कम पैसे में भी हो सकती है इम्प्रेसिव ड्रेसिंग:6 टिप्स जिनसे आप प्रोफेशनल लाइफ में कर सकते हैं पावर ड्रेसिंग

कपड़ा, मनुष्य की 3 बेसिक आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान में से एक है। अच्छे कपड़े पहनने से हम अच्छा महसूस करते हैं और दूसरों को भी अच्छा महसूस करवाते हैं। इसीलिए अच्छे कपड़े पहनना केवल आपकी इच्छा ही नहीं बल्कि आपकी जिम्मेदारी भी है। सही कपड़े आपके बारे में नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन करते हैं और आपके आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं।

अधिकतर लोग ये सोचते हैं अच्छे फॉर्मल कपड़े पहनना काफी खर्चीला काम है। आज हम यह देखेंगे की कपड़े पहनने के नियम क्या हैं और कैसे आप इनका इंतजाम किफायत से कर सकते हैं।1950 के दशक के प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर हार्डी एमीज, जिन्हें अक्सर क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के लिए ‘आधिकारिक ड्रेसमेकर’ के रूप में जाना जाता है, का कहना है कि किसी

महंगे फैब्रिक जैसे प्योर कॉटन और लिनेन से बने कपड़े सामान्य जीवन में पहनने लायक नहीं होते, क्योंकि वे जल्दी सिलवटदार हो जाते हैं। इसके बजाय कॉटन और पॉलिएस्टर ब्लेंड फैब्रिक से बने कपड़े पहनें। इसके अलावा किफायती कपड़े खरीदने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग, होलसेल मार्केट (जैसे अहमदाबाद और दिल्ली के प्रसिद्ध क्षेत्र) तथा सेल्स और डिस्काउंट के ऑप्शंस खुले रखें। एक ध्यान देने की बात यह हैं कि यहां आप ब्रांडेड क्लोदिंग को इग्नोर कर सकते हैं।

इस प्रश्न का सब से अच्छा उत्तर है देश, काल और परिस्थिति के अनुसार। अर्थात आप को क्या पहनना है इसका उत्तर जानने के लिए यह देखें की आपको कहां जाना है, उस जगह का तापमान, वर्षा, ठण्ड इत्यादि क्या रहने वाला है। वहां आपको दिन में रात में या शाम को किस वक्त जाना है। और आप जहां जाने वाले हैं वहां की परिस्थिति और माहौल कैसा रहने वाला है।

वहीं एक ऐसे ऑफिस में जहां सभी इनफॉर्मल कपड़े पहनते (जैसा आजकल कई IT कम्पनीज इत्यादि में होता है) हैं फॉर्मल कपड़े पहनने वाले व्यक्ति को जरूरतमंद, अत्यधिक सीरियस या इसी तरह के किसी नेगेटिव रूप में देखा जा सकता है।

कुल मिलाकर आपके के कपड़े अपने आस-पास के लोगों को मैच करते हुए और मौसम के अनुकूल होने चाहिए। भारत में, आमतौर पर महिलाओं द्वारा सलवार-कमीज, लहंगा-चोली या साड़ी पहनी जाती है दूसरी ओर, पुरुष अक्सर फॉर्मल शर्ट और ट्राउजर पहनते हैं।

इसके अतिरिक्त, कार्यस्थल के लिए कपड़े चुनते समय उद्योग पर विचार करना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, कॉर्पोरेट कार्यालय में काम करने वाले किसी व्यक्ति से औपचारिक व्यावसायिक पोशाक जैसे सूट और टाई पहनने की अपेक्षा की जा सकती है, जबकि विज्ञापन जैसे रचनात्मक क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति के पास कपड़ों की पसंद के मामले में अधिक छूट हो सकती है।

किसी भी औपचारिक अवसर के लिए डार्क ट्राउजर और लाइट शर्ट का उपयोग किया जा सकता है। प्रोफेशनल मोर्चे पर चमकीले रंग जैसे लाल, मैजेंटा, नारंगी आदि पहनने से बचें। इसके बजाय इन रंगों के पेस्टल शेड्स चुनें। फ्लोरल आदि जैसे प्रिंट से बचें, इसके बजाय पैटर्न या ज्यामितीय डिजाइनों का उपयोग किया जा सकता है।

पैंट/ट्राउजर के साथ मोजों का कलर जितना मैच करें उतना अच्छा। कहते हैं पैंट/ट्राउजर से विपरीत कलर के मौजे पहनने के लिए आपको प्रिंस हेरी या लेडी डायना की हैसियत का होना चाहिए। मतलब वो लोग ऐसा करें तो चलता है।

भारत में कुछ रंगों का सांस्कृतिक महत्व है। उदाहरण के लिए, सफेद रंग अक्सर शोक से जुड़ा होता है, जबकि लाल शुभ माना जाता है। कार्यस्थल के लिए कपड़े चुनते समय इन सांस्कृतिक बारीकियों का पता होना महत्वपूर्ण है।

मान लीजिए किसी स्थान पर दो बन्दर बैठे हैं एक दुबला-पतला और दूसरा मोटा-ताजा, हम में अधिकतर का ध्यान मोटे-ताजे बन्दर पर ही जाएगा! ठीक उसी प्रकार कपड़ों का मास (mass) भी अथॉरिटी की ग्रैविटी पैदा करता है। इसके लिए कपड़ों को लेयर्स में पहनें। मतलब केवल शर्ट नहीं उसके ऊपर जैकेट, कोट इत्यादि। फुल-स्लीव्स के कपड़े हाफ-स्लीव्स की तुलना में अधिक अथॉरिटी पैदा करते हैं। कभी आप अमिताभ बच्चन की क्लोदिंग को ध्यान से देखे तो आपको बात समझ में आ जाएगी।