भारत ने प्लानिंग-स्ट्रैटेजी में PAK को हराया:टीम इंडिया 21वीं सदी की मॉडर्न यूनिट साबित हुई, पाकिस्तान 90 के दशक में अटका रहा

टीम इंडिया ने एक हाई वोल्टेज मुकाबले में पाकिस्तान को 5 विकेट से हराकर एशिया कप में अपने अभियान की बेहतरीन शुरुआत की। कागज पर मुकाबला काफी करीबी दिखा। आखिरी ओवर की चौथी गेंद पर फैसला हो तो मैच को संघर्षपूर्ण ही कहेंगे। जिन्होंने स्टेडियम में या टीवी पर यह मैच देखा है वे भी इसे नेलबाइटिंग फिनिश ही कहेंगे।

वैसे यह पाकिस्तान की अच्छी किस्मत है कि पिछला मैच रोमांचक मुकाबले के तौर पर याद किया जाएगा। सच्चाई यह है कि पाकिस्तान का क्रिकेट सिस्टम भारतीय सिस्टम से बुरी तरह मात खा गया है। भारत ने क्रिकेट की प्लानिंग और स्ट्रैटेजी के मामले में पाकिस्तान को करारी पटखनी दे दी है। कैसे? चलिए समझते हैं…

भारत ने कंडीशन को बेहतर इवैलुएट किया, बेहतर प्लेइंग-11 चुनी
UAE को पाकिस्तान क्रिकेट टीम का दूसरा घर कहा जाता है। जब आतंकवाद के कारण पाकिस्तान में मैच होने बंद हो गए तब UAE ही उसके घरेलू इंटरनेशनल मुकाबलों को होस्ट करता था।

ऐसे में यही माना जा रहा है कि पाकिस्तानी खेमे के पास कंडीशन की बेहतर समझ होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारत ने यह फिगर आउट किया कि यहां तेज गेंदबाज मैच विनर साबित हो सकते हैं। इसलिए चार पेसर्स प्लेइंग-11 में शामिल किए गए। दिग्गज गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन को बाहर बैठना पड़ा।

दूसरी ओर पाकिस्तान ट्रिक मिस कर गया। वह तीन तेज गेंदबाजों के साथ ही उतरा। दोनों टीमों के फास्ट बॉलर्स ने अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन पाकिस्तान के पास हथियार की कमी दिखी। उनके पास एक तेज गेंदबाज कम था।

गेंदबाजी का सॉलिड प्लान लेकर उतरे
पाकिस्तान की बैटिंग लाइनअप में बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान के तौर पर दुनिया के नंबर-1 और नंबर-3 बल्लेबाज मौजूद थे। फर्स्ट डाउन बैटिंग करने वाले फखर जमान अपने दिन किसी भी बॉलिंग अटैक को तहस-नहस करने की क्षमता रखते हैं। शादाब खान की गिनती बेहतरीन ऑलराउंडर्स में होती है। जाहिर है पाकिस्तान की बैटिंग काफी दमदार है। इतनी दमदार कि इस टीम ने पिछले साल टी-20 वर्ल्ड कप में हमें 10 विकेट से हरा दिया था।

इस बैटिंग लाइनअप के सामने भारत एक क्लियर कट प्लान लेकर उतरा। कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा ने मैच से एक दिन पहले रात दो बजे तक मीटिंग की थी। बताया जा रहा है कि इसी मीटिंग में फैसला हुआ कि भारतीय गेंदबाज पाकिस्तानी बल्लेबाजों को बाउंस आउट करने की कोशिश करेंगे। दुबई की डेड पिच बाउंसर को हथियार बनाने का फैसला मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। पाकिस्तान के पहले पांच विकेट शॉर्ट पिच गेंद पर ही गिरे।

टीम इंडिया के पास अब तेज गेंदबाजों की फौज
ज्यादा पुराना दौर नहीं है जब बतौर हथियार बाउंसर का इस्तेमाल हमारे खिलाफ सबसे ज्यादा होता था। तब हम ऐसा नहीं कर पाते थे। हमारे पास फास्ट बॉलर्स कम होते थे, लेकिन अब जमाना बदल गया है। अब हर वक्त कम से कम 10 फास्ट बॉलर टीम इंडिया के लिए खेलने और जीतने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

आज के जमाने में यह फैक्ट है कि खिलाड़ी ज्यादा चोटिल होते हैं और तेज गेंदबाज इसका सबसे ज्यादा शिकार बनते हैं। उनके लिए बैकअप तैयार रखना एक स्ट्रैटेजिक जरूरत है। भारत ने इस जरूरत को करीब पांच साल पहले ही पहचान लिया था। तब से देश में बड़ी पेस बैटरी बनाने की योजना पर काम होने लगा। आज करीब एक दर्जन तेज गेंदबाजों की फौज को देश के लिए रेडी टु प्ले कंडीशन में रखा जाता है।

