हरियाणा हाउसिंग बोर्ड न तो लोगों को आशियाना दे रहा था और न ही उनके द्वारा जमा करवाई गई राशि वापिस लौटा रहा था। ऐसे में हाउसिंग बोर्ड के सताए लोगों को राहत देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड हरियाणा को आदेश दिया है कि वह बोर्ड द्वारा विज्ञापित विभिन्न हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में जिनमें तय समय तक फ्लैटों और प्लाट का आवंटन नहीं किया गया , वह लोगों द्वारा जमा की गई राशि वापस करे।
हाई कोर्ट ने 30 जून तक सैन्य कर्मियों व 31 अक्टूबर तक आवेदकों को पैसा लौटाने का दिया आदेश
कोर्ट के आदेशानुसार , डिफेंस कोटे की योजना (टाइप-ए) सांपला के लिए आवेदन करने वालों को उनकी जमा राशि 30 जून तक वापस मिल जाएगी। जिन लोगों ने फरीदाबाद, महेंद्रगढ़, दादरी और रोहतक सहित अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए आवेदन किया था, उन्हें 31 अक्टूबर तक बोर्ड ने पैसा वापस करना होगा।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि इन प्रोजेक्ट्स के लिए आवेदन बंद होने की तारीख से ब्याज के साथ आवेदकों को रिफंड मिलेगा। हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन आदेशों का पालन नहीं करने पर हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई की जाएगी।
निर्धारित समय में पैसा नहीं देने पर आवास बोर्ड के खिलाफ होगी अवमानना कार्रवाई
कोर्ट ने कहा कि स्वाभाविक रूप से यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस आदेश के कार्यान्वयन में किसी भी देरी से हाउसिंग बोर्ड कोर्ट की अवमानना का दोषी होगा और उस पर 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से चक्रवृद्धि अतिरिक्त दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा। जस्टिस अमोल रतन सिंह और जस्टिस ललित बत्रा की खंडपीठ ने राज पाल सिंह गहलोत और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं।
याचिकाकर्ताओं ने आवास बोर्ड हरियाणा द्वारा विभिन्न योजनाओं के संबंध में जारी किए गए विज्ञापनों के अनुसार फ्लैटों के आवंटन के लिए उनके द्वारा जमा की गई राशि वापस करने के निर्देश की मांग की थी। क्यों की उनको आवेदन किए आठ से नौ साल का समय हो गया है और उनको अभी तक कोई आवास अलाट नहीं हुआ।
मामले की सुनवाई के दौरान, महाधिवक्ता हरियाणा बलदेव राज महाजन ने कोर्ट को जानकारी दी कि केवल दो योजनाएं- रक्षा योजना (टाइप-ए) सांपला, और कर्मचारी योजना जींद रोड, रोहतक को रद्द कर दिया गया है। इन योजनाओं को 2013/2014 में शुरू किया गया था और 2017 में रद कर दिया गया था व अन्य शहरों में ऐसी योजना को समाप्त नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि किश्तों के भुगतान में चूक देरी पर बोर्ड 10 प्रतिशत प्रति वर्ष का चक्रवृद्धि ब्याज वसूल रहा है, और यह आवेदकों की बिल्कुल गलती नहीं है कि योजनाओं को रद्द कर दिया गया या उनको अभी तक आवास अलाट नहीं हुआ , और उन्होंने समय पर राशि का भुगतान किया गया था। उनका पैसा पिछले 8-9 वर्षों से बोर्ड के पास है जो बैंक से ब्याज कमा रहा है । इसलिए उनके द्वारा जमा करवाई गई राशि पर उनको ब्याज में मिलना चाहिए।