अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक को फर्स्ट बैंक ने खरीदा:SVB के डिपॉजिट फर्स्ट बैंक में ट्रांसफर होंगे, आज से 17 ब्रांचेज खुलेंगी

नॉर्थ कैरोलिना बेस्ड लेंडर फर्स्ड सिटिजन्स बैंक और ट्रस्ट कंपनी ने संकटग्रस्त सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) को खरीद लिया है। अमेरिकी अथॉरिटीज ने इस बैंक को सीज कर दिया था। इस डील में फर्स्ट सिटीजन्स ने SVB के डिपॉजिट्स, लोन और ब्रांचेज को खरीदा है। यूएस फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) ने इसकी जानकारी दी।

FDIC ने कहा कि 10 मार्च तक, SVB के कुल ऐसेट लगभग 167 बिलियन डॉलर और कुल डिपॉजिट लगभग 119 बिलियन डॉलर था। इस ट्रांजेक्शन में सिलिकॉन वैली बैंक के 72 अरब डॉलर के ऐसेट 16.5 अरब डॉलर के डिस्काउंट पर खरीदे गए हैं। करीब 90 बिलियन डॉलर की सिक्योरिटीज और दूसरे ऐसेट FDIC की रिसीवरशिप में रहेंगी।

17 ब्रांचेज आज से खुलेंगी
डिपॉजिटर्स की सुरक्षा के लिए, FDIC ने सिलिकॉन वैली बैंक की सभी जमाराशियों और सभी संपत्तियों को सिलिकॉन वैली के ब्रिज बैंक (नेशनल एसोसिएशन- एक फुल सर्विस बैंक) में ट्रांसफर कर दिया था, जिसे FDIC ही ऑपरेट करता है। ब्रिज बैंक की 17 ब्रांचेज सोमवार, 27 मार्च, 2023 को फर्स्ड-सिटिजन बैंक और ट्रस्ट कंपनी के रूप में खुलेंगी। SVB के डिपॉजिटर ऑटोमेटिकली फर्स्ट सिटिजन्स बैंक के डिपॉजिटर बन जाएंगे।

30वां सबसे बड़ा अमेरिकी बैंक है फर्स्ट सिटिजन
फेडरल रिजर्व के अनुसार, रैले, नेकां में स्थित फर्स्ट सिटिजन्स, 31 दिसंबर, 2022 तक 109 बिलियन डॉलर के ऐसेट के साथ 30वां सबसे बड़ा अमेरिकी बैंक था। सोमवार की डील के बाद ऐसेट के मामले में फर्म टॉप 25 अमेरिकी बैंकों में पहुंच जाएगी।

16वां बड़ा बैंक था सिलिकॉन वैली
मार्च में रेगुलेटर ने अमेरिका के 16वें सबसे बड़े बैंक- सिलिकॉन वैली को रेगुलेटर्स ने बंद करने का आदेश दिया था। कैलिफोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल प्रोटेक्शन और इनोवेशन ने ये आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद बैंक की मूल कंपनी SVB फाइनेंशियल ग्रुप के शेयरों में करीब 60% की गिरावट आई थी। इसके बाद इसे कारोबार के लिए रोक दिया गया।

सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने को सिलसिलेवार तरीके से समझिए
सिलिकॉन वैली बैंक के पास 2021 में 189 अरब डॉलर डिपॉजिट्स थे। सिलिकॉन वैली बैंक ने पिछले 2 सालों में अपने ग्राहकों के पैसों से कई अरब डॉलर के बॉन्ड खरीदे थे, लेकिन इस इन्वेंस्टमेंट पर उसे कम इन्टरेस्ट रेट के चलते उचित रिटर्न नहीं मिला। इसी बीच फेडरल रिजर्व बैंक ने टेक कंपनियों के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी।

SVB के ज्यादातर ग्राहक स्टार्ट-अप्स और टेक कंपनियां थीं जिन्हें कारोबार के लिए पैसों की जरूरत थी। ऐसे में वो बैंक से पैसे निकालने लगीं। ब्याज दर बढ़ने की वजह से टेक कंपनियों में निवेशक कम हो गए। फंडिंग नहीं मिलने से कंपनियां बैंक से अपना बचा हुआ पैसा भी निकालने लगीं। लगातार विड्रॉअल की वजह से बैंक को अपनी संपत्ति बेचनी पड़ी।

8 मार्च को SVB ने बताया कि उसने बैंक की कई सिक्योरिटीज को घाटे में बेचा है। साथ ही अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने के लिए उसने 2.25 अरब डॉलर के नए शेयर बेचने की घोषणा की। इससे कई बड़ी कैपिटल फर्मों में डर का माहौल बन गया और फर्मों ने कंपनियों को बैंक से अपना पैसा वापस लेने की सलाह दी।

इसके बाद गुरुवार को SBV के स्टॉक में गिरावट आई, जिससे दूसरे बैंकों के शेयर्स को भी भारी नुकसान हुआ। शुक्रवार की सुबह तक इन्वेस्टर न मिलने पर SVB के शेयरों को रोक दिया गया। इसके अलावा कई अन्य बैंक शेयरों को भी शुक्रवार को अस्थायी रूप से रोक दिया गया, जिनमें फर्स्ट रिपब्लिक, पीएसीवेस्ट बैनकॉर्प और सिग्नेचर बैंक शामिल हैं।