आंख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो, जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो…
– राहत इंदौरी
करिअर फंडा में स्वागत!
कई स्टूडेंट्स UPSC सिविल सर्विसेस बनाम स्टेट PSC के बारे में जानना चाहते थे, इसलिए आज मैं आप को अपने अनुभव के आधार पर इसकी एक तुलना देने की कोशिश करूंगा। तैयार हो जाइए!
UPSC सिविल सर्विसेस तथा स्टेट PSC में अंतर
A. UPSC है यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन, जिसे हिंदी में संघ लोक सेवा आयोग कहते हैं और स्टेट PSC है पब्लिक सर्विस कमीशन जिसे राज्य लोक सेवा आयोग कहते हैं।
B. UPSC एक संवैधानिक बॉडी है जिसे अनुच्छेद 315-323 में डिफाइन किया गया है, और ये केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित पद भरने के लिए एग्जाम कराती है। राज्य लोक सेवा आयोग (PSC) भी संवैधानिक बॉडी हैं (अनुच्छेद 315 – 323) जो भर्ती, ट्रांसफर और अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के मामलों में संबंधित राज्य सरकारों की सहायता करते हैं।
C. UPSC में चुने गए अधिकारी की नियुक्ति भारत में कहीं भी की जा सकती है जबकि स्टेट PSC से चुने व्यक्ति को राज्य के अंदर पोस्टिंग मिलती है। उन पदों को प्रोविंशियल सिविल सर्विसेज (PCS) कहते हैं।
D. UPSC परीक्षाएं नियमित होती हैं और पूरी प्रक्रिया नियत समय में समाप्त होने की उम्मीद की जा सकती है। जबकि राज्य सेवा परीक्षाओं में आपको परिणाम और अगले चरण आदि के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है।
E. कुछ राज्य सेवा परीक्षाओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप आज तक UPSC में नहीं देखे गए हैं।
स्टूडेंट्स की पहली चॉइस UPSC क्यों
ऐसा इन दोनों एग्जाम्स को क्लियर करने के बाद मिलने वाली पोस्टिंग्स और सुविधाओं के कारण है।
1) प्रभाव क्षेत्र और क्षमता: UPSC सिविल सर्विसेज से आप IAS, IPS, फॉरेन सर्विसेज, फारेस्ट सर्विसेज आदि में पोस्टिंग पाते हैं, जबकि स्टेट PSC से आप स्टेट मेडिकल ऑफिसर, किसी राज्य में असिस्टेंट प्रोफेसर, असिस्टेंट एग्रीकल्चरल रिसर्च ऑफिसर, असिस्टेंट स्टेटिस्टिकल ऑफिसर आदि पद पाते हैं। दोनों अपने आप में शानदार हैं, और कोई किसी से कम नहीं। लेकिन प्रभाव क्षेत्र और क्षमता में फर्क आ जाता है।
2) प्रमोशन और फैसिलिटी: UPSC द्वारा चुने गए कैंडिडेट्स को सेंट्रल गवर्नमेंट के नॉर्म्स की फैसिलिटीज मिलती है ओर प्रमोशन जल्दी होता है, जबकि स्टेट PSC द्वारा चुने कैंडिडेट्स के प्रमोशन लेट और फैसिलिटीज भी तुलनात्मक रूप से कम होती है।
क्या दोनों की तैयारी साथ हो सकती है
A. दोनों एग्जाम्स कई मायनों में समान और कई मायनों में अलग हैं।
B. कई सब्जेक्ट जैसे इतिहास, भूगोल, संविधान, एनवायरन्मेंटल डिजास्टर आदि की स्टडी दोनों में ही काम आ जाता है। वहीं स्टेट PSC में राज्य विशिष्ट जनरल नॉलेज पूछा जाता है जिसकी तैयारी में किसी भी और विषय की तैयारी जितना ही समय लगता है।
C. मैंने ऐसे कई स्टूडेंट्स देखे हैं जिन्होंने दोनों एग्जाम्स दिए लेकिन UPSC सिविल सर्विसेज में सेलेक्ट हुए और स्टेट PSC में नहीं! तो आप स्टेट को आसान नहीं मानें, और उसकी अलग तैयारी ढंग से करें।
D. दोनों परीक्षाओं में प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्न तथ्यपरक (Objective) होते हैं।
E. UPSC मेमोरी के बजाय आपके एनालिटिकल कौशल का मूल्यांकन करता है।
F. शायद कुछ लोग कहें कि राज्य PSC हार्ड वर्कर्स के लिए हैं लेकिन UPSC स्मार्ट वर्कर्स के लिए है!
G. दोनों ही अत्यधिक कॉम्पिटिटिव हैं, इसलिए यह पूरी तरह से कैंडिडेट के ज्ञान, शक्ति, योग्यता और प्राथमिकता पर निर्भर करता है की उसे दोनों एक्जाम्स की तैयारी करनी चाहिए या नहीं।
H. मेरे अनुसार, एक ही कैलेंडर ईयर में दोनों नहीं एटेम्पट करें, कम से कम 8 महीने का अंतर हो।
(सिविल की तैयारी के लिए तोहफे – और )
UPSC और स्टेट PSC की तैयारी साथ-साथ करने के फायदे
दोनों एग्जाम्स की तैयारी करना आपके लिए UPSC में सफल ना होने पर प्लान B की तरह हो सकता है, आप सुरक्षित महसूस करते हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है।
UPSC और स्टेट PSC परीक्षा की तैयारी साथ-साथ करने के नुकसान
A. टफ जॉब: तैयारी एक साथ करना एक टफ जॉब है, क्योंकि पढ़ने के लिए करिक्युलम बहुत सारा है और समय कम।
B. दो नावों की सवारी: दोनों के डिफरेंट नेचर के कारण यह कभी-कभी दो नावों की सवारी साबित हो सकता है।
C. टाइम मैनेजमेंट: आप दोनों की तैयारी करते तो हैं लेकिन UPSC और फिर स्टेट PSC का टाइम टेबल क्लैश करने लगता है।
तैयारी एक साथ कैसे करें
A. फिर भी, यदि तैयारी साथ में करना चाहते हैं तो पहले दोनों एग्जाम्स में पूछे जाने वाले कॉमन विषय जैसे ज्योग्राफी, हिस्ट्री, कॉन्स्टिट्यूशन, एथिक्स, एन्वायर्नमेंटल डिजास्टर आदि प्रिपेयर कर लेंलें। इससे आपका कॉन्फिडेंस काफी बढ़ेगा।
B. स्टेट PSC के लिए स्टेट GK की तैयारी अलग से करें और पिछले सालों के पेपर्स सोल्व कर लें।
C. अपना बेस्ट देने को तैयार रहें क्योंकि मेहनत ज्यादा और दिमाग दो दिशाओं में चलने वाला है।