मथुरा की रहने वाली जिस महिला के मर्डर केस में उसका पति अपने दोस्त के साथ करीब डेढ़ साल जेल में रहा, वो 7 साल बाद जिंदा मिली है। महिला राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी इलाके के विशाला गांव में अपने दूसरे पति के साथ 7 साल से रह रही है। बेटी को जिंदा देख माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू हैं। फिलहाल, पुलिस इस उलझी गुत्थी को सुलझाने की कोशिश कर रही है। राजस्थान के दौसा से बरामद करने के बाद पुलिस महिला आरती को वृंदावन लेकर आई है।
सास के कहने पर पहले पति ने शादी के तीसरे दिन छोड़ा
मेरी और सोनू की शादी बांदीकुई कोर्ट में हुई थी। इसके बाद मैं पति सोनू और नंदोई के साथ बाइक से गोवर्धन घूमने गए। दो दिन तक घूमने के बाद तीनों वापस बालाजी पहुंचे। तब सास ने मेरे पति से कहा कि आरती को घर लेकर मत आना। उसे वहीं छोड़ दे। इसके बाद पति सोनू ने मुझे बालाजी से हिंडौन की बस में बैठा दिया। मेरे पास पैसे नहीं थे। इस वजह से बस वाले ने मुझे बीच रास्ते महुवा में ही उतार दिया।
दो दिन तक मैं महुवा में भटकती रही
महुवा में उतरने के बाद मैं पति सोनू के इंतजार में दो दिन तक भटकती रही। लेकिन, वह नहीं आया। इसके बाद किसी तरह बालाजी पहुंची, लेकिन वह वहां भी नहीं मिला। फिर मैंने एक मिठाई के कारखाने में काम करना शुरू कर दिया। इसी दौरान वहां मजदूरी करने आने वाले विशाला गांव के भगवान नाम के युवक से मुलाकात हुई। इसके बाद मैंने आगे की जिंदगी गुजर-बसर के लिए भगवान से कोर्ट में शादी कर ली।
पति के भाई ने 5 लाख में मुझे बेच दिया
मुझे भगवान के साथ शादी किए करीब 6 साल हो गए। इसी बीच अभी 6 महीने पहले भगवान के भाई विजेंद्र को पता लगा कि मेरा पहला पति सोनू और उसका दोस्त गोपाल जेल से बाहर आ गए हैं। वे लोग मेरी तलाश कर रहे हैं। इसके बाद विजेंद्र ने मुझे नागौर जिले के कुचामन सिटी में रहने वाले एक व्यक्ति से 5 लाख में बेच दिया। कुचामन सिटी का रहने वाला वह व्यक्ति मुझे अपने साथ ले गया। अभी 20 दिन पहले ही मैं किसी तरह कुचामन सिटी से भाग कर वापस विशाला गांव अपने पति भगवान के पास पहुंच गई। मेरा पति ट्रक ड्राइवर है। वह कई महीने तक घर से बाहर रहता है। इस वजह से मुझे पहले यह जानकारी नहीं हो पाई थी कि मुझे बेचा गया है।
मम्मी-पापा से मिलने की कोशिश कई बार की
मुझे मम्मी-पापा की याद आ रही थी। कई बार उनसे मिलने की कोशिश की। मां उर्मिला देवी और पिता सूरज प्रसाद गुप्ता से मिलने के लिए उरई गई, लेकिन उनका कुछ भी नहीं पता चला।
मैं किसी को सजा नहीं दिलाना चाहती
मुझे विशाला गांव के भगवान के साथ ही रहना है। मैं किसी को अब सजा दिलवाना नहीं चाहती हूं। सोनू मुझे राजस्थान में छोड़कर चला गया था। मेरे मायके वाले समझे की मैं कहीं नहीं मिल रही, इसका मतलब सोनू ने हत्या की है। इसी में उसे सजा हुई होगी। सभी निर्दोष हैं जो कुछ भी हुआ, वह सब अनजाने में हुआ।
अब आगे बताते हैं कि पत्नी की हत्या के मामले में जेल गए पति सोनू का क्या कहना है…
पति सोनू और उसका दोस्त गोपाल आरती तक ऐसे पहुंचे
सोनू का कहना है कि जेल से बाहर आने के बाद मैं और दोस्त गोपाल दुकान पर मजदूरी करने के साथ-साथ अपने स्तर से आरती की तलाश करते रहे। क्योंकि उन्हें पता था कि उन्होंने आरती की हत्या नहीं की है, वह जिंदा है। वह इस बीच जयपुर, अलवर, भरतपुर, दौसा के अलावा आसपास के शहरों में तलाश करते रहे। बालाजी में काम करते समय एक दुकान पर काम करने वाले विशाला गांव के रहने वाले एक युवक से गोपाल की मुलाकात हुई।
सोनू ने बताया- कोर्ट मैरिज के बाद लापता हो गई थी पत्नी
पति सोनू ने बताया कि मामला 2015 का है। दौसा के बालाजी कस्बे में समाधि गली, मुंबई धर्मशाला के पास वह एक दुकान पर काम करता था। जन्माष्टमी के दूसरे दिन यूपी के मथुरा की रहने वाली आरती अपने पिता सूरज प्रसाद के साथ बालाजी दर्शन के लिए आई थी।
वहीं आरती से जान-पहचान हो गई और नंबर एक्सचेंज हो गए। करीब 20 दिन बाद आरती अकेले बालाजी आई और दुकान पर पहुंच गई। उसने सोनू से प्यार का इजहार किया और शादी की इच्छा जताई। दोनों ने सहमति से बांदीकुई कोर्ट जाकर 8 सितंबर 2015 को कोर्ट मैरिज कर ली।
सोनू ने बताया कि शादी के बाद वह आरती को अपने गांव रसीदपुर लेकर चला गया। वहां पहुंचते ही आरती ने उससे जायदाद अपने नाम कराने, फोर व्हीलर व 50 हजार रुपए की डिमांड की। सोनू ने इसके लिए मना किया तो वह 8 दिन बाद अचानक लापता हो गई।
थाने में नहीं लिखवाई थी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट
आरती की गुमशुदगी की रिपोर्ट सोनू ने थाने में नहीं लिखाई। उसने बताया कि आरती घर से भागकर आई थी। ऐसे में उसकी गुमशुदगी लिखाकर कोई आफत मोल नहीं लेना चाहता था। वह अपने स्तर पर ही आरती को ढूंढता रहा। आरती के लापता होने के बाद उसके पिता सूरज प्रसाद ने वृंदावन कोतवाली थाने में 25 सितंबर 2015 को गुमशुदगी दर्ज करवाई। रिपोर्ट में सोनू सैनी निवासी रसीदपुर, भगवान उर्फ गोपाल सैनी निवासी उदयपुरा और अरविन्द पाठक निवासी अलवर के नाम का भी जिक्र किया।
अज्ञात शव को पिता ने बेटी के शव के तौर पर पहचाना
गुमशुदगी दर्ज होने के बाद 29 सितंबर 2015 को मथुरा जिले के नहरी क्षेत्र में एक 35 वर्षीय अज्ञात महिला का शव नहर में मिला। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज करवाने वाले आरती के पिता सूरज प्रसाद से शव की पहचान करवाई। सूरज प्रसाद ने शव की शिनाख्त बेटी के रूप में कर दी। उसने शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया। शव मिलने के 6 महीने बाद 17 मार्च 2016 को सूरज प्रसाद ने सोनू समेत कई लोगों पर हत्या कर शव फेंकने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करवा दी। मामले में गोपाल 9 महीने, सोनू 18 महीने तक जेल में बंद रहा। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट से दोनों को जमानत मिल गई।
माता-पिता ने बेटी को पहचाना
मथुरा पुलिस आरती की माता उर्मिला देवी और पिता सूरज प्रसाद को लेने वृंदावन के श्री कृष्ण धर्मशाला पहुंची और फोटो दिखाई तो दोनों ने आरती को पहचानने से इनकार कर दिया। पिता सूरज प्रसाद गुप्ता का कहना है कि मगोर्रा में जो शव मिला था उसके बारे में अखबार में पढ़ा था। इसके बाद वह मगोर्रा गए जहां उन्होंने फोटो देखकर पहचान की थी। देर शाम आरती को माता-पिता के सामने लाया गया तो पिता ने बेटी को पहचान लिया। सूरज प्रसाद ने कि पहले पुलिस ने मोबाइल में फोटो दिखाई थी, इसलिए पहचान नहीं पाए थे।