Manoj Bajpayee Birthday: बॉलीवुड में अपने अभिनय का सिक्का जमा चुके मनोज बाजपेयी बिहार की शान भी माने जाते हैं। 6 भाई बहनों में से एक ये दिग्गज एक्टर आज अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं। पश्चिमी चंपारण (बेतिया) के एक छोटे से गांव के मामूली किसान के घर जन्मे मनोज कड़े संघर्ष की बदौलत आज कामयाबी के शीर्ष पर पहुंचे हैं। हमेशा से फिल्मों में एक्टिंग करने के सपने के साथ बिहार से एनएसडी पहुंचे मनोज के लिए ये सफर इतना आसान नहीं था।
मनोज बाजपेयी का नामकरण हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता मनोज कुमार के नाम पर हुआ था। पिता ने जब पंडित जी से बच्चे कि कुंडली दिखाई तो ग्रहों की स्थिति को देखते हुए उन्होंने भविष्यवाणी की कि ये बच्चा या तो नेता बनेगा या अभिनेता। जिस भी दिशा में जाएगा परिवार का नाम रोशन करेगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही मनोज को बचपन से ही उन्हें फिल्मों में काम करने का शौक था। अमिताभ बच्चन की ब्लॉक बस्टर फिल्म ‘जंजीर’ को देखने के बाद उन्होंने फैसला कर लिया कि वे अभिनेता ही बनेंगे।
मनोज की शुरुआती पढ़ाई उनके पैतृक गाँव पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज के नजदीक बेलवा बहुअरी में हुई थी। यहां वे जिस स्कूल में पढ़ने जाते थे, वह झोपड़ी वाला था। बाद में उनकी पढ़ाई जिला मुख्यालय बेतिया के एक स्कूल से हुई। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली चले आए। पहली बार वे बिना टिकट रेल से दिल्ली आए थे। मनोज ने दिल्ली आने के बाद प्रतिष्ठित नेशनल ड्रामा स्कूल में दाखिले के लिए कोशिशें शुरू की। ऐसी कोशिशों में वे तीन बार फेल हुए।
मनोज बाजपेयी के पास एनएसडी में दाखिले के अलावा कोई दूसरा प्लान नहीं था। ऐसे में तीन बार रिजेक्ट होना उनका दिल तोड़ गया। हाल ही में रिलीज हुई राइटर पीयूष पांडे की उनकी बायोग्राफी में जिक्र है कि तब उनके मन में आत्महत्या का ख्याल आया था। उन्हें लगने लगा कि अब जीवन में कुछ बचा ही नहीं है, इस जिंदगी को खत्म कर लेना ही एकमात्र रास्ता है।
रील लाइफ में मनोज बाजपेयी की एंट्री ‘दूरदर्शन’ पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘स्वाभिमान’ के साथ हुई। बड़े पर्दे पर उन्हें पहला मौका दस्यु सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर बनी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में मिला। इस फिल्म में उन्होंने फूलन के सहयोगी डाकू का रोल किया। इसके बाद ये सिलासिला यहीं नहीं थमा। नेश्नल अवॉर्ड के साथ-साथ उन्हें साल 2019 पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।