भारतीय नौसेना चीन के जासूसी जहाज युआन वांग-6 को देश के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन EEZ में नहीं घुसने देगी। यह जोन समुद्र में 200 नॉटिकल माइल (समुद्री मील) तक फैला है। हालांकि, वॉरशिप सहित विदेशी जहाजों को EEZ में स्वतंत्र रूप से सेलिंग कर सकते हैं, लेकिन इस जोन में भारतीय कानून के तहत किसी देश का बिना परमिशन सर्वें, रिसर्च बैन है।
वांग-6 का रजिस्ट्रेशन रिसर्च और सर्वे शिप का
युआन वांग-6 चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) का एक जासूसी जहाज है, जिसे ओडिशा तट से एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड से भारत के मिसाइल टेस्ट को ट्रैक करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में भेजा गया है। हालांकि, चीन ने वांग-6 को ऑफिशियली एक रिसर्च और सर्वे करने जहाज के तौर रजिस्टर्ड किया गया है।
तीन साल पहले भी एक जहाज को भगाया था
यह पहला मौका नहीं है जब नौसेना ने किसी चीनी जहाज को भारतीय सीमा से खदेड़ने की बात कही है। इसके पहले उसने 2019 में चीनी रिसर्च शिप शि यान-1 को भारत के EEZ से बाहर कर दिया था, जो पोर्ट ब्लेयर के छिपा हुआ पाया गया था। हालांकि, भारतीय नौसेना के इस कदम से चीन के साथ राजनयिक विवाद पैदा हो गया था। फिर बाद में भारत ने अपना स्टैंड वापस ले लिया था।
नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस जहाज का गंतव्य बंदरगाह नहीं बल्कि खुला समुद्र है और यहीं उसे रहना होगा। अगर युआन वांग-6 भारत के EEZ में घुसने की कोशिश करता है तो भारतीय नौसेना उसे भी शि यान-1 की तरह बाहर कर देगी।
वांग-6 पर नौसेना के मानव रहित विमान रख रहे नजर
रिपोर्ट्स के मुताबिक नौसेना का कहना है कि वह वांग-6 की हर गतिविधि पर लगातार नजर रखे है। नौसेना के मानव रहित एयर व्हीकल्स और लॉन्ग रेंज मरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट वांग-6 को ट्रैक कर रहे हैं। नौसेना यह भी पता लगा सकती है कि यह जहाज क्या ट्रैक कर रहा है। हालांकि वे तब तक कुछ नहीं कर सकते जब तक वह खुले समुद्र में है। उस पर कार्रवाई तभी की जा सकती है जब वह EEZ में घुसने की कोशिश करे।
एक चीज जो वांग-6 को बचा सकती है
वांग-6 अगर सिर्फ एक वॉरशिप होता इंटरनेशनल पासेस लॉ के तहत उस पर कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता था। भारतीय EEZ में फॉरेन रिसर्च एंड सर्वे शिप को आने की परमिशन नहीं है, इसलिए वह भारत के समुद्र तट के करीब नहीं पहुंच पाएगा। सूत्रों के मुताबिक नौसेना जानती है कि युआन वांग-6 में शक्तिशाली उपकरण हैं जो सैकड़ों समुद्री मील दूर से ट्रैक कर सकते हैं, लेकिन जब तक वह इंटरनेशनल वॉटर में है, तब तक कोई कुछ नहीं कर सकता है।
कोस्टलाइन से 22 किमी तक फैली है समुद्री सीमा
भारत की समुद्री सीमा, तट से 12 समुद्री मील (लगभग 21.9 किमी) समुद्र की ओर फैली हुई है। भारत सरकार की परमिशन के बिना कोई भी विदेशी वॉरशिप या पनडुब्बी इस सीमा में नहीं आ सकती। अगर परमिशन मिल भी जाए, तब भी विदेशी पनडुब्बियों को अपने देशों के झंडे लहराते हुए पानी को सतह पर पार करना पड़ता है।
श्रीलंका-बांग्लादेश में भी रुका तब भी हमें खतरा
नौसेना ने एक और संभावना जताई है कि अगर चीन के जासूसी जहाज को भारत के पड़ोसी अपने समुद्र तट पर आने देते हैं तो यह बड़ी समस्या होगी। भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ समुद्री सीमा शेयर करता है। इन देशों के पास भारत अपना EEZ कानून लागू नहीं कर सकता।
यानी बांग्लादेश युआन वांग-6 को चटगांव में डॉक करने देता है या श्रीलंका उसे हंबनटोटा पोर्ट पर आने की परमिशन देता है, तो ऐसे में भारतीय समुद्र तट के बहुत करीब होगा, जहां से वह सब कुछ ट्रैक कर सकता है।
एक चीज जो वांग-6 को बचा सकती है
वांग-6 अगर सिर्फ एक वॉरशिप होता इंटरनेशनल पासेस लॉ के तहत उस पर कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता था। भारतीय EEZ में फॉरेन रिसर्च एंड सर्वे शिप को आने की परमिशन नहीं है, इसलिए वह भारत के समुद्र तट के करीब नहीं पहुंच पाएगा। सूत्रों के मुताबिक नौसेना जानती है कि युआन वांग-6 में शक्तिशाली उपकरण हैं जो सैकड़ों समुद्री मील दूर से ट्रैक कर सकते हैं, लेकिन जब तक वह इंटरनेशनल वॉटर में है, तब तक कोई कुछ नहीं कर सकता है।
कोस्टलाइन से 22 किमी तक फैली है समुद्री सीमा
भारत की समुद्री सीमा, तट से 12 समुद्री मील (लगभग 21.9 किमी) समुद्र की ओर फैली हुई है। भारत सरकार की परमिशन के बिना कोई भी विदेशी वॉरशिप या पनडुब्बी इस सीमा में नहीं आ सकती। अगर परमिशन मिल भी जाए, तब भी विदेशी पनडुब्बियों को अपने देशों के झंडे लहराते हुए पानी को सतह पर पार करना पड़ता है।
श्रीलंका-बांग्लादेश में भी रुका तब भी हमें खतरा
नौसेना ने एक और संभावना जताई है कि अगर चीन के जासूसी जहाज को भारत के पड़ोसी अपने समुद्र तट पर आने देते हैं तो यह बड़ी समस्या होगी। भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ समुद्री सीमा शेयर करता है। इन देशों के पास भारत अपना EEZ कानून लागू नहीं कर सकता।
यानी बांग्लादेश युआन वांग-6 को चटगांव में डॉक करने देता है या श्रीलंका उसे हंबनटोटा पोर्ट पर आने की परमिशन देता है, तो ऐसे में भारतीय समुद्र तट के बहुत करीब होगा, जहां से वह सब कुछ ट्रैक कर सकता है।
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