SBI और मूडीज ने घटाया ग्रोथ अनुमान:मूडीज ने घटाकर 7.7% और SBI ने 6.8% किया, जून तिमाही ग्रोथ की रफ्तार 13.5% रही

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के चीफ इकोनॉमिस्ट सौम्य कांति घोष ने FY23 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान को घटा दिया है। पूरे साल के लिए इसे 7.5% से घटाकर 6.8% कर दिया गया है। सकल घरेलू उत्पाद के फोरकास्ट को कम करने का कारण स्टैटिस्टिकल एडजेस्टमेंट को बताया गया है। हालांकि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ग्रोथ मोमेंटम में तेजी की उम्मीद जताई गई है।

मूडीज ने भी अनुमान घटाकर 7.7% किया
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भी FY23 के लिए भारत के GDP अनुमान को घटा दिया है। FY23 के लिए इसे 8.8% से घटाकर 7.7% और FY24 के लिए 5.2% कर दिया है। मूडीज ने इसका कारण बढ़ती ब्याज दरों और ग्लोबल ग्रोथ को धीमे होने को बताया है।

जून तिमाही के GDP आकंड़ों के बाद घटाया अनुमान
नेशनल स्टैटिकल ऑफिस (NSO) ने बुधवार को 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही के GDP आंकड़े जारी किए थे जिसके बाद SBI और मूडीज ने अपना ग्रोथ अनुमान कम किया है। NSO के आंकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में GDP ग्रोथ 13.5% रही। पिछले साल की समान तिमाही में ये 20.1% थी। पिछली तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 4.1% थी। यानी देश की विकास दर पिछली यानी जनवरी-मार्च तिमाही की तुलना में बेहतर रही।

बाजार की उम्मीदों से काफी कम रही GDP
घोष ने कहा, GDP भले ही डबल डिजिट में रही है, लेकिन फिर भी यह बाजार की उम्मीदों से कम है। इसका सबसे बड़ा कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ग्रोथ रही जिसमें पहली तिमाही में 4.8% की मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली। Q1FY22 में ये 49% थी। कंस्ट्रक्शन में ग्रोथ रेट 16.8% रही जो Q1FY22 में 71.3% थी। इसके अलावा, माइनिंग ग्रोथ 18% से घटकर 6.5% रह गई।

प्रमुख सेक्टर्स का हाल

GDP के 15.7% रहने का अनुमान था
Q1FY23 के लिए इकोनॉमिस्ट ने GDP ग्रोथ रेट 15.7% रहने का अनुमान लगाया था। इसके अलावा GVA ग्रोथ भी पूर्वानुमान से कम रही। जून तिमाही में GVA ग्रोथ (YoY) 18.1% से घटकर 12.7% हो गई। शेष तिमाहियों में घोष को उम्मीद है कि Q2FY23 में GDP ग्रोथ 6.9%, Q3 में 4.1% और Q4 में केवल 4% रहेगी। कुल मिलाकर घोष को लगता है कि FY23 के लिए भारत की पूरे साल की इकोनॉमिक ग्रोथ 6.8% होगी।

RBI का 7.2% ग्रोथ का अनुमान
RBI ने इस महीने की शुरुआत में अपनी मौद्रिक नीति संबंधी बैठक में कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ रेट करीब 16.2% रहने की संभावना है। RBI ने FY23 के लिए रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% पर बरकरार रखा है।

GDP क्या है?
GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है। जब इकोनॉमी हेल्दी होती है, तो आमतौर पर बेरोजगारी का लेवल कम होता है।

दो तरह की होती है GDP
GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। यानी 2011-12 में गुड्स और सर्विस के जो रेट थे, उस हिसाब से कैलकुलेशन। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करेंट प्राइस पर किया जाता है।

कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?
GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।

GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।

इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नोट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

GVA क्या है?
ग्रॉस वैल्यू ऐडेड, यानी GVA से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ है।

साधारण शब्दों में कहा जाए तो GVA इकोनॉमी की ओवरऑल हेल्थ के बारे में बताने के अलावा, यह भी बताता है कि कौन से सेक्टर संघर्ष कर रहे हैं और कौन से रिकवरी को लीड कर रहे हैं। नेशनल अकाउंटिंग के नजरिए से देखें तो मैक्रो लेवल पर GDP में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह GVA होता है।