आज ग्लोबल टाइगर डे है। खबर की शुरुआत टाइगर अटैक की एक सच्ची घटना से। तारीख 11 जुलाई, 2021। जगह पीलीभीत। दियोरिया कला के सोनू, कंधईलाल और विकास दोस्त थे। जलालपुर से अपने गांव लौट रहे थे। बाइक सोनू चला रहा था। बीच में कंधईलाल और सबसे पीछे विकास था।
रात की वजह से जंगल में घुप अंधेरा था। जंगल में दो बाघों के मूवमेंट की खबर वनकर्मियों को पता चली थी, तो उन्होंने तीनों को आगे जाने से रोका, लेकिन वे नसीहत को नजरअंदाज कर आगे बढ़ गए। बमुश्किल तीनों एक किमी आगे गए होंगे, 2 बाघों ने अटैक कर दिया।
विकास ने हेलमेट लगाया हुआ था, लिहाजा बाघ का पंजा हेलमेट पर लगा और बाइक गिर गई। एक बाघ ने सोनू पर हमला किया और उसे मार डाला। कंधई पेड़ पर चढ़ने लगा। 6 फीट चढ़ भी चुका था, लेकिन दूसरे बाघ ने छलांग लगाकर उसे भी दबोच लिया। बाघ ने विकास भी हमला करना चाहा, लेकिन वह पेड़ पर चढ़ चुका था।
विकास की आंखों के सामने उसके दो दोस्तों को बाघ खा गए। विकास ने पूरी रात पेड़ पर गुजारी। सुबह वनकर्मी पहुंचे तो उसे नीचे उतारा गया। इस घटना के बाद विकास कई रातों तक सो नहीं पाया था।
आदमखोर बाघों के अटैक की यह एक घटना है। ऐसी ही तमाम कहानियां लखीमपुर खीरी, पीलीभीत और बहराइच में हैं, जो चर्चा में नहीं आ पाती हैं।
कोई वन्यजीव आदमखोर कब कहा जाता है?
आदमखोर एक आम बोलचाल में प्रचलित शब्द है। वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 के सेक्शन 11 में इसका विस्तार से जिक्र है। एक्ट के अनुसार, जो जानवर डेंजरस टू ह्यूमन लाइफ यानी इंसानों के लिए खतरनाक होता है, उसके शिकार की अनुमति दी जाती है।
इसके लिए भी एक प्रॉसेस अपनाया जाता है। जैसे टाइगर, लैपर्ड, एलिफेंट आदि जानवर जब इंसानी जिंदगी के लिए खतरा हो जाते हैं, तो इन्हें मारने की अनुमति है। जो जानवर इंसानी इलाकों में लगातार आता है और इंसानों की जान लेता है उसे आदमखोर कहा जा सकता है।
कौन देता है शिकार का आदेश?
किसी भी जानवर को मारने का आदेश चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन देता है। वाइल्डलाइफ एक्ट 1972 के सेक्शन 11(1) में इसका जिक्र है। हर राज्य में एक चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन होता है और उन्हीं के आदेश के बाद किसी जानवर का शिकार किया जा सकता है।
इसके लिए चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन के सामने शिकार करने की वजह रखनी होती है, यदि चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन वजह को सही मानता है, तो ही जानवर का शिकार किया जा सकता है।
यूपी में तीन टाइगर रिजर्व
प्रदेश में तीन टाइगर रिजर्व हैं। लखीमपुर खीरी जिले में दुधवा टाइगर रिजर्व यूपी का पहला टाइगर रिजर्व है, जो 1987 में बना था। बिजनौर जिले के अमानगढ़ में दूसरा टाइगर रिजर्व है। इसे 2012 में घोषित किया गया था। तीसरा टाइगर रिजर्व पीलीभीत टाइगर रिजर्व है।
चित्रकूट की रानीपुर सेंचुरी को रानीपुर टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की बात शासन स्तर पर चल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10 जून को राज्य वन्य जीव बोर्ड की 13वीं बैठक में रानीपुर सेंचुरी को चौथा टाइगर रिजर्व बनाने का निर्देश दिया था। बहराइच के कतर्नियाघाट में भी टाइगर पाए जाते हैं।