लुटियंस जोन, दिल्ली का सबसे पॉश इलाका। देश का पावर कॉरिडोर। इंडिया गेट, संसद भवन, PMO, राष्ट्रपति भवन, मिनिस्ट्री ऑफिस… सब कुछ यहीं, इसी इलाके में है। यही है सेंट्रल विस्टा एवेन्यू।
जैसे ही आप इंडिया गेट के सामने पहुंचेंगे, 3.2 किमी लंबा भव्य ‘कर्तव्य पथ’ दिखाई देगा। ये इंडिया गेट से शुरू होकर राष्ट्रपति भवन तक जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने 8 सितंबर को इसका उद्घाटन किया था। गुरुवार रात करीब 8.35 बजे यहां ड्रोन शो हुआ। 250 ड्रोन ने सुभाष चंद्र बोस का चेहरा और आजाद हिंद फौज के झंडे सहित 8 फॉर्मेशन बनाईं।
करीब 19 महीने तक ये इलाका आम लोगों के लिए बंद रहा। अंदर ही अंदर इसका रि-डेवलपमेंट चलता रहा। 9 सितंबर को इसे लोगों के लिए खोला गया। पहले दिन जो लोग यहां इसे देखने पहुंचे, उन्होंने कहा- ये तो बहुत खूबसूरत हो गया।
अब यहां दूर तक दिखती हरी घास है, हरियाली है, साफ-सफाई है, खुली जगह है, साफ पानी की नहरें हैं और उनकी खूबसूरती बढ़ाते फव्वारे। हरी घास तो कर्तव्य पथ के दोनों ओर 100 एकड़ जमीन पर बिछी है। हालांकि, आप इस पर चल नहीं सकते। लॉन में जाने की कोशिश करने पर गार्ड रोक देते हैं।
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू खुलने के बाद हम सुबह 10 बजे यहां पहुंचे और रात 10 बजे तक रुके। हम यहां पहले भी कई बार आए हैं, इसलिए पहले और अब का बदलाव साफ समझ आया। एक लाइन में कहें तो यहां बहुत कुछ बदल गया है।
उड़ती धूल और खराब फव्वारे अब नहीं दिखते
अगर आप पहले कभी इंडिया गेट और आसपास के इलाके में आए होंगे तो आपको याद आएगा इंडिया गेट के पास के मैदान में उड़ती धूल, भटकते लोग, काई जमी नहरें, खराब फव्वारे और कई सारी टॉय बाइक और कार। अब ऐसा कुछ नहीं है।
पहले सड़क पार कर इंडिया गेट तक पहुंचने के लिए जेब्रा क्रॉसिंग पर ट्रैफिक सिग्नल ग्रीन होने का इंतजार करना पड़ता था। लंबे ट्रैफिक से जूझना होता था। अब यहां सड़क के दोनों ओर अंडरवे बन चुके हैं। इनसे गुजरते हुए दिखता है राजधानी दिल्ली का भव्य इतिहास। दीवार पर लगे पोस्टर इस इतिहास की तस्वीर दिखाते हैं।
अंडरवे पार कर बाहर निकलने पर दिखता है इंडिया गेट। यहां हमें अलग-अलग हिस्सों से आए टूरिस्ट मिले। हमने अहमदाबाद से आए प्रवण धूलिया से पूछा कि पहले और अब में क्या फर्क दिख रहा है। उन्होंने कहा- ग्रीनरी पहले से ज्यादा है। स्पेस भी ज्यादा हो गया है।
मेरठ जिले से रमेशचंद्र विद्यालंकार पत्नी शिमलेश के साथ घूमने आए हैं। वे कहते हैं- पहले और अब में तो धरती-आसमान का फर्क है। पहले यहां मन ही नहीं लगता था। अब तो चारों तरफ हरियाली है।
वॉर मेमोरियल के दोनों तरफ खूबसूरत लॉन
कई साल से हम इंडिया गेट के नीचे जय जवान ज्योति की मशाल जलते देखते आए हैं। अब वह नहीं है। इस ज्योति को वॉर मेमोरियल की ज्योति में मिला दिया गया है। आगे बढ़ने पर दिखती है, पत्थरों से बनी छतरी, जो पहले खाली हुआ करती थी। अब इसी जगह पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आदमकद प्रतिमा लगी है।
इंडिया गेट के पीछे है वॉर मेमोरियल। दोनों तरफ हैं खूबसूरत लॉन और नहरें। नहरें तो पहले भी थीं, लेकिन तब इनमें काई जमी होती थी। अब इन नहरों में साफ पानी बह रहा है।
पैदल चलने के लिए गुलाबी ग्रेनाइट पत्थर के कॉरिडोर
पैदल चलने के लिए गुलाबी ग्रेनाइट पत्थर के लंबे और सुंदर कॉरिडोर बन गए हैं। पता ढूंढने में मुश्किल न हो, इसके लिए जगह-जगह साइन बोर्ड और नक्शे लगे हैं। टॉयलेट साफ-सुथरे हैं। खासतौर से जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स बनाए गए हैं।
पैदल चलते हुए रास्ते कब नहरों के ऊपर बने पुल से जा मिलते हैं, घूमते हुए पता ही नहीं चलता। यहां मिलेगी जामुन के पेड़ों से छनकर आती हवा, केले के पौधों के सुंदर पीले फूल, और कल-कल की आवाज करते फव्वारे।
शाम होने के साथ ही इंडिया गेट पर भीड़ बढ़ गई। कर्तव्य पथ पर दोनों तरफ खूबसूरत पोल लगे हैं। इनकी डिजाइन अंग्रेजों के वक्त की है, लेकिन इनकी टेक्नोलॉजी अपडेट की गई है। शाम के वक्त इनसे निकलने वाली हल्की पीली रोशनी कर्तव्य पथ को और खूबसूरत बना देती है।
लोग खुश, लेकिन सामान बेचने वाले वेंडर परेशान
इंडिया गेट के सामने हमें चश्मे बेचने वाले बंटी यादव मिले। वे 6 साल से यह काम कर रहे हैं। बंटी यहां हुए कंस्ट्रक्शन से खुश हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब यहां ज्यादा टूरिस्ट आएंगे। उनकी ही तरह राजकुमार कश्यप यहां 30 साल से गुब्बारे और खिलौने बेच रहे हैं। वे ये काम करने वाले परिवार की दूसरी पीढ़ी हैं। उनके पिता 50 साल यही काम करते हुए गुजर गए।
राजकुमार को अपनी रोजी-रोटी की चिंता है। उनका कहना है कि सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बहुत अच्छा बन गया है। बस सामान बेचने वालों को रोका जा रहा है। ये लोग कहां जाएंगे।
PM मोदी बोले- गुलामी का प्रतीक राजपथ अब कर्तव्य पथ बन गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम 8 बजे कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानी राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है। आज राजपथ का अस्तित्व खत्म हुआ है तो ये गुलामी की मानसिकता का पहला उदाहरण नहीं है।
उन्होंने कहा कि राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। आज इसका आर्किटेक्चर भी बदला है, और इसकी आत्मा भी बदली है। कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है। यहां जब देश के लोग आएंगे, तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वॉर मेमोरियल, ये सब उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे। उन्हें कर्तव्य बोध से ओत-प्रोत करेंगे।