काशी विश्‍वनाथ के नाम दो माह में आए 9.50 करोड़ रुपये, नव्य भव्य स्वरूप के बाद बढ़े श्रद्धालु तो आय में भी वृद्धि

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की भव्यता तो श्रद्धालुओं को आकर्षित कर ही रही है चढ़ावे में भी उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। इसका अंदाजा इससे ही लगा सकते हैैं कि सिर्फ दो माह में 9.50 करोड़ रुपये चढ़ावा आया। इसमें अप्रैल में 5.50 करोड़ रुपये आए तो मई में चार करोड़ रुपये आए। इसमें श्रद्धालुओं ने ज्यादातर राशि आनलाइन मंदिर के खाते में भेजी। बुधवार को मंदिर प्रशासन की ओर से की गई आंकड़ा सामने आया।

खास यह कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में मंदिर में 10.50 करोड़ रुपये आय हुई थी तो 2021-2022 में यह 14 करोड़ तक ही पहुंच पाई थी। इस बार मासिक आय के आधार पर चालू वित्तीय वर्ष में 50 करोड़ रुपये से अधिक आय का आकलन किया जा रहा है।

वास्तव में बाबा दरबार का नव्य-भव्य स्वरूप सामने आने के बाद से देश भर से दर्शनार्थियों की संख्या चार गुना तक बढ़ गई है। इसमें बाबा से जुड़े पर्व-त्योहारों के साथ ही अन्य अवकाश अवसरों पर भी खूब सैलानी आ रहे हैैं। आंकड़ों पर गौर करें तो नव वर्ष के पहले दो दिनों में ही श्रीकाशी विश्वनाथ धाम आने वालों की संख्या 5.50 लाख से अधिक पहुंच गई थी। विश्वनाथ धाम के नव्य भव्य परिसर का पिछले साल दिसंबर में लोकार्पण से पहले सामान्य दिनों में रोजाना 10-15 हजार श्रद्धालु आते थे। अब यह संख्या 30-35 हजार तक पहुंच चुकी है। बाबा का गर्भगृह स्वर्णिम होने के बाद यह संख्या और भी बढ़ी है। इसके अलावा आरती-अनुष्ठान की बुकिंग बढ़ी है तो हेल्प डेस्क व तीन सुविधा केंद्रों से रुद्राक्ष माला, स्मृति चिह्न, दुपट्टा और प्रसाद की बिक्री ने भी आय बढ़ा दी है।

श्रद्धा का अंदाजा इससे भी लगा सकते हैैं कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम विस्तार व सुंदरीकरण के बाद दक्षिण भारत के एक श्रद्धालु के सहयोग से बाबा का गर्भगृह स्वर्णिम कर दिया गया। भीतरी दीवारों के बाद अब बाहर की दीवारों पर भी सोना मढ़ा जा रहा है। इसके लिए मंदिर प्रशासन को 60 किलोग्राम सोना मिला है। इस पर लगभग 120 किलोग्राम सोना मढ़ा जाएगा। इसकी लागत लगभग 60 करोड़ आंकी जा रही है। इस दिशा में कार्य 12 जनवरी से शुरू कर दिया गया था। इसके लिए सांचा आदि बनाने के बाद तीन दिनों में 10 स्वर्ण कारीगरों सोने के पत्तर मढ़ दिए।