नेपाल के बाद अरुणाचल प्रदेश में 5.7 तीव्रता का भूकंप:हिमालयन रेंज में टेक्टाेनिक प्लेट स्थिर नहीं, बड़े भूकंप का खतरा

पहले पश्चिमी नेपाल में 6.6 की तीव्रता के आए भूकंप के एक दिन बाद ही गुरुवार काे भारत के अरुणाचल में 5.7 की तीव्रता का भूकंप आया। 48 घंटों में नेपाल में कम तीव्रता वाले भूकंप के तीन से ज्यादा झटके आए। अब भूकंप काे लेकर आईआईटी कानपुर के शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

इसके मुताबिक भारत के हिमालयी राज्यों में 7.8 से 8.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है। 1803 में ऐसा भूकंप आ चुका है। यह स्थिति हिमालयन रेंज में टेक्टोनिक प्लेट्स के अस्थिर होने से पैदा हुई है।

भूकंप के खतरे वाले इलाकों को चार भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा गया है।

  • जाेन-5: उच्चतम सक्रिय, 11%
  • जोन-4: उच्च सक्रिय, 18%
  • जाेन-3: मध्यम सक्रिय, 30%
  • जोन-2: सबसे कम सक्रिय, 61%
  • जोन-5: कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के इलाके हैं।

भारत में बड़े भूकंप नहीं आ सकते ये सोच गलत
आईआईटी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रो. जावेद एन मलिक की टीम लंबे समय से भूकंप पर शाेध कर रही है। मलिक कहते हैं, ‘टेक्टोनिक प्लेट्स के अस्थिर होने से लंबे समय तक इस तरह के भूकंप आते रहेंगे।’ प्राे. मलिक ने कहा, ‘ऐसा सोचना गलत है कि भारत में बड़े भूकंप नहीं आ सकते हैं।’

भारत का भूकंपीय क्षेत्र का मैप

  • 59% भूमि मध्यम या गंभीर खतरे में।
  • देश के 30.4 करोड़ घरों में से 95 फीसदी भूकंप की चपेट में आ सकते हैं

प्राे. मलिक भूकंप काे लेकर तीन बिंदु काे अहम बताते हैं

  1. हिमालयन रेंज के दो राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बड़ा भूकंप आ सकता है। इसकी तीव्रता 7.8 से 8.5 रह सकती है।
  2. भारत भूकंप के साइकिल जोन और टाइमलाइन में है। हिमालयी टेक्टाेनिक प्लेट में लंबे समय से शांति इस ओर इशारा कर रही है।
  3. हिमालयन जोन के भूकंप का असर पूरे उत्तर भारत में दिखेगा। उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं इलाके ज्यादा रेड जोन में हैं, जो बड़े भूकंप के केंद्र बन सकते हैं।