत्री मनोहर लाल तुरंत तैयार हो गए और उन्होंने 2010 से 2021 तक हुई रजिस्ट्रियों की जांच के आदेश दे दिए।

चूंकि 2018 से 2021 तक कोरोना काल में हुई रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं की जांच पूरी हो चुकी है और मंडलायुक्तों की रिपोर्ट के आधार पर करीब 800 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जा चुके हैं, लिहाजा अब 2010 से 2017 तक सात साल में हुई रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं की अलग से जांच करने के आदेश दिए गए हैं।

पीके दास के अनुसार सभी जिला उपायुक्तों को जांच प्रक्रिया पूरी कर तुरंत रिपोर्ट देने को कहा गया है। हर जिले में तहसीलवार यह ब्योरा मांगा गया कि किस साल कितनी रजिस्ट्री हुई और कितने मामलों में एनओसी हासिल नहीं की गई थी। इसके अलावा, रजिस्ट्री के दौरान तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी व रजिस्ट्री क्लर्क कौन था। यह रिपोर्ट भी मंडलायुक्तों के माध्यम से राज्य सरकार के पास पहुंचेगी, जिसके आधार पर आरोपित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा।

पीके दास के अनुसार जो अधिकारी कारण बताओ नोटिस में अपने जवाब के जरिए सरकार के सामने सही ढंग से अपनी स्थिति स्पष्ट कर पाएंगे और सरकार उनके जवाब से संतुष्ट होगी, उनके विरुद्ध कार्रवाई से राहत मिलेगी अन्यथा प्रत्येक अधिकारी के विरुद्ध हरियाणा सरकार के सेवा नियमों के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

हरियाणा सरकार ने रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं को दूर करने के लिए तीन नए प्रयोग आरंभ किए हैं। अब कोई भी खरीददार या विक्रेता आनलाइन तरीके से अपनी सेल डीड खुद ही तैयार कर सकेगा। इसके लिए सरकार एक प्रोफार्मा जारी करेगी, जिसमें मांगी गई सूचनाएं भरनी होंगी। इसे आनलाइन दाखिल कराया जाएगा।

72 घंटे के अंदर तहसीलदार को बताना होगा कि इस प्रोफार्मा में भरी गई सूचनाएं सही हैं या नहीं।फिर सिस्टम यह तय करेगा कि किस दिन रजिस्ट्री होगी और क्या समय रहेगा तथा संबंधित व्यक्ति को कौन-कौन से दस्तावेज तहसील में साथ लेकर आने हैं। इससे समय की बचत होगी और परेशानी खत्म होगी। रजिस्ट्री में भी किसी को कोई दिक्कत नहीं आएगी।

हरियाणा सरकार ने रजिस्ट्री में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए चंडीगढ़ मुख्यालय में एक काल सेंटर तैयार किया है, जहां सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक डीआरओ रैंक का अधिकारी जन सुनवाई करेगा। कोई भी व्यक्ति फोन करेगा तो वह इस काल सेंटर में सुनाई देगा।

फिर संबंधित व्यक्ति द्वारा बताई गई परेशानी के आधार पर मुख्यालय से डीसी, तहसीलदार या नायब तहसीलदार को फोन जाएगा। ताकि समस्या का तुरंत समाधान हो सके। इसके अलावा, सभी जिला उपायुक्तों से कहा गया है कि संबंधित तहसलीदारों व नायब तहसीलदारों की कोई अन्य ड्यूटी न लगाई जाए।

यदि किसी तहसील में सिस्टम डाउन या खराब हो गया तो उसकी जानकारी डीसी को हर हाल में होनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर तुरंत कंप्यूटर बदलवाया जाए और इंटरनेट की व्यवस्था की जाए। सिस्टम डाउन होने की वजह से किसी का रजिस्ट्री का काम नहीं रुकेगा।