इसलिए चाहे गाबा का टेस्ट मैच हो, या एशिया कप में पाकिस्तान से मुकाबला। बुमराह और शमी जैसे दिग्गज तेज गेंदबाज बाहर रहे फिर भी टीम को उनकी कमी नहीं महसूस हुई। कभी मोहम्मद सिराज तो कभी शार्दूल ठाकुर तो कभी दीपक चाहर…कोई भी यह कहते हुए सामने आ ही जाता है कि….मैं हूं न।

फॉर्म और फिटनेस खो चुके खिलाड़ियों पर भी भरोसा
जिन गेंदबाजों की फॉर्म या फिटनेस खराब हो जाती है उन्हें सिस्टम से बाहर नहीं फेंक दिया जाता है। उनका ख्याल रखा जाता है और वापस लाने की कोशिश होती है। तभी तो हमें कभी भुवनेश्वर कुमार 2.0 तो कभी हार्दिक पंड्या 2.0 दिखलाई देने लगते हैं।

पाकिस्तान इस मामले में मात खा गया। उसके पास नेचुरल पेस टैलेंट की भरमार है। इसके बावजूद दूरदृष्टि, प्लानिंग और स्ट्रैटेजी में खोखलेपन के कारण वह इस खेल में पिछड़ गया।

शाहीन शाह अफरीदी चोटिल हुए तो पाकिस्तान में हायतौबा मच गई। आनन-फानन में नसीम शाह को WHITE BALL क्रिकेट में पुश किया गया। वसीम जूनियर चोटिल हुए तो टीम से बाहर कर दिए हसन अली को वापस बुलाना पड़ा। डिमांड तो मोहम्मद आमिर और वहाब रियाज जैसे पुराने गेंदबाजों को वापस लाने की भी होने लगी। कारण साफ था। पाकिस्तान के पास फास्ट बॉलर्स की रेडी टु प्ले बेंच स्ट्रेंथ नहीं है।

कम तैयारी के साथ ज्यादा जोर लगाने का नतीजा यह निकला कि भारत के खिलाफ महज चार ओवर में नसीम शाह का पैर जवाब दे गया। उन्होंने गेंदबाजी शानदार की, लेकिन उनकी फिटनेस बहुत खराब निकली।

इससे पाकिस्तान के पास मौजूद सपोर्ट स्टाफ की पोल भी खुलती है। उनके पास मॉडर्न डे बायोमैकेनिक्स को समझने वाले एक्सपर्ट्स नहीं है। उनके फीजियो आज भी मरहम पट्टी और आइसपैक लगाने वाले ही नजर आ रहे हैं।

तो क्या भारतीय टीम में कोई खामी नहीं
भारतीय टीम की अपनी मुश्किलें हैं। टॉप ऑर्डर ही ले लें। रोहित शर्मा, केएल राहुल और विराट कोहली क्रिकेट जगत में बहुत बड़े नाम हैं, लेकिन टी-20 क्रिकेट में ये लंबे समय से कलेक्टिवली अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाए हैं। पिछले मैच में भी इनकी बल्लेबाजी बेहद कमजोर रही।

एक जमाने में कहा जाता था कि भारत रोहित, राहुल और विराट की बदौलत जीतता है। अब कह सकते हैं कि भारत रोहित, राहुल और विराट के होने के बावजूद जीतता है। बड़ी बात यह है कि इनके होने या न होने, इनके फॉर्म में रहने या न रहने का अब भारतीय टीम के नतीजों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता। यह मुकाम हासिल करना भी अचीवमेंट है जो बिना अच्छी प्लानिंग के मुमकिन नहीं है। भारत ने पिछले टी-20 वर्ल्ड कप के बाद अपने मिडिल ऑर्डर पर बहुत काम किया। अब आपके पास नंबर-4 से नंबर-8 तक ऐसे खिलाड़ियों की फौज है जो अपने बैट के दम पर भारत को जीत दिला दे। स्टार अपनी जगह जो चाहें करते रहें टीम जीतना नहीं छोड़ सकती। नहीं छोड़ रही है।

आगे क्या हो सकता है
क्रिकेट में फॉर्मेट जितना छोटा होता है कमजोर टीमों के पास मजबूत टीमों को चुनौती दे पाने का उतना ही ज्यादा मौका होता है। हो सकता है कि पाकिस्तान अपने बचे रिसोर्सेस से भी आने वाले मैचों में भारत को टक्कर दे। उलटफेर कर मैच जीत भी जाए, लेकिन इतना साफ हो चुका है कि बतौर क्रिकेटिंग कंट्री वह आधुनिक समझ में काफी पीछे छूट रहा है। टीम इंडिया 21वीं सदी की एक मॉडर्न यूनिट नजर आ रही है।

मैच में जीत मिले या हार यह टीम हर परिस्थितियों का सामना करने के लिए ज्यादा तैयार नजर आती है। दूसरी ओर पाकिस्तान आज भी 90 के दशक में मौजूद दिखता हो जो जीत के लिए पर्सनल ब्रिलिएंस और किस्मत के भरोसे चलता है